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Monday 27 October 2014

2/11/2014 को शनि “वृश्चिक” राशि मे प्रवेश कर रहे हैं जहां वह 26/1/2017 तक रहेंगे. ....


भारतीय वैदिक  ज्योतिष के अनुसार  विभिन्न नक्षत्रों में   आकाशमंडल में गोचर करते हुए प्रमुख नौ ग्रह जब भी अपना राशि परिवर्तन करते हैं तो पृथ्वी पर कई प्रकार के प्रभाव डालते हैं जिस से जलवायु , मनुष्य , जीव , धातु , फसलों आदि पर व्यापक रूप से शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है , इस वर्ष 2014 में  नवंबर के महीने में 2 तारीख को रात्रि 8:20 पर बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह गोचर होने जा रहा है। 


शनिदेव के विषय में जानकारी देते हुए अमृतसर से पंडित  म।  डी।  वशिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया की  कलयुग के न्यायाधीश महादेव के शिष्य सूर्यपुत्र ''शनिदेव'' अपनी उच्च राशि तुला में से निकल कर शत्रु राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे । वृश्चिक राशि के स्वामी मंगला हैं , ज्योतिष के अनुसार मंगल और शनि में उग्र भाव है दोनों ही तमो गुनी ग्रह हैं , मंगल अग्नि के कारक हैं और शनि वायु और तेल  के कारक  हैं , मंगल रक्त है और शनि लोहा है इसलिए मंगल और शनि का मिलन अग्नि और तेल का मिलन है रक्त और लोहे का मिलन है अग्नि  और वायु का मिलन है इन  दो विपरीत  कारक ग्रहों का मिलन अनिष्ट पैदा करता है इसलिए शनिदेव का मंगल की राशि वृश्चिक में ये ढाई वर्ष का संचार संघर्षपूर्ण और परीक्षा भरा होगा । रामायण की कथा अनुसार लंका काण्ड  कांड में लंकादहन के समय जब हनुमान जी की पूछ को आग गई थी तो शनिदेव  ही (वायु) के रूप में हनुमान  जी ( अग्नि ) की पीठ पर सवार  थे और दोनों के मिलन ने रावण की स्वर्ण नगरी को कोयले की तरह खाक कर दिया था इसीलिए शनिदेव और मंगल दोनों क्रूर ग्रह ग्रह कहा जाता है , यहां उल्लेखनीय है की कोई भी ग्रह किसी का शत्रु या क्रूर नही होता  है  ग्रहों का प्रभाव जातक के ही शुभ अशुभ कर्मों के हिसाब से मिलता है क्योंकि लंका दहन में अगर रावण का नुक्सान हुआ तो उसके बुरे  कर्मों और अहंकार का फल था और श्री राम का लाभ हुआ तो राम जी के शुभ कर्म और सौम्य स्वभाव  का ही फल था । इसलिए शनि तो इंसाफ के देवता हैं और कर्मों के अनुसार ही फल देते  हैं ।


साढ़ेसाती और ढैय्या : 2 नवंबर 2014 की रात्रि जैसे ही शनि देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे कन्या राशि की साढ़े साती पूर्ण हो जाएगी और धनु राशि पर साढ़े साती शुरू हो जाएगी इस तरह धनु राशि पर प्रथम ढैय्या , वृश्चिक राशि पर दूसरा ढैय्या तथा तुला राशि पर तीसरा अंतिम ढैय्या शुरू हो जायेगा , इसी प्रकार मेष व् सिंह राशि पर शनि की लघु कल्याणी यानि ढैय्या शुरू हो जाएगी ।  साढ़े साती और ढैय्या में मिलने वाले दुःख , कष्ट और संघर्ष हमारे पूर्व जन्मो के शुभाशुभ कर्मों का फल होते हैं , बहुत से लोग अपने सौम्य स्वभाव और शुभ कर्मों के फलस्वरूप साढ़े साती और ढैय्या में ही खूब कामयाब होते दिखाई दिए हैं ।   


ज्योतिषीय दृष्टिकोण : शनि देव के सख्त और क्रूर  स्वभाव के कारण वैदिक ज्योतिष अनुसार उन्हें पाप ग्रह की संज्ञा दी गयी है  , पाप ग्रहो का 3,6,व 11वे भावो से गोचर लाभकारी माना जाता हैं अत: जिन राशि के शनि 3,6 व 11वे गोचर करेंगे उन्हे शुभफलों की प्राप्ति होगी तथा अन्य राशि वालो को मिलेजुले फल प्राप्त होंगे.


शनि के लिए कहा जाता हैं कि शनि जिस भाव मे आते हैं उस भाव की वृद्दि करते हैं तथा जिस भाव को देखते हैं उस भाव की हानि करते हैं इस वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुये शनि की अधिकतर दृस्टी उत्तर दिशा की और रहेगी जिससे उत्तर की और के देश व प्रांत प्रभावित होंगे जिनमे अस्थिरता,प्राकृतिक आपदाए,भूकंप,बाढ़,तथा सत्ता परिवर्तन जैसे हालात बनेंगे |


2/11/2014 को शनि “वृश्चिक” राशि मे प्रवेश कर रहे हैं जहां वह 26/1/2017 तक रहेंगे. 


शनि अब तक अपनी उच्च  राशि “तुला” मे थे जिस का प्रभाव भारत सहित कई देशो मे विद्रोह व देशो की सरकारो का बदलना रहा हैं | अब चूंकि शनि वृश्चिक राशि अथवा अपनी शत्रु राशि से संचार करेंगे जो की काल पुरुष की आठ्वी राशि हैं यह देखना काफी रोचक होगा की यह भारतवर्ष तथा सभी राशि वाले जातकों पर क्या प्रभाव डालेंगे | इस राशि मे संचार करते हुये शनि मकर,वृष तथा सिंह राशियो पर दृष्टि डालेंगे  तथा तुला,वृश्चिक व धनु पर साडेसाती का प्रभाव रखेंगे | शनि के लिए कहा जाता हैं कि शनि जिस भाव मे आते हैं उस भाव की वृद्दि करते हैं तथा जिस भाव को देखते हैं उस भाव की हानि करते हैं इस वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुये शनि की अधिकतर दृष्टि  उत्तर दिशा की और रहेगी जिससे उत्तर की और के देश व प्रांत प्रभावित होंगे जिनमे अस्थिरता,प्राकृतिक आपदाए,भूकंप,बाढ़,तथा सत्ता परिवर्तन जैसे हालात बनेंगे |


आइए पंडित म। डी।  वशिष्ट  से जानते हैं की विभिन्न राशियों पर शनि के इस वृश्चिक राशि गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा :


1)मेष राशि– इस पहली राशि से शनि का अष्टम गोचर होगा जो की आजीविका मे परिवर्तन अथवा ऊठा पटक जैसे हालात बनाएगा,धन की पूर्ति बाधक होगी व खर्चे बढ़ेंगे,संतान होने की अथवा संतान से संबंधी कोई समस्या होने की समभावनाए बनेंगी,कमर पैर से संबन्धित कोई चोट इत्यादि लग सकती हैं | जीवन साथी के लिए अच्छे समाचार प्राप्त होंगे | किसी बड़े निवेश से बचना लाभदायक रहेगा |


उपाय-दशरथ शनि श्रोत का पाठ करे तथा प्रत्येक शनिवार किसी गरीब को सरसों का तेल दान करे |


2)वृष राशि- इस राशि से शनि का सप्तम गोचर होगा जिससे भाग्योदय कारक समय बनेगा कामकाज बढ़ने लगेंगे,नई संपत्ति,वाहन इत्यादि खरीदने के योग बनेंगे तथा पुरानी संपत्ति बिकेगी,यात्राए व भागदौड़ बढेगी,जीवनसाथी व पिता हेतु शुभ समाचार प्राप्त होंगे,कोई भागीधारी का प्रस्ताव भी आ सकता हैं,दाम्पत्य सुख मे कमी हो सकती हैं |


उपाय : हर शुकवार सुबह शिवलिंग का दहीं से अभिषेक करें 


3)मिथुन राशि- इस राशि से शनि का यह छठा गोचर होगा जो की ज़्यादातर शुभ होगा जिसके प्रभाव से जो भी चाहेंगे वह होगा,सभी दिशाओ से शुभ समाचार मिलेंगे,उधार लेने व देने की समभावनाए बनेगी,सहोदरो को कष्ट मिलेंगे,अचानक चोट लगने की,धन प्राप्ति की तथा किसी गुप्त विद्या जानने की इच्छा बढेगी,धार्मिक कार्य,लंबी यात्राए व योजनाए बन सकती हैं जिनसे लाभ होगा|


उपाय : हर बुधवार संध्या एक नारियल माँ दुर्गा को अर्पित करें । 


4)कर्क राशि- शनि का इस राशि से पांचवा गोचर विवाह व संतान प्राप्ति के अतिरिक्त किसी बड़े पद की प्राप्ति भी करवाएगा,कोई बड़ी ज़िम्मेदारी अथवा सम्मान मिल सकता हैं,भाग्य से अब काम बनने लगेंगे,परिवार मे किसी की विवाह होने की संभावना बनेगी,धन प्रवाह मे थोड़ा विलंब रहेगा |


उपाय-शाकाहारी रहे तथा एक मुट्ठी चावल  मंदिर मे हर सोमवार  रखकर आए |


5)सिंह राशि – इस राशि से शनि का चतुर्थ गोचर कार्यक्षेत्र मे ऊठा पटक मचा कर बदलाव अथवा पदोन्नति करवा सकता हैं,मकान व भूमि का सुख बढ़ेगा,शारीरिक कष्ट,दुर्घटना व स्वस्थ्य हानी भी होगी परंतु आपकी लोकप्रियता बढ़ती रहेगी,किसी को उधार देना पड सकता हैं शत्रु भी सिर उठाएंगे परंतु कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे |


उपाय-हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करे.


6)कन्या राशि – राशि से तीसरा गोचर होने की वजह से शनि का यह गोचर आपको बहुत शुभता प्रदान करेगा आपकी पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी,संतान प्राप्ति हो सकती हैं,धार्मिक व विदेश यात्राए होंगी,खर्चे बढ़ेगे,विवादो मे आपकी विजय होगी व शनि की साडेसाती से मुक्ति होने से तनावमय जीवन से छुटकारा मिल जाएगा |


उपाय-रोजाना “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करे.


7)तुला राशि – इस राशि से दूसरा गोचर होने से धन लाभ बढ़ेगा,भूमि वाहन व मकान खरीदने की समभावनाए बढ़ेगी,आपकी माता को व आपको कोई सम्मान प्राप्त होगा,उतरती हुयी साडेसाती खूब यात्राए कराएगी,नियम के विरुद्ध कार्य करने व बिना जाने पहचाने उधार देने दिलवाने से परेशानियाँ होंगी |


उपाय-प्रतिदिन धर्मस्थान मे ज़रूर जाये |


8)वृश्चिक राशि – इस राशि से शनि का गोचर कार्यक्षेत्र व बदलाव व पिता के लिए कष्ट लाएगा,जीवन साथी से संबन्धित कोई नया कार्य कर सकते हैं सहोदरो से संबन्धित कोई खबर मिल सकती हैं | शनि साडेसाती की दूसरी ढैया किसी बुजुर्ग की मृत्यु कारण अन्त्येष्टि कर्म मे सम्मिलित करवा सकती हैं स्वयं हेतु विष इत्यादि से भय हो सकता हैं अत; बाहर के खाने से परहेज करे |


उपाय- नित्य शनि चालीसा,हनुमान चालीसा का पाठ करे तथा हर शनिवार बंदरो को केला खिलाये |


9)धनु राशि- इस राशि से द्वादश भाव मे शनि का गोचर शनि की साडेसाती की शुरुआत करेगा जिसके प्रभाव से स्थान परिवर्तन व धननाश होकर रहेगा,धन आने मे दिक्कते होंगी,आपके खिलाफ कोई इलज़ाम अथवा कारवाई की जा सकती हैं जिनसे स्वयं स्वास्थ्य संबंधी परेशानिया शुरू होंने के कारण अस्पताल जाना पड़ सकता हैं,मामा पक्ष मे परेशानियाँ आएंगी परंतु विदेश अथवा दूर की यात्रा से लाभ भी मिलेगा |


उपाय-विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नित्य करे तथा चींटियों को चावल के आटे का चुरा डाले |


10) मकर राशि- इस राशि से एकादश भाव मे शनि का गोचर होने से शनि व गुरु दोनों ग्रहो की इस राशि पर दृस्टी होगी जिससे ज़बरदस्त सफलता व धन लाभ की समभावनाए बनेगी जिस कारण आपके आत्मविश्वास मे बढोतरी होगी,जीवन मे बहुत से बदलाव आएंगे,व्यापार विस्तार हेतु नई योजनाए बनेगी जिनसे लाभ होगा,आप धन को कहीं ना कहीं किसी भी रूप मे निवेश करेंगे,संतान के लिए थोड़ा कष्टकारक समय रहेगा |


उपाय-सोमवार को शिवजी की पुजा करे.


11) कुम्भ राशि- इस राशि से दशम गोचर कार्य की अधिकता,नौकरी का छूटना व सम्मान की हानि कराएगा आपको अपने खर्चे निकालने मे दिक्कते प्राप्त होंगी,उधार व किश्ते चुकाना मुश्किल होगा,इन सब कारणो से सेहत प्रभावी हो सकती हैं,पिता या किसी पार्टनर से लाभ होगा,लंबी यात्राओ मे धन खर्च होगा,आपका विदेश अथवा अस्पताल से संबंध जुड़ सकता हैं,पत्नी से संबन्धित सुखो मे कमी तथा भूमि व मकान संबंधी योजनाओ मे परेशानियाँ बनेगी |


उपाय - हर शनिवार संध्या समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जगाएं । 


12)मीन राशि- राशि से नवम गोचर धर्म,धन व भाग्य वृद्दि करेंगे,भाई बहनो को लाभ देंगे,शत्रुओ को नुकसान मिलेगा अर्थात आपकी विजय होगी,दुस्साहसी प्रवृति बढ़ेगी,कानूनी मामलो मे मदद व लाभ मिलेंगी,पिता के स्वास्थ्य मे सुधार होगा,धर्म गुरुओ से मिलना अथवा विदेश मे तबादला हो सकता हैं|


उपाय-शनि चालीसा का पाठ रोजाना करे तथा हल्दी का तिलक माथे पर नित्य लगाए |


विशेष उपाय : यदिं किसी जातक के पास कुंडली न हो तो हर मंगलवार हनुमान जी को त्रिकोना  लाल झण्डा और पतासे का प्रसाद लगाएं और हर शनिवार रात्रि शनि मंदिर में तेल अभिषेक करें । निर्धन को भोजन करवाएं , गौ शाला में दवाई का दान करने से भी शनि देव शांत रहते हैं । हनुमान चालीस का पाठ और शनि बीज मंत्र जाप करना और शनि शांति हवन यज्ञ  करवाना भी उत्तम फल देता है । 

Tuesday 21 October 2014

यह धन अधिपति धनेश कुबेर का यंत्र है,इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज कुबेर प्रसन्न होकर अतुल सम्पत्ति की रक्षा करते हैं। ....


सम्पत्ति की रक्षा करते हैं
यह धन अधिपति धनेश कुबेर का यंत्र है,इस यंत्र के प्रभाव से यक्षराज कुबेर प्रसन्न होकर अतुल सम्पत्ति की रक्षा करते हैं। यह यंत्र स्वर्ण और रजत पत्रों से भी निर्मित होता है,जहां लक्ष्मी प्राप्ति की अन्य साधनायें असफ़ल हो जाती हैं,वहां इस यंत्र की उपासना से शीघ्र लाभ होता है। कुबेर यंत्र विजय दसमीं धनतेरस दीपावली तथा रविपुष्य नक्षत्र और गुरुवार या रविवार को बनाया जाता है।
श्री कुबेर मन्त्र :
ॐ श्रीं ॐ हीं श्रीं हीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम: ॥
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा ।।

Monday 20 October 2014

किया-कराया उतर जाता है. श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र विधि - सात कुओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए ......


किया-कराया उतर जाता है.
श्री गुरु गोरखनाथ का शाबर मंत्र 

विधि - सात कुओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है. 

मंत्र 

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा.........

Thursday 16 October 2014

यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें।...


1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2-यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो सोमवार को या प्रदोष के दिन पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयेगी ।
3-छोटा बच्चा सोते समय डर जाता हो तो मंगलवार अथवा रविवार के दिन फिटकरी का एक टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें।
4-आपके लाख प्रयत्न करने के बाद भी आप अभी तक बेरोजगार हैं और आपमें ही भावना घर कर गई है तो यह करें-एक बिना दाग वाला पीला नींबू लें, उसके चार बराबर टुकड़े कर लें. जब दिन ढल जाये तब चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में उन्हे एक-एक फेंक दें और बिना पीछे मुड़े देखे घर आ जायें. आपको शीध्र ही लाभ होगा. यह प्रयोग सात दिन लगातार करें. आपका काम शीध्र बनेगा व आपको रोजगार मिलेगा।
5- चांदी अथवा तांबे के बर्तन में दूध भरकर रात को अपने बेड यानि पलंग के सिरहाने रखें। इस दूध को सूर्योदय से पहले पीपल या कीकर के पेड़ की जड़ों में चढ़ा दे।आपके मनचाहे काम बनते चले जाएंगें। 
6-अगर किसी शुभ काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उस पर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें "ॐ श्री हनुमंते नम:" 21बार जाप करने के बाद उसको साथ लेकर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
अगले रविवार को दीपावली पर किये जाने वाले टोटको की जानकारी ले जो बहुत उपयोगी हो सकते है।

Tuesday 14 October 2014

विध्या प्राप्ति का दिव्य मंत्र विध्या प्राप्ति का दिव्य शाबर मंत्र - प्यारे मित्रो मुझे काफी सारे बन्धुओ के फोन आये सब ने यही कहा के आप बच्चों के बारे मे भी कुछ जरूर बताएं ....


विध्या प्राप्ति का दिव्य मंत्र
विध्या प्राप्ति का दिव्य शाबर मंत्र -
प्यारे मित्रो मुझे काफी सारे बन्धुओ के फोन आये सब ने यही कहा के आप बच्चों के बारे मे भी कुछ जरूर बताएं

तो आज प्यारे दोस्तो मैं उन बच्चों के बारे मे मंत्र लिख रहा हूँ जो किसी भी कारण से पढ़ाई मे पीच्छे रह जाते हों या

पढ़ाई मे मन ना लगता हो तो ये प्रयोग करने से चमत्‍कार देखे आपके बच्चे का मन भी पढ़ाई मे लगने लगेगा ओर उसके नॅमबर प्रतिशत भी बढ़ जायेगी।.

विध्या प्राप्ति का दिव्य शाबर मंत्र -

ओम नमो देवी कामाख्या त्रिशूल खड्ग हस्त पाधा पाती
गरुड़ सर्व लखि तू प्रीतये 
समागम तत्व चिंतामणि नरसिंह चल चल तीन कोटि 
कात्यानी तालव प्रसाद के ओम ह्रीं ह्रीं क्रूं चालिया चालिया स्वाहा. 
इस मंत्र का 21 बार जाप करके 4 पत्ते तुलसी के आपने बच्चे को हर रोज दीजिये ओर चमत्‍कार देखिये 

ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र यह प्रयोग स्वयं सिद्ध है ! इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है ! फिर भी पर्व काल में एक माला जप ले !.....


ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र
यह प्रयोग स्वयं सिद्ध है ! इसे सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है ! फिर भी पर्व काल में एक माला जप ले !
जिन लोगों की साधना बार बार स्वप्नदोष की वजह से भंग हो जाती है वह इसका इस्तेमाल जरुर करे !
एक बात का हमेशा ख्याल रखे कि यदि आपका मन पवित्र नहीं है तो किसी भी उपाय से ब्रह्मचर्य की रक्षा नहीं हो सकती !

-: मंत्र :-

सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश !
पारा पारा महापारा पारा पहुंचा दशमे द्वारा दशमे द्वारे
कौन पहुंचाए ? गुरु गोरखनाथ पहुचाये, जो न पहुंचाए तो
हनुमान का ब्रहमचर्य खंडित हो जाये,
माता अन्जनी की आन चले, गुरु गोरख का वान चले,
मेरा ब्रहमचर्य जाये तो हनुमान त्रिया राज्य में रानी
मैनाकनी को भोग के आये !
दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ आओ जैसे हनुमान का
ब्रहमचर्य रखा हमारी भी लाज बचाओ !
ॐ गुरूजी भग में लिंग, लिंग में पारा जो राखे वही गुरु हमारा !
काम कामनी की यह आग इसे मिटावे गोरखनाथ
माया का पर्दा देयो हटा दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ !
दुहाई दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की ! आदेश गुरु गोरख के !
नाथ जी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश !

विधि :-

रात को सोते समय इस मंत्र को 21 बार जप करे और लाल लंगोट धारण करे ! लंगोट धारण करते वक़्त भी इस मंत्र का जाप करे !
भगवान से हमारी यही कामना है कि आपको साधनाओं में सफलता प्रदान करे !

Monday 13 October 2014

ऎसा 3 रविवार करे लाभ होने लगता है मित्रों मनोकामना पुरक यह विधि:-(व्यक्तिगत विचार) मनोकामना पुरक यह विधि अपने आप मे चमत्कारी प्रभाव रखती है .....


ऎसा 3 रविवार करे लाभ होने लगता है
मित्रों मनोकामना पुरक यह विधि:-(व्यक्तिगत विचार) 
मनोकामना पुरक यह विधि अपने आप मे चमत्कारी प्रभाव रखती है एक बार इस विधि का प्रयोग जिग्यासा पुर्वक ही सही किन्तु अवश्य किजिये !! सफलता का मुख्य नियम मात्र ये है कि प्रयोग को गुप्त रख !
विधि:- सर्वप्रथम अपनी मनोकामना क सफेद पन्ने पर काली स्याही से लिखे !! मान लिजिये मनोकामना है की !! 
!! हे भगवान मेरा विवाह जल्द से जल्द हो जाये !! इस मनोकामना को कुछ इस प्रकार लिखे
!!ह+ए+भ+अ+ग+अ+व+आ+न+अ+म+ए+र+आ+व+इ+व+आ+ह+अ+ज+अ+ल+अ+द+अ+स+ए+ज+अ+ल+अ+द+अ+ह+ओ+ज+आ+य+ए !!
अब ईन अक्षरों मे जिन अक्षरों की पुनरावर्ति हुई है उनहे मिटा दे! और जो शेष बचे उनहे अलग से लिख ले ! उपर लिखि मनोकामना के शेष अक्षर निचे दिये गये हैं!!
जैसे:- !! भ्ग्न्म् रीव्स् होज्य् !!
शेष बचे अक्षरों को(!! भ्ग्न्म् रीव्स् होज्य् !!) एक अन्य सफेद कागज जिसका आकार 4 ईंच बराबर 4 ईच का हो! उस कागज में पुर्णाकार का पंचकोणिय सितारा बनाये ! इस सितारे के मध्य मे एक वृ्त का निर्माण करे! उस वृ्त कें मध्य में शेष अक्षरों को लिखें !! (!!भ्ग्न्म् रीव्स् होज्य् !!)निचे अपना नाम लिखे !
इस कागज की लंबाई मे चार तह करके एक बाती के समान बनाये !! इस लिखित मनोकामना को रविवार शाम 4:30 से 6:00 बजे के बिच किसि बडे वृ्क्ष के निचे जला कर मनोकामना को मुक्त कर दे !! ऎसा 3 रविवार करे लाभ होने लगता है !!प्रयास करे की वृ्क्ष एकांत मे हो और काटेदार न हो !! वृ्क्ष जितना बडा एवं हरा होगा उतना उत्तम होता है !!कागज के जलते ही वृ्क्ष की जड में पानी डाल कर वापस आ जाये !!कल्याण होगा !! 
किन्तु याद रहे कामना जायज हो अब यदी कोई ताजमहल अपने नाम करवाना चाहेगा तो नही होगा !! ये विधि मेरी व्यक्तिगत अनुभुति है इसे मानना या ना मानना आपका अपना विचार है !!इस विधि की सफलता की दर अभीतक 80% रही है !! 

Saturday 11 October 2014

ये दुनिया एक मायाजाल है एक कहानी है-'आदमी को कितनी जमीन चाहिए.?' उन्होनें कहा कि आदमी ज्यादा-से-ज्यादा जमीन पाने के लिए कोशिश करता है,.................................


ये दुनिया एक मायाजाल है
एक
कहानी है-'आदमी को कितनी जमीन
चाहिए.?' उन्होनें
कहा कि आदमी ज्यादा-से-ज्यादा जमीन
पाने के लिए कोशिश करता है, उसके लिए
हैरान होता है, भाग-दौड़ करता है, पर
आखिर में कितनी जमीन उसके काम आती है?
कुल छ:फुट, जिसमें वह हमेशा के लिए
सो जाता है।
आदमी की इच्छाऍं, कभी पूरी नही होतीं।
जैसे-जैसे आदमी उनका गुलाम
बनता जाता है, वे और बढ़ती जाती हैं।
उसके लिए वह आपाधापी करता है
भटकता है, पर अन्त में उसके साथ कुछ
भी नहीं जाता।
यही बात तो हमारे संत कहते आये है। ये
दुनिया एक मायाजाल है और
लक्ष्मी तो चंचला है आज इसके पास तो कल
दूसरे के पास फिर ये सब मोह क्यों ??//
सही तो है पूरी दुनिया को जितने
का दावा करने वाला सिकंदर अपने साथ
क्या ले गया
आया था यहॉँ सिकन्दर, दुनिया से ले
गया क्या?
थे दोनों हाथ खाली, बाहर कफ़न से निकले।
एक फ़कीर ने कहा है "ए इंसान, दौलत
की ख्वाहिश न कर। सोने में गम
का सामान है, उसकी मौजूदगी में मुहुब्बत
खुदगर्ज और ठंडी हो जाती है। घमंड ओर
दिखावे का बुखार चढ़ जाता है।"
तो फिर नैतिकता से सही मार्ग से धन
को अर्जित करे और उसका कुछ अंश अच्छे
कार्य में लगा दे
तो कितना अच्छा हो इसमें
ही तो सच्चा आनंद है। ....

Wednesday 8 October 2014

पाप का गुरु कौन है एक पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौटे। गांव के एक किसान ने उनसे पूछा, पंडित जी आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है....


पाप का गुरु कौन है
एक पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौटे। गांव के एक किसान ने उनसे पूछा, पंडित जी आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है? प्रश्न सुन कर पंडित जी चकरा गए, क्योंकि भौतिक व आध्यात्मिक गुरु तो होते हैं, लेकिन पाप का भी गुरु होता है, यह उनकी समझ और अध्ययन के बाहर था। पंडित जी को लगा कि उनका अध्ययन अभी अधूरा है, इसलिए वे फिर काशी लौटे। फिर अनेक गुरुओं से मिले। मगर उन्हें किसान के सवाल का जवाब
नहीं मिला। अचानक एक दिन उनकी मुलाकात एक वेश्या से हो गई। उसने पंडित जी से उनकी परेशानी का कारण पूछा, तो उन्होंने अपनी समस्या बता दी।
वेश्या बोली, पंडित जी..! इसका उत्तर है तो बहुत ही आसान, लेकिन इसके लिए कुछ दिन आपको मेरे पड़ोस में रहना होगा। पंडित जी के हां कहने पर उसने अपने पास
ही उनके रहने की अलग से व्यवस्था कर दी। पंडित जी किसी के हाथ का बना खाना नहीं खाते थे, नियम- आचार और धर्म के कट्टर अनुयायी थे।
इसलिए अपने हाथ से खाना बनाते और खाते। इस प्रकार से कुछ दिन बड़े आराम से
बीते, लेकिन सवाल का जवाब अभी नहीं मिला।
एक दिन वेश्या बोली, पंडित जी...! आपको बहुत तकलीफ होती है खाना बनाने में। यहां देखने वाला तो और
कोई है नहीं। आप कहें तो मैं नहा-धोकर आपके लिए कुछ भोजन तैयार कर दिया करूं।
आप मुझे यह सेवा का मौका दें, तो मैं दक्षिणा में पांच स्वर्ण मुद्राएं भी प्रतिदिन दूंगी।
स्वर्ण मुद्रा का नाम सुन कर पंडित जी को लोभ आ गया। साथ में पका-
पकाया भोजन। अर्थात दोनों हाथों में लड्डू। इस लोभ में पंडित जी अपना नियम-
व्रत, आचार-विचार धर्म सब कुछ भूल गए। पंडित जी ने हामी भर दी और वेश्या से बोले, ठीक है, तुम्हारी जैसी इच्छा।
लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखना कि कोई देखे नहीं तुम्हें मेरी कोठी में आते-जाते हुए। वेश्या ने पहले
ही दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर पंडित जी के सामने परोस दिया। पर ज्यों ही पंडित जी खाने को तत्पर हुए,
त्यों ही वेश्या ने उनके सामने से परोसी हुई थाली खींच ली। इस पर पंडित जी क्रुद्ध हो गए और बोले, यह क्या मजाक है?
वेश्या ने कहा, यह मजाक नहीं है पंडित जी, यह तो आपके प्रश्न का उत्तर है।
यहां आने से पहले आप भोजन तो दूर, किसी के हाथ का भी नहीं पीते थे,मगर
स्वर्ण मुद्राओं के लोभ में आपने मेरे हाथ का बना खाना भी स्वीकार कर लिया।
यह लोभ ही पाप का गुरु है.....

Tuesday 7 October 2014

शरद पूर्णिमा की रात्रि का सेहत के लिए विशेष महत्त्व है। इस रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृत की वर्षा करता है। ....


शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा विशेष  ( 7th Oct, 2014 )

शरद पूर्णिमा की रात्रि का सेहत के लिए विशेष महत्त्व है। इस रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृत की वर्षा करता है। आज की रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं अत: उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। भगवान ने भी कहा है -

पुष्णमि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।। 

'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।' (गीताः15.13) 

चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है ।

आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है, शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आए लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी-मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें ।

इस रात हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना सेहत की दृष्टि से अति उत्तम है।

एक आध मिनट आंखें पटपटाना यानी झपकाना चाहिए। 

कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना चाहिए, ज्यादा भी करें तो कोई नुकसान नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा। 

चांद के सामने छत पर या मैदान में ऐसा आसन बिछाना चाहिए जो विद्युत का कुचालक हो। 

चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मन हो तो आप लेट भी सकते हैं।

श्वासोच्छवास के साथ भगवान का नाम और शांति को भीतर भरते जाएं। 

ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाए तो सबसे अच्छा होगा। 

जिन्हें नेत्रज्योति बढ़ानी हो, वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। 

इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त 64 कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है।

चंद्रोदय के वक्त गगन तले खीर या दूध रखा जाता है, जिसका सेवन रात्रि 12 बजे बाद किया जाता है। मान्यता है कि इस खीर के सेवन से अस्थमा रोगी रोगमुक्त होता है। इसके अलावा खीर देवताओं का प्रिय भोजन भी है।

Monday 6 October 2014

कुछ उपाए जिससे सन्तान प्राप्ति हो सकती है हर विवाहित स्त्री चाहती हैं कि उसकी भी कोई अपनी संतान हो जो उसे मां कहकर पुकारे। सामान्यत: अधिकांश महिलाएं भाग्यशाली होती हैं ....


कुछ उपाए जिससे सन्तान प्राप्ति हो सकती है
      हर विवाहित स्त्री चाहती हैं कि उसकी भी कोई अपनी संतान हो जो उसे मां कहकर पुकारे। सामान्यत: अधिकांश महिलाएं भाग्यशाली होती हैं जिन्हें यह सुख प्राप्त हो जाता है। फिर भी काफी महिलाएं ऐसी हैं जो मां बनने के सुख से वंचित हैं। यदि पति-पत्नी दोनों ही स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम हैं फिर भी उनके यहां संतान उत्पन्न नहीं हो रही है। ऐसे में संभव है कि ज्योतिष संबंधी कोई अशुभ फल देने वाला ग्रह उन्हें इस सुख से वंचित रखे हुए है। यदि पति स्वास्थ्य और ज्योतिष के दोषों से दूर है तो स्त्री की कुंडली में संतान संबंधी कोई रुकावट हो सकती है।इस हेतु निम्न उपाय किये जा सकते हैं ,यद्यपि इस हेतु विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लिया जाना चाहिए |
[1]-संतान गोपाल मंत्र के सवा लाख जप शुभ मुहूर्त में शुरू करें। साथ ही बालमुकुंद (लड्डूगोपाल जी) भगवान की पूजन करें। उनको माखन-मिश्री का भोग लगाएं। गणपति का स्मरण करके शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करके निम्न मंत्र का जप करें।
मंत्र—–ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगता: क्लीं ऊं।।
[2]-सपत्नीक कदली (केले) वृक्ष के नीचे बालमुकुंद भगवान की पूजन करें। कदली वृक्ष की पूजन करें, गुड़, चने का भोग लगाएं। 21 गुरुवार करने से संतान की प्राप्ती होती है।
[3]-11 प्रदोष का व्रत करें, प्रत्येक प्रदोष को भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से संतान की प्राप्त होती है।
[4]-गरीब बालक, बालिकाओं को गोद लें, उन्हें पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, खाने पीने का खर्चा दो वर्ष तक उठाने से संतान की प्राप्त होती है।
[5]-आम, बेल , आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाने से संतान की प्राप्ति होती है।

कुछ अन्य प्रभावी उपाय —
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- हरिवंश पुराण का पाठ करें।
- गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें।
- पंचम-सप्तम स्थान पर स्थित क्रूर ग्रह का उपचार करें।
- दूध का सेवन करें।
- सृजन के देवता भगवान शिव का प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन करें।
- किसी बड़े का अनादर करके उसकी बद्दुआ ना लें।
- पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।
- गरीबों और असहाय लोगों की मदद करें। उन्हें खाना खिलाएं, दान करें।