यह आश्चर्यजनक तथ्य हो सकता है
ग्रह खराब होने के संकेत....
प्रत्येक कुंडली में पीङित ग्रह जब
गोचर अथवा अपनी महादशा , अन्तर्दशा द्वारा गलत
प्रभाव डालना आरंभ करता है तो उसका प्रभाव पारिवारिक संबंधों ,
मानवीय जीवन पर दृष्टिगोचर होता है ।
हालांकि कोई ग्रह कुंडली में अत्यंत दूषित स्थिति में
हो तो उसका प्रभाव दीर्घकालीन
होता है किंतु कुछ कुप्रभाव तात्कालिक रूप से
दिखायी देने लगते है ।
चन्द्रमा - यदि गोचर में पीङित होने लगे
तो माँ का स्वास्थ्य गङबङाने लगता है और
व्यक्ति को गुस्सा अाना आदि कारण दिखायी देने लगते
है ।
मंगल - जब आप इलेक्ट्रोनिक उपकरण ठीक
करवाते थकने लगे, वाहन बार बार खराब हो , भूमि विवाद आरंभ
हो ।
बुध - बहन, बुआ, मौसी से संबंध खराब हो, सूंघने
की शक्ति समाप्त होना अथवा नसों संबधित
समस्या का सामना करना, दाँत खराब होना ।
गुरू - जब खराब होने लगे तो बुजुर्गों के साथ संबंध बिगाङता है
साथ ही अचानक आर्थिक अवरोध आने लगते है ।
शुक्र - वैवाहिक जीवन में
परेशानियाँ पैदा होना तथा प्रजनन अंगो से संबधित
कष्टों का सामना होने लगे ।
शनि - इनके खराब होने की स्थिति में जूते टूट जाना,
नीची जाति से संबंध खराब होना और
लोहानिर्मित अथवा काली वस्तु खो जाना ।
सूर्य - पिता के साथ व्यवहार बिगङना ,सरदर्द रहना ।
राहु - उच्चाटन, मानसिक बाधा, कलह , आत्महत्या का मन
करना, हानि, पतन ।
केतु - शरीर के किसी अंग का सङना,
मवाद पङना ।
इस प्रकार हमें दैनिक जीवन में ग्रह के खराब
होने का संकेत मिल जाता है । जिस ग्रह से संबंधित इशारे
जीवन में होने लगे तुरंत उसका आवश्यक उपाय
आरंभ कर देना चाहिए । जीवन में
रोगों की तरह ही इन
पीङाओं का सिद्धांत है
कि जितना जल्दी आप उपाय शुरू करेंगे
उतना ही आपके समस्या से बचने का अवसर
होगा । आजकल मेडिकल साइंस भी जन्म
कुंडली देखकर प्रतिपादित होने लगी है
तो हमें भी इस विषय में ज्योतिष
को मान्यता देनी चाहिए । ज्योतिष के नए
प्रशंसकों हेतु यह आश्चर्यजनक तथ्य हो सकता है
कि 95% मामलों में मनुष्य के शरीर के
उसी अंग में
पीङा होगी जिसपर कि मंगल
की दृष्टि होगी
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