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Wednesday 27 August 2014

जब उपाय काम ना करें क्या किया जाये , लाल किताब इस बारे क्या कहती है ? अक्सर लोगो से एक बात सुनने को मिलती है कि ज्योतिष झूठ है ! ....


 जब उपाय काम ना करें क्या किया जाये , लाल किताब इस बारे क्या कहती है ?

अक्सर लोगो से एक बात सुनने को मिलती है कि ज्योतिष झूठ है ! 
हमारा तो विश्वास ही उठ चुका है ज्योतिष पर से ! ऐसा क्यूँ होता है ? 
क्या किसी ने इसकी वजह जानने की कोशिश की ? या वास्तव में ही ज्योतिषियों को अपने उपर विश्वास नहीं ? क्यूँ नहीं उनके दिये गए उपाय काम करते ?

ऐसा क्यूँ होता है ?

जब भी जातक को कोई उपाय बताया वो चाहे किसी को रत्न धारण करने को कहा , किसी ने कोई पूजा/हवन/पाठ सुझाया , किसी ने दान देने को कहा या किसी ने और तरह का उपाय दिया ! लेकिन समस्या जस की तस रही !

क्या किसी ने इसकी वजह जानने की कोशिश की ?

शायद नहीं ! 
वजह एक ही रहती है , ऐसे में जातक किसी और ज्योतिशी के पास चला गया या विश्वास करना छोड दिया उसने ज्योतिष पर ! और ज्योतिषी भी अपने काम में व्यस्त , जानकारी नहीं ली जातक से कि उसको कुछ लाभ हुआ या नहीं उसके सुझाये गए उपाय से ! इसमें ज्यादा गलती जातक की ! क्यूँ नहीं उसने बताया कि उसको लाभ नहीं मिला और ऐसे में खर्च की गई रकम ( उपाय के नाम पर और ज्योतिषी को दी गयी फीस) बेकार हो गयी !

ज्योतिषियों को अपने उपर विश्वास नहीं ?

ऐसा नहीं कुछ ज्योतिषी ऐसे भी हैं जिनको अपने ज्ञान भी है और अपने काम के प्रति वफ़ादार भी हैं ! लेकिन समय की कमी के कारण या कोई और वजह होने के कारण वो अपने जातक के प्रति जवाबदेही नहीं निभाते ! कुछ ऐसे भी हैं जिनको नाम मात्र का ज्ञान होता है और वो डर के मारे / या उन्होने वास्तव में जातक के प्रति लापरवाही दिखाई होती है और सिर्फ लूटने की नियत से उपाय के नाम पर जातक को बेवकुफ बनाया होता है ! ऐसे में दोनों ही कारण है लोगो का ज्योतिष के प्रति विश्वास का कम होते जाना !

क्यूँ नहीं उनके दिये गए उपाय काम करते ?

किसी को रत्न धारण करवा दिया ! बिल्कुल सही , लेकिन लाभ नहीं मिला !
किसी को पूजा/हवन/यज्ञ /पाठ बोला ! बिल्कुल सही , लेकिन लाभ नहीं मिला !
किसी को कुछ दान करने के लिये बोला ! बिल्कुल सही , लेकिन लाभ नहीं मिला !
क्या सोचा कभी किसी ने कि उसके द्वारा दिये गए उपाय काम क्यूँ नहीं कर रहे ! जब उसके द्वारा सुझाये गए उपयो से काफी लोगो का भला हो चुका है , तब फिर किसी किसी को लाभ क्यूँ नहीं मिल रहा !
क्या उसकी जन्म पत्री गलत है ? नहीं ऐसा भी कुछ नहीं क्यूंकि बाकी सभी हालात मिल रहें हैं लेकिन उपाय काम नहीं कर रहे !

उपाय किस पर असर नहीं करते ............. !!!!

लाल किताब के अनुसार या यूँ समझे कि लाल किताब इस विषय पर आपको सही रास्ता देती है ! उपाय तभी काम नहीं करेंगे जब जातक शनि की खुराक अर्थात मांस मदिरा का आदी हो ! पर-स्त्री का आदी हो ! स्त्री जब दो मर्दो की हो बैठी (पर-पुरुष की आदी /  संबध बन जाना) ! मतलब साफ है कि मर्द और औरत को अपना अचरण सही रखना है !
अगर सब कुछ सही होने के बावज़ुद भी कमी है अर्थात उपाय काम नहीं करते और समस्या जस की तस रहती है तब उस कुंडली वाले पर पित्र दोष का समुंद्र ठाठें मार रहा होगा !

उपाय असर करे इसके लिये क्या किया जाये !

जातक पर अगर उपाय असर नहीं कर रहा तब उससे जानकारी लें ! उसको स्पष्ट बता दें कि जब तक वो सुधरेगा नहीं और सात्विक भोजन करना शुरू नहीं करेगा , समस्या का समाधान नहीं होगा या उपाय असर नहीं करेंगे ! इसलिये उसका सुधार ज़रूरी है ! 

या फिर सब ठीक है तो पित्र दोष का जो भी उपाय बनता है उसको करवाये फिर / या तभी उसकी समस्या का समाधान होगा !


बहुत -बहुत शुभकामनाए -मंगलकामनाए

ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। नीचे दिए गए मंत्र से मनुष्य की वाणी सिद्ध हो जाती है। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला यह मंत्र ....


ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है।
नीचे दिए गए मंत्र से मनुष्य की वाणी सिद्ध हो जाती है। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला यह मंत्र सरस्वती का सबसे दिव्य मं‍त्र है।

* सरस्वती गायत्री मंत्र : 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।'

इस मंत्र की 5 माला का जाप करने से साक्षात मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। विद्यार्थियों को ध्यान करने के लिए त्राटक अवश्य करना चाहिए। 10 मिनट रोज त्राटक करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। एक बार अध्ययन करने से कंठस्थ हो जाता है।

ग्रह पीड़ा निवारक टोटके- सूर्य १॰ सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।...


ग्रह पीड़ा निवारक टोटके-
सूर्य
१॰ सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
२॰ रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
३॰ ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
४॰ लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
५॰ किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
६॰ हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
७॰ लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
चन्द्रमा
१॰ व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
२॰ रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
३॰ ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
४॰ वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
५॰ वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
६॰ सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पूना चाहिए।
७॰ सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
मंगल
१॰ लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
२॰ ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
३॰ बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
४॰ लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
५॰ मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
६॰ बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
७॰ अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
बुध
१॰ अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
२॰ बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
३॰ हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
४॰ बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
५॰ घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
६॰ अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
७॰ तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
गुरु
१॰ ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
२॰ सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
३॰ ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
४॰ किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
५॰ ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
६॰ गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
७॰ गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र
१॰ काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
२॰ शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
३॰ किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
४॰ किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
५॰ अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
६॰ किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
७॰ शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शनि
१॰ शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
२॰ शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
३॰ शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
४॰ भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
५॰ भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
६॰ किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
७॰ घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
राहु
१॰ ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
२॰ हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
३॰ अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
४॰ जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
५॰ दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीम करना चाहिए।
६॰ यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
७॰ झुठी कसम नही खानी चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
केतु
१॰ भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।
२॰ नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
३॰ बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
४॰ ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
५॰ घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
६॰ चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
७॰ किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।
केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा तथा मूल) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

Monday 25 August 2014

सितमबर माह में नव ग्रहों में सात ग्रह होने जा रहे हैं उच्च , वर्षों बाद फिर बनने जा रहा है महाबली - महापराक्रमी - सर्वशक्तिशाली राजयोग ..


सितमबर माह में नव ग्रहों में सात ग्रह होने जा रहे हैं उच्च , वर्षों बाद फिर बनने जा रहा है महाबली - महापराक्रमी - सर्वशक्तिशाली राजयोग , इस योग में जन्म लेने वाली संतान करेगी अपने कुल का नाम रोशन । आईये जाने कौन सी है वो तारिख ???
जानिए तिथि और समय का एक ऐसा योग जो आ रहा है हज़ारों वर्षों बाद। ग्रहों की एक बहुत अद्भुत स्थिति जिसमें एक विशेष अवतार का होगा जन्म।
हज़ारों वर्षों बाद इस वर्ष सितम्बर माह में एक निश्चित दिन और समय पर ग्रहों का अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है। इस योग में पैदा होने वाला कोई ना कोई बच्चा विश्व इतिहास में अवतार स्वरूप होगा। आइए आप सबको यह बताते हैं कि वह शुभ घड़ी कब आ रही है जिसका हम सभी को एक बार फिर बड़ी बेसब्री से इंतज़ार है? ऐसा वह कौन सा दिन है जिसमें जन्मा बालक होगा एक अवतार? कौन से ऐसे योग हैं जो पिछले हज़ारों वर्षों में नहीं आए? कैसी ग्रहों की स्थिति है जो अद्भुत है? यह एक ऐसी तारीख और ऐसा समय है जिसमें सभी ग्रहों की ऐसी स्थिति कम-से-कम पिछले २ हज़ार वर्षों में नहीं आई है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण, तथा विष्णु के अंशावतार कहे जाने वाले गौतम बुद्ध; इन सभी अवतारों के जन्म के समय ग्रहों का अद्भुत संयोग था। जिसकी चर्चा मैं अपने पहले लेख में कर चुका हूँ। सितम्बर माह में बनने वाला यह योग तो राम के अलावा कृष्ण और गौतम बुद्ध के समय भी नहीं था। राम, कृष्ण, और गौतम बुद्ध को अवतार मानने में उस युग के लोगों को भी दशकों का समय लग गया। वैसे ही इस समय भी जो युग पुरुष पैदा होगा उसे भी दुनिया कब पहचानेगी और वह कहाँ जन्म लेगा यह भविष्यवाणी मैं अभी नहीं कर सकता (आगे करने का प्रयास करूंगा)। हो सकता है जब उसकी पहचान हो मैं इस दुनिया में ना रहूँ, परन्तु इतिहास इस दिन को जानेगा भी, और मानेगा भी, यह तय है।
वर्तमान में अराजकता और अपराध पराकाष्ठा पर है। इतिहास गवाह है कि जब-जब स्त्रियों के साथ दुराचार, संतों और निरपराध लोंगो के साथ अत्याचार, प्रकृति के साथ छेड़-छाड़, गौ हत्या की पराकाष्ठा हुई है; और तत्कालीन व्यवस्था उसे नियंत्रित करने में असमर्थ हुई है; या यूँ कहूँ कि तत्कालीन शासन व्यवस्था ही इन अपराधों का अंग बन गयी है; तब-तब ईश्वर ने पृथ्वी पर अवतरित होकर इसे भार मुक्त किया है। वर्तमान परिस्थिति में समाज की क्या दशा है, स्त्रियों की क्या स्थिति है इसपर कुछ नहीं कहना चाहूँगा क्योंकि यह सब आपको ज्ञात है।
रामायण में गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखा है, "विप्र, धेनु, सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार"। यहाँ ‘विप्र’ अर्थात ब्राह्मण नहीं बल्कि ज्ञानी पुरुष, ‘सुर-संत’ अर्थात ऐसे लोग जो सत्य की राह पर चलते हैं, तथा समाज का भला सोचते हैं।
ऐसे ही महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को नारियों की अस्मिता की रक्षा को लेकर कहा है:
क्रोश्यन्त्यो यस्य वै राष्ट्राद्ध्रियन्ते तरसा स्त्रियः। 
क्रोशतां पतिपुत्राणां मृतोऽसौ न च जीवति ॥३१॥
(अध्याय ६१, अनुशासनपर्व, महाभारत)
अर्थात - "जिस राजा के राज्य में चीखती-चिल्लाती स्त्रियों का बलपूर्वक अपहरण होता है और उनके पति-पुत्र रोते-चिल्लाते रहते हैं, वह राजा मरा हुआ है न कि जीवित।"
और वर्तमान में शक्ति स्वरूपा स्त्रियों की क्या स्थिति है यह बताने की आवश्यकता नहीं।
यहाँ तुलसी दास रचित रामायण की एक और पंक्ति को कहना चाहूंगा:
जब-जब होंहि धरम की हानि, बाढहिं असुर अधम अभिमानी। 
तब-तब प्रभु धरी विविध शरीरा, हरिहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।।
जब कभी भी लगभग सभी ग्रह उच्चस्थ, स्वराशिस्थ हों, मार्गी हों; सूर्य और चद्रमा राहु-केतु और शनि के प्रभाव में ना हों, तिथि और योग भी शुभ हों और साथ में नक्षत्र भी शुभ हों तो इतिहास गवाह है कोई अवतार ही हुआ है। ऐसा ही अद्भुत योग एक बार पुनः आ रहा है और यह योग हज़ारों वर्षों के बाद आ रहा है। अतः कोई अवतार तो अवश्य होगा।
मैं ज्योतिष में और ईश्वर में आस्था रखने वाला व्यक्ति हूँ और इसीलिए ज्योतिष तथा अपने पवित्र पौराणिक, आध्यात्मिक, और ऐतिहासिक ग्रंथों को आधार और उदाहरण मानकर ही मैं यह भविष्वाणी कर रहा हूँ।
सबसे पहले देखते हैं कि उस दिन ग्रहों की स्थिति क्या है:
सूर्य - सिंह राशि (स्वराशि में )
चन्द्रमा - वृषभ राशि (उच्च का)
मंगल - वृश्चिक राशि (स्वराशि में )
बुध - कन्या राशि में (बुध की स्व और उच्च राशि)
गुरु - कर्क राशि (उच्च राशि में )
शुक्र - सिंह राशि (सूर्य के साथ)
शनि - तुला राशि (उच्च राशि में )
राहु - कन्या राशि (उच्च राशि में )
केतु - मीन राशि (उच्च राशि में )
भाव एवं दृष्टि योग
उच्च का चन्द्रमा और स्वराशिस्थ मंगल का दृष्टि योग अर्थात दयालुता और पराक्रम की पराकाष्ठा। 
उच्च का गुरु और उच्च के शनि का दृष्टि सम्बन्ध (राम, कृष्ण, और बुद्ध तीनों की कुंडली में उपस्थित), अर्थात अध्यात्म और सामाजिक सरोकार की पराकाष्ठा। 
उच्च का बुद्ध अर्थात बुद्धि बल की पराकाष्ठा।
उच्च का गुरु अर्थात धर्म की पराकाष्ठा। 
सूर्य और शुक्र की युति अर्थात राजसी ठाठ बाट और शान शौकत की पराकष्ठा साथ ही भव्य कलाकारी से युक्त राजमहल और लोगों को सुख, समृद्धि, और वैभव देने का अदम्य सामर्थ्य। 
उच्च का शनि अर्थात न्याय की पराकाष्ठा। 
उच्च का राहु और वह भी उच्च के बुध के साथ अर्थात गूढ़ नीति, युक्ति, राजनीति, कूटनीति, और विपरीत परिस्थितियों में भी अद्भुत संतुलन की पराकाष्ठा। 
उच्च का केतु अर्थात अद्भुत पराक्रम, त्वरित और शक्तिशाली निर्णय लेने में समर्थ, अत्यधिक निर्भीक, विपरीत परिस्थितियों में भी अद्भुत शौर्य की पराकाष्ठा, मोक्ष प्रदाता। 
गुरु की दृष्टि मंगल और गुरु की ही मीन राशि में स्थित केतु पर, अर्थात पराक्रम, शौर्य कूटनीति, राजनीती सबकुछ धर्म और समाज के लिए।
ग्रहों के साथ-साथ तिथि का भी अत्यंत महत्त्व है, तो तिथि भी है अष्टमी तिथि। अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह तिथि, तिथियों में जया के नाम से जानी जाती है। यह अत्यन्त ही प्रभावशाली तिथि है, और माँ भवानी से सम्बंधित है, अतः यह तिथि शक्ति स्वरूपा है।
दिन है सोमवार, अद्भुत योग, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, अतः दिन और तिथियों के योग को देखूँ तो शिव और शक्ति का अद्भुत संयोग।
और अब अंत में तारीख जिसका आपको बेसब्री से है इंतज़ार- वह है १५ सितम्बर, २०१४.
जी हाँ, १५ सितम्बर, २०१४ ऐसी तारीख है जिस दिन हज़ारों वर्षों के बाद बन रहा है यह अद्भुत संयोग। अब आपका अगला प्रश्न होगा की समय कौन सा है ?
वैसे तो इस दिन सभी ग्रहों की स्थिति ऐसी ही है। अतः इस दिन जन्मा प्रत्येक बच्चा अद्भुत ही होगा। परन्तु इसमें भी रात्रि काल में स्थूल मान से लगभग ०९:३० से ११ बजे के बीच जन्मा बच्चा सबसे प्रभावशाली होगा, क्योंकि इस दौरान:
लग्न - वृषभ 
योग - सिद्धि 
नक्षत्र - मृगशिरा 
तिथि - अष्टमी
अर्थात १५ सितम्बर, २०१४ को रात्रि ०९:३० से ११ बजे के बीच (दिल्ली के समयानुसार)।
यह एक ऐसा समय निकलकर आ रहा है जब ग्रहों, नक्षत्र, तिथि, योग का हज़ारों वर्ष बाद ऐसा अद्भुत संयोग देखने को मिलेगा और अवश्य ही होगा कोई महावतार, जो दुनिया को अपराध मुक्त करेगा और दिखायेगा भटकों को राह।
विशेष और विनम्र अनुरोध:
आप सबसे मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि यह संयोग ईश्वर स्वयं बना रहा है, इसमें हमारा और आपका कोई योगदान नहीं है। उस समय जन्मे हज़ारों बच्चों में से कोई एक ही अवतार होगा और वह भी उस माँ की गर्भ से जिसे ईश्वर ने स्वयं चुना होगा। अतः इस समय और तारीख को, आप जान बूझकर या ऑपरेशन के द्वारा ज़बरदस्ती किसी बच्चे को जन्म देने का प्रयास ना करें। हाँ किसी भी जन्मे बच्चे की ख़ुशी अवश्य मनाएँ।

स्थान दोष ,दिशा दोष से मुक्त कर अभय ही दे देता हैं. कई बार व्यक्ति की समृद्धि अचानक रुष्ट हो जाती है,सारे बने बनाये कार्य बिगड जाते है...


स्थान दोष ,दिशा दोष से मुक्त कर अभय ही दे देता हैं.
कई बार व्यक्ति की समृद्धि अचानक रुष्ट हो जाती है,सारे बने बनाये कार्य बिगड जाते है,जीवन की सारी खुशिया नाराज सी लगती हैं,जिस भी काम में हाथ डालो असफलता ही हाथ लगती है.घर का कोई सदस्य जब चाहे तब घर से भाग जाता है,या हमेशा गुमसुम सा पागलों सा व्यवहार करता हो,तब ये प्रयोग जीवन की विभिन्न समस्याओं का न सिर्फ समाधान करता है अपितु पूरी तरह उन्हें नष्ट ही कर देता और आने वाले पूरे जीवन में भी आपको सपरिवार तंत्र बाधा और स्थान दोष ,दिशा दोष से मुक्त कर अभय ही दे देता हैं.
इस मंत्र को यदि पूर्ण विधि पूर्वक गुरु पूजन संपन्न कर ११०० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लिया जाये तो साधक को ये मंत्र उसकी तीक्ष्ण साधनाओं में भी सुरक्षा प्रदान करता है और यात्रा में चोरी आदि घटनाओं से भी बचाता है.मंत्र को सिद्ध करने के बाद जिस भी मकान या दुकान में उपरोक्त बाधाएं आ रही हो,किसी प्रेत का वास हो गया हो या अज्ञात कारणों से बाधाएँ आ रही हो,उस मकान में बाहर के दरवाजे से लेकर अंदर तक कुल जितने दरवाजे हो उतनी ही छोटी नागफनी कीलें और एक मुट्ठी काली उडद ले ले.इसके बाद मकान के बाहर आकर प्रत्येक कील पर ५ बार मंत्र पढ़ कर फूँक मारे और उडद को भी फूँक मार कर अभिमंत्रित कर ले,जितनी कीलो को आप अभिमंत्रित करेंगे उतनी बार उडद पर भी फूँक मारनी होगी.अब इस सामग्री को लेकर उस मकान में प्रवेश करे और मन ही मन मन्त्र जप करते रहे.आखिरी कमरे में प्रवेश कर ४-५ दाने उडद के बिखेर दे और और उस कमरे से बाहर आकर उस कमरे की दरवाजे की चौखट पर कील ठोक दे.यही क्रिया प्रत्येक कमरों में करे. और आखिर में बाहर निकल कर मुख्य दरवाजे को भी कीलित कर दे.इस प्रयोग से खोयी खुशियाँ वापिस आती ही है. ये मेरा स्वयं का कई बार परखा हुआ प्रयोग है. मन्त्र- ओम नमो आदेश गुरुन को ईश्वर वाचा,अजरी-बजरी बाड़ा बज्जरी मैं बज्जरी बाँधा दशौ दुवार छवा ,और के घालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे,पहली चौकी गणपती,दूजी चौकी हनुमंत,तीजी चौकी में भैरों,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवें श्री नरसिंह देव जी, शब्द साँचा,पिण्ड काँचा,चले मन्त्र ईश्वरो वाचा. ..

यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते हैं। मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में... मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता। ......


यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते हैं।
मरने के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में...
मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद स्वर्ग-नरक की मान्यता है। पुराणों के अनुसार जो मनुष्य अच्छे कर्म करता है, वह स्वर्ग जाता है, जबकि जो मनुष्य जीवन भर बुरे कामों में लगा रहता है, उसे यमदूत नरक में ले जाते हैं। सबसे पहले जीवात्मा को यमलोक ले जाया जाता है। वहां यमराज उसके पापों के आधार पर उसे सजा देते हैं।
मृत्यु के बाद जीवात्मा यमलोक तक किस प्रकार जाती है, इसका विस्तृत वर्णन गरुड़ पुराण में है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य के प्राण निकलते हैं और किस तरह वह पिंडदान प्राप्त कर प्रेत का रूप लेता है।
- गरुड़ पुराण के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोल नहीं पाता है। अंत समय में उसमें दिव्य दृष्टि उत्पन्न होती है और वह संपूर्ण संसार को एकरूप समझने लगता है। उसकी सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती हैं। वह जड़ अवस्था में आ जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं।
- मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं। वे बड़े भयानक, क्रोधयुक्त नेत्र वाले तथा पाशदंड धारण किए होते हैं। वे नग्न अवस्था में रहते हैं और दांतों से कट-कट की ध्वनि करते हैं। यमदूतों के कौए जैसे काले बाल होते हैं। उनका मुंह टेढ़ा-मेढ़ा होता है। नाखून ही उनके शस्त्र होते हैं। यमराज के इन दूतों को देखकर प्राणी भयभीत होकर मलमूत्र त्याग करने लग जाता है। उस समय शरीर से अंगूष्ठमात्र (अंगूठे के बराबर) जीव हा हा शब्द करता हुआ निकलता है।
- यमराज के दूत जीवात्मा के गले में पाश बांधकर यमलोक ले जाते हैं। उस पापी जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत भयभीत करते हैं और उसे नरक में मिलने वाली यातनाओं के बारे में बताते हैं। यमदूतों की ऐसी भयानक बातें सुनकर पापात्मा जोर-जोर से रोने लगती है, किंतु यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते हैं।
- इसके बाद वह अंगूठे के बराबर शरीर यमदूतों से डरता और कांपता हुआ, कुत्तों के काटने से दु:खी अपने पापकर्मों को याद करते हुए चलता है। आग की तरह गर्म हवा तथा गर्म बालू पर वह जीव चल नहीं पाता है। वह भूख-प्यास से भी व्याकुल हो उठता है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे ले जाते हैं। वह जीव जगह-जगह गिरता है और बेहोश हो जाता है। इस प्रकार यमदूत उस पापी को अंधकारमय मार्ग से यमलोक ले जाते हैं।
- गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक 99 हजार योजन (योजन वैदिक काल की लंबाई मापने की इकाई है। एक योजन बराबर होता है, चार कोस यानी 13-16 कि.मी) दूर है। वहां पापी जीव को दो- तीन मुहूर्त में ले जाते हैं। इसके बाद यमदूत उसे भयानक यातना देते हैं। यह याताना भोगने के बाद यमराज की आज्ञा से यमदूत आकाशमार्ग से पुन: उसे उसके घर छोड़ आते हैं।
- घर में आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की इच्छा रखती है, लेकिन यमदूत के पाश से वह मुक्त नहीं हो पाती और भूख-प्यास के कारण रोती है। पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान करते हैं, उससे भी प्राणी की तृप्ति नहीं होती, क्योंकि पापी पुरुषों को दान, श्रद्धांजलि द्वारा तृप्ति नहीं मिलती। इस प्रकार भूख-प्यास से बेचैन होकर वह जीव यमलोक जाता है।
- जिस पापात्मा के पुत्र आदि पिंडदान नहीं देते हैं तो वे प्रेत रूप हो जाती हैं और लंबे समय तक निर्जन वन में दु:खी होकर घूमती रहती है। काफी समय बीतने के बाद भी कर्म को भोगना ही पड़ता है, क्योंकि प्राणी नरक यातना भोगे बिना मनुष्य शरीर नहीं प्राप्त होता। गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। उस पिंडदान के प्रतिदिन चार भाग हो जाते हैं। उसमें दो भाग तो पंचमहाभूत देह को पुष्टि देने वाले होते हैं, तीसरा भाग यमदूत का होता है तथा चौथा भाग प्रेत खाता है। नवें दिन पिंडदान करने से प्रेत का शरीर बनता है। दसवें दिन पिंडदान देने से उस शरीर को चलने की शक्ति प्राप्त होती है।
- गरुड़ पुराण के अनुसार शव को जलाने के बाद पिंड से हाथ के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल भोगता है। पहले दिन पिंडदान से मूर्धा (सिर), दूसरे दिन गर्दन और कंधे, तीसरे दिन से हृदय, चौथे दिन के पिंड से पीठ, पांचवें दिन से नाभि, छठे और सातवें दिन से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नवें और दसवें दिन से भूख-प्यास उत्पन्न होती है। यह पिंड शरीर को धारण कर भूख-प्यास से व्याकुल प्रेतरूप में ग्यारहवें और बारहवें दिन का भोजन करता है।
- यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन प्रेत को बंदर की तरह पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह प्रेत भूख-प्यास से तड़पता हुआ यमलोक अकेला ही जाता है। यमलोक तक पहुंचने का रास्ता वैतरणी नदी को छोड़कर छियासी हजार योजन है। उस मार्ग पर प्रेत प्रतिदिन दो सौ योजन चलता है। इस प्रकार 47 दिन लगातार चलकर वह यमलोक पहुंचता है। मार्ग में सोलह पुरियों को पार कर पापी जीव यमराज के घर जाता है।
- इन सोलह पुरियों के नाम इस प्रकार है - सौम्य, सौरिपुर, नगेंद्रभवन, गंधर्व, शैलागम, क्रौंच, क्रूरपुर, विचित्रभवन, बह्वापाद, दु:खद, नानाक्रंदपुर, सुतप्तभवन, रौद्र, पयोवर्षण, शीतढ्य, बहुभीति। इन सोलह पुरियों को पार करने के बाद यमराजपुरी आती है। पापी प्राणी यमपाश में बंधा मार्ग में हाहाकार करते हुए यमराज पुरी जाता है

Sunday 24 August 2014

श्री गोरक्षनाथ संकट मोचन स्तोत्र बाल योगी भये रूप लिए तब, आदिनाथ लियो अवतारों। ताहि समे सुख सिद्धन को भयो, नाती शिव गोरख नाम उचारो॥ ...


श्री गोरक्षनाथ संकट मोचन स्तोत्र
बाल योगी भये रूप लिए तब, आदिनाथ लियो अवतारों। ताहि समे सुख सिद्धन को भयो, नाती शिव गोरख नाम उचारो॥ भेष भगवन के करी विनती तब अनुपन शिला पे ज्ञान विचारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ सत्य युग मे भये कामधेनु गौ तब जती गोरखनाथ को भयो प्रचारों। आदिनाथ वरदान दियो तब , गौतम ऋषि से शब्द उचारो॥ त्रिम्बक क्षेत्र मे स्थान कियो तब गोरक्ष गुफा का नाम उचारो । को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ सत्य वादी भये हरिश्चंद्र शिष्य तब, शुन्य शिखर से भयो जयकारों। गोदावरी का क्षेत्र पे प्रभु ने , हर हर गंगा शब्द उचारो। यदि शिव गोरक्ष जाप जपे , शिवयोगी भये परम सुखारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ अदि शक्ति से संवाद भयो जब , माया मत्सेंद्र नाथ भयो अवतारों । ताहि समय प्रभु नाथ मत्सेंद्र, सिंहल द्वीप को जाय सुधारो । राज्य योग मे ब्रह्म लगायो तब, नाद बंद को भयो प्रचारों। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ आन ज्वाला जी किन तपस्या , तब ज्वाला देवी ने शब्द उचारो। ले जती गोरक्षनाथ को नाम तब, गोरख डिब्बी को नाम पुकारो॥ शिष्य भय जब मोरध्वज राजा ,तब गोरक्षापुर मे जाय सिधारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ ज्ञान दियो जब नव नाथों को , त्रेता युग को भयो प्रचारों। योग लियो रामचंद्र जी ने जब, शिव शिव गोरक्ष नाम उचारो ॥ नाथ जी ने वरदान दिया तब, बद्रीनाथ जी नाम पुकारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ गोरक्ष मढ़ी पे तपस्चर्या किन्ही तब, द्वापर युग को भयो प्रचारों । कृष्ण जी को उपदेश दियो तब, ऋषि मुनि भये परम सुखारो॥ पाल भूपाल के पालनते शिव , मोल हिमाल भयो उजियारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ ऋषि मुनि से संवाद भयो जब , युग कलियुग को भयो प्रचारों। कार्य मे सही किया जब जब राजा भरतुहारी को दुःख निवारो, ले योग शिष्य भय जब राजा, रानी पिंगला को संकट तारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ मैनावती रानी ने स्तुति की जब कुवा पे जाके शब्द उचारो। राजा गोपीचंद शिष्य भयो तब, नाथ जालंधर के संकट तारो। । नवनाथ चौरासी सिद्धो मे , भगत पूरण भयो परम सुखारो। को नही जानत है जग मे जती गोरखनाथ है नाम तुम्हारो ॥ दोहा :- नव नाथो मे नाथ है , आदिनाथ अवतार । जती गुरु गोरक्षनाथ जो , पूर्ण ब्रह्म करतार॥ संकट -मोचन नाथ का , सुमरे चित्त विचार । जती गुरु गोरक्षनाथ जी मेरा करो निस्तार ॥

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं सुबह मां गायत्री का होता है यह दिव्य रूप, जिसके दर्शन से मिले यह शक्ति मां गायत्री वेदमाता पुकारी जाती है। वेद ज्ञान रूपी शक्ति है। मान्यता है कि यह ज्ञानरूपी शक्ति ही ब्रह्मदेव के रूप में प्रकट हुई। ....


हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
सुबह मां गायत्री का होता है यह दिव्य रूप, जिसके दर्शन से मिले यह शक्ति


मां गायत्री वेदमाता पुकारी जाती है। वेद ज्ञान रूपी शक्ति है। मान्यता है कि यह ज्ञानरूपी शक्ति ही ब्रह्मदेव के रूप में प्रकट हुई। ब्रह्मदेव द्वारा ही अलग-अलग लोक रचकर उनको चार वेदों के रूप में बांटी गई ज्ञान शक्ति से संपन्न किया। संसार व धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष भी यही शक्ति समाई है। इसलिए पूरा जगत ही गायत्री शक्ति का स्वरूप माना जाता है।

यही कारण है कि गायत्री साधना देव भाव से करना अहम माना गया है। किंतु अगर गायत्री के साकार रूप में उपासना की बात आती है तो शास्त्रों में मां गायत्री के तीन अलग-अलग काल में तीन रूप बताए गए हैं, जिनके दर्शन अलग-अलग शक्तियां देने वाले माने गए हैं। जानते हैं सुबह मां गायत्री के दिव्य रूप को - सुबह का वक्त ब्रह्ममुहूर्त भी पुकारा जाता है। इसलिए इस काल में मां गायत्री ब्राह्मी नाम से पूजनीय है। इसे कुमारिका रूप भी पुकारा जाता है। जिसमें उनका तेज उगते सूर्य के लाल रंग की भांति ही होता है। वह हंस पर बैठी तीन नेत्रों वाली होती है। साथ ही वह पाश, अंकुश, अक्षमाला, कमण्डलु, ऋग्वेद और ब्रह्मशक्ति से संपन्न होती है। मां गायत्री का यह दिव्य स्वरूप जीवन को प्रेरणा और शक्ति देता है। उनकी तरुणाई बचपन की तरह शुद्ध भाव व चंचलता, लाल आभा खून की तरह गति, हंस पर बैठना प्राणों पर नियंत्रण, पाश - बंधन, अंकुश - नियंत्रण, ऋग्वेद - ज्ञान शक्ति का प्रतीक है।

यही कारण है कि कि सुबह गायत्री साधना से ये सभी शक्तियां साधक को प्राप्त होती हैं। चूंकि गायत्री के इस रूप का निवास पृथ्वी लोक माना जाता है। प्रतीकात्मक रूप से शरीर भी आधार या भूलोक के समान है। इसलिए सूर्य उदय के काल में ब्राह्मी यानी गायत्री की साधना सूर्य की भांति ही शरीर को स्वस्थ्य, सुंदर व ऊर्जावान रख प्राणशक्ति देने वाली मानी गई है।

गायत्री मंत्र का वर्णं
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें

मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)

Friday 22 August 2014

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Thursday 21 August 2014

हथेली में बीच वाली उंगली सीधी और लंबी हो तो समझें ये बातें हस्तरेखा ज्योतिष में हाथों की रेखाओं के साथ ही हथेली और उंगलियों की बनावट से भी किसी इंसान का स्वभाव और भविष्य मालूम किया जा सकता है।


हथेली में बीच वाली उंगली सीधी और लंबी हो तो समझें ये बातें
हस्तरेखा ज्योतिष में हाथों की रेखाओं के साथ ही हथेली और उंगलियों की बनावट से भी किसी इंसान का स्वभाव और भविष्य मालूम किया जा सकता है। किसी व्यक्ति की सिर्फ एक उंगली देखकर भी स्वभाव और भविष्य से जुड़ी बातें समझी जा सकती हैं। यहां जानिए मिडिल फिंगर यानी मध्यमा उंगली के आधार पर स्वभाव से जुड़ी खास बातें...
एकदम सीधी और लंबी मध्यमा उंगली
यदि किसी व्यक्ति की मध्यमा उंगली एकदम सीधी और लंबी है तो ऐसे लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। ये लोग हर काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करते हैं। इन लोगों का भविष्य उज्जवल होता है। अपनी बुद्धि के बल पर इन्हें घर-परिवार और समाज में उचित मान-सम्मान की प्राप्त होता है।
तर्जनी की ओर झुकी हुई मध्यमा उंगली
जिन लोगों की मिडिल फिंगर तर्जनी यानी इंडेक्स फिंगर की ओर झुकी हुई दिखाई देती है तो वे लोग किसी अनजाने डर से परेशान रहते हैं। ऐसे लोगों को कभी-कभी आत्मग्लानी की भावनाओं का भी सामना करना पड़ता है। डर के कारण कई बार मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है।अनामिका उंगली की ओर झुकी हुई मध्यमा उंगली
यदि किसी व्यक्ति की मिडिल फिंगर अनामिका यानी रिंग फिंगर की ओर झुकी हुई दिखाई दे तो वे लोग विकृत मानसिकता वाले हो सकते हैं। सामान्यत: ऐसे अधिकांश लोग कुटिलता और चतुरता के बल पर गुप्त योजनाओं से सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं।
मध्यमा उंगली के नीचे होता है शनि पर्वत
हथेली में मध्यमा उंगली को शनि की उंगली माना जाता है। इस उंगली के नीचे स्थित भाग को शनि पर्वत कहते हैं। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में शनि की उंगली का ऊपरी अंतिम भाग बाहर की ओर झुका हुआ हो तो व्यक्ति को शनि के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को चर्म रोग होने की संभावनाएं रहती हैं और इन्हें जंगली जीवों से बचना चाहिए।
तर्जनी और मध्यमा उंगली बराबर हो तो
जिन लोगों की मध्यमा उंगली और तर्जनी उंगली यानी इंडेक्स फिंगर बराबर होती हैं, वे लोग अत्यधिक महत्वकांशा वाले रहते हैं। अधिक महत्वकांशा के कारण इन्हें जीवन में कई प्रकार की उपलब्धियां हासिल होती हैं।
अनामिका और मध्यमा उंगली बराबर हो तो
यदि किसी व्यक्ति की मीडिल फिंगर और रिंग फिंगर यानी अनामिका उंगली बराबर हैं तो वे लोग जुआ खेलने के शौकिन हो सकते हैं। ये लोग सट्टा लगाने वाले या ऐसा ही कोई अन्य काम पसंद करने वाला हो सकते हैं। इन लोगों को ऐसे कामों में लाभ भी प्राप्त होता है और कभी-कभी हानि का भी सामना करना पड़ता है।
मध्यमा उंगली, अनामिका उंगली से छोटी हो तो
जिन लोगों की हथेली में मध्यमा उंगली यदि अनामिका उंगली से छोटी है तो वे लोग बेवकूफी वाले काम कर सकते हैं। ऐसे कामों की वजह से इन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बहुत से काम बिगड़ भी जाते हैं। घर-परिवार तथा समाज में अपमान सहन करना पड़ सकता है।

मध्यमा उंगली मुड़ी हुई हो तो
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में मध्यमा उंगली सीधी न होकर मुड़ी हुई हो तो वे लोग दूसरों को परेशान करने वाले हो सकते हैं। ऐसे लोग कभी-कभी दूसरों को मारने तक ही इच्छा कर सकते हैं।
मध्यमा, अनामिका और तर्जनी, तीनों बराबर हो तो
जिन लोगों की हथेली में तर्जनी, अनामिका और मध्यमा उंगली तीनों एक समान होती हैं, वे लोग आलसी हो सकते हैं। साथ ही, इन लोगों में आत्मविश्वास की कमी भी हो सकती है। कम आत्मविश्वास की वजह से इन्हें कार्यों में सफलता आसानी से नहीं मिल पाती है।
ऐसी मध्यमा उंगली वाले होते हैं समझदार
जिन लोगों की मध्यमा उंगली सुंदर और उचित लंबाई वाली होती है तो वे लोग समझदार होते हैं। ऐसे लोगों किसी भी काम को बहुत ही अच्छे ढंग से और समझदारी के साथ करते हैं। सुंदर और दोष रहित मध्यमा उंगली वाले लोग समाज में एक खास मुकाम हासिल करते हैं।

सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय : १. मोर की कलगी रेश्मी वस्त्र में बांधकर जेब में रखने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है। २. श्वेत अपामार्ग की जड़ को घिसकर तिलक करने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है।...



सम्मोहन शक्तिवर्द्धक सरल उपाय :

१. मोर की कलगी रेश्मी वस्त्र में बांधकर जेब में रखने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है।
२. श्वेत अपामार्ग की जड़ को घिसकर तिलक करने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है।
३. स्त्रियां अपने मस्तक पर आंखों के मध्य एक लाल बिंदी लगाकर उसे देखने का प्रयास करें। यदि कुछ समय बाद बिंदी खुद को दिखने लगे तो समझ लें कि आपमें सम्मोहन शक्ति जागृत हो गई है।
४. गुरुवार को मूल नक्षत्र में केले की जड़ को सिंदूर में मिलाकर पीस कर रोजाना तिलक करने से आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
५. गेंदे का फूल, पूजा की थाली में रखकर हल्दी के कुछ छींटे मारें व गंगा जल के साथ पीसकर माथे पर तिलक लगाएं आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
६. कई बार आपको यदि ऐसा लगता है कि परेशानियां व समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। धन का आगमन रुक गया है या आप पर किसी द्वारा तांत्रिक अभिकर्म'' किया गया है तो आप यह टोटके अवश्य प्रयोग करें, आपको इनका प्रभाव जल्दी ही प्राप्त होगा।
तांत्रिक अभिकर्म से प्रतिरक्षण हेतु उपाय
१. पीली सरसों, गुग्गल, लोबान व गौघृत इन सबको मिलाकर इनकी धूप बना लें व सूर्यास्त के 1 घंटे भीतर उपले जलाकर उसमें डाल दें। ऐसा २१ दिन तक करें व इसका धुआं पूरे घर में करें। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं।
२. जावित्री, गायत्री व केसर लाकर उनको कूटकर गुग्गल मिलाकर धूप बनाकर सुबह शाम २१ दिन तक घर में जलाएं। धीरे-धीरे तांत्रिक अभिकर्म समाप्त होगा।
३. गऊ, लोचन व तगर थोड़ी सी मात्रा में लाकर लाल कपड़े में बांधकर अपने घर में पूजा स्थान में रख दें। शिव कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर समाप्त हो जाएगा।
४. घर में साफ सफाई रखें व पीपल के पत्ते से ७ दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारें व तत्पश्चात् शुद्ध गुग्गल का धूप जला दें।
५. कई बार ऐसा होता है कि शत्रु आपकी सफलता व तरक्की से चिढ़कर तांत्रिकों द्वारा अभिचार कर्म करा देता है। इससे व्यवसाय बाधा एवं गृह क्लेश होता है अतः इसके दुष्प्रभाव से बचने हेतु सवा 1 किलो काले उड़द, सवा 1 किलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े में बांधकर अपने ऊपर से २१ बार घुमाकर शनिवार के दिन बहते जल में विसर्जित करें व मन में हनुमान जी का ध्यान करें। ऐसा लगातार ७ शनिवार करें। तांत्रिक अभिकर्म पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।
६. यदि आपको ऐसा लग रहा हो कि कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के २१ बीज लेकर शिव मंदिर जाएं व शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाकर धूप बत्ती करें तथा शिवलिंग के निकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रखें। अपना नाम, गौत्र उच्चारित करके भगवान् शिव से अपनी रक्षा की गुहार करें व एक माला महामृत्युंजय मंत्र की जपें तथा बीजों को एकत्रित कर तांबे के ताबीज में भरकर गले में धारण कर लें।
७. शत्रु अनावश्यक परेशान कर रहा हो तो नींबू को ४ भागों में काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए चारों दिशाओं में एक-एक भाग को फेंक दें व घर आकर अपने हाथ-पांव धो लें। तांत्रिक अभिकर्म से छुटकारा मिलेगा।
८. शुक्ल पक्ष के बुधवार को ४ गोमती चक्र अपने सिर से घुमाकर चारों दिशाओं में फेंक दें तो व्यक्ति पर किए गए तांत्रिक अभिकर्म का प्रभाव खत्म हो जाता है।

है न कमाल की बात ज्योतिष के अनुसार आप के जीवन को हिला देने वाला सत्य ..! कुछ चीजें दान करने से आप कंगाल हो सकते हैं ..! लाल किताब कहती है ....


है न कमाल की बात
ज्योतिष के अनुसार आप के जीवन को हिला देने वाला सत्य ..!
कुछ चीजें दान करने से आप कंगाल हो सकते हैं ..!
लाल किताब कहती है कि चन्द्र यदि आप कि कुंडली में छटे घर में है और आप पानी या दूध का दान करते रहते हैं तो आप कि माता को भारी कष्ट का सामना करना पड सकता है और आप के खुद के जीवन में कष्ट आने शुरू हो जाएंगे ! और यही चन्द्र यदि बाहरवें घर में हो तो साधु को नित्य रोटी खिलाने,बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने अथवा पाठशाला खुलवा दे तो उसको अंतिम समय में पानी भी नसीब नहीं होता ! शनि आठवें हो तो नया मकान शुरू करते ही मौत सर पर मंडराने लगती है ! ऐसे लोगों को बना बनाया मकान लेना ही ठीक रहेगा ! अगर बनाना चाहते ही हैं तो पुराने मकान का थोड़ा सरिया रोड़ी अथवा काठ नए मकान में जरूर इस्तेमाल करें !
देखा ,अब लोग कहते हैं कि हम ने तो जीवन में साधुओं को भिखारिओ को बहुत रोटी खिलाई , गरीब बच्चों कि फीस भरी , पानी कि छबीलें लगवाईं, फिर भी हम दुखी और कष्ट में हैं और जिन्हों ने कभी ऐसा कुछ किया ही नहीं ,वह लोग हम से आगे हैं !
है न कमाल की बात 

 मुफ्त में विध्या देने से गुरु खराब हो जाता है ! इस से आप की संतान और पति की हालत खराब हो सकती है !
यदि आप भी ऐसा कर रहे हैं तो इस का उपाए है ! दूसरे बच्चों से 100 रूपए लेते हो तो गरीब के बचे से चाहे एक रुपया लो परन्तु लो जरूर !

Wednesday 20 August 2014

जानिए किस समय नहाने से मिलती है लक्ष्मी कृपा, दूर होती हैं परेशानियां यदि हम नहाते समय ही कुछ बातों का ध्यान रखें तो अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही कई शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। ...


जानिए किस समय नहाने से मिलती है लक्ष्मी कृपा, दूर होती हैं परेशानियां
यदि हम नहाते समय ही कुछ बातों का ध्यान रखें तो अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही कई शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि नहाते समय कुछ नियमों का पालन करें तो लक्ष्मी कृपा के साथ ही तेज बुद्धि और चमकदार त्वचा प्राप्त होती है। प्राचीन काल में साबुन आदि तो होते नहीं थे, इस कारण मिट्टी आदि चीजों का इस्तेमाल करते हुए स्नान किया जाता था। इन सभी शुभ फलों को प्राप्त करने के लिए ध्यान रखें यहां बताई गई बातें...
सुबह का स्नान है सर्वश्रेष्ठ
सुबह-सुबह किया गया स्नान लौकिक सुख प्रदान करने वाला माना गया है। रात को सोते समय कुछ लोगों के मुख से निरंतर लार गिरती रहती है, जिससे पूरा शरीर अपवित्र हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में सुबह उठते ही सबसे पहले स्नान कर लेना चाहिए। यदि संभव हो सके तो ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करेंगे तो सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
ऐसे स्नान से अलक्ष्मी, परेशानियां, बुरी शक्तियों का प्रभाव, बुरे सपने और गलत विचारों का नाश हो जाता है।
कायिक स्नान- कुछ परिस्थितियों में सिर पर बिना जल डाले भी स्नान किया जा सकता है। साथ ही, यदि कोई व्यक्ति किसी कारण से सुबह स्नान करने में असमर्थ है तो वह भीगे हुए कपड़े से शरीर पोंछकर भी पवित्र हो सकता है। ऐसे स्नान को कायिक स्नान कहते हैं।
प्राचीन समय में ऐसे करते थे स्नान
पुराने काल में स्नान करने के लिए यहां बताई गई सभी बातों का ध्यान रखा जाता था। उस काल में साबुन आदि तो होते नहीं थे, इस कारण मिट्टी आदि चीजों का इस्तेमाल करते हुए स्नान किया जाता था।
स्नान के लिए शुद्ध मिट्टी, पुष्प, अक्षस, तिल, कुश और गोमय यानी गाय का गोबर एकत्र किया जाता था। इसके बाद किसी तालाब या नदी से जल लाया जाता था, मिट्टी के पांच पिण्ड बनाए जाते थे। फिर मिट्टी के एक भाग से सिर को धोया जाता था, दूसरे भाग से नाभि के ऊपर के अंगों को साफ किया जाता था। इसके बाद तीसरे भाग से नाभि के नीचे का भाग और चौथे भाग से पैरों को और शेष मिट्टी से अन्य अंगों को साफ किया जाता था।
छ: प्रकार के हैं स्नान
शास्त्रों में छ: प्रकार के स्नान बताए गए हैं। ये हैं ब्राह्म, आग्नेय, वायव्य, दिव्य, वारुण और यौगिक स्नान।
- जो स्नान सुबह मंत्रों का जप करते हुए कुश के साथ किया जाता है, वह ब्रह्म स्नान कहा जाता है।
- सिर से पैर तक विधि-विधान के साथ भस्म को अंगों पर लगाकर स्नान करना, आग्नेय स्नान कहलाता है।
- गोधूलि से स्नान करना वायव्य स्नान कहलाता है। शास्त्रों में यह स्नान उत्तम माना गया है।
गोधूलि- गाय को सबसे पवित्र जीव माना गया है और उसके लौटने से रास्तों में जो धूल उड़ती है, उससे वातावरण पवित्र होता है। गाय के पैरों से उडऩे वाली धूल को गोधूलि कहते हैं।
- धूप के साथ होने वाली बारिश में स्नान करना दिव्य स्नान कहलाता है।
- जल में डूबकर स्नान करना, वारुण स्नान कहलाता है।
- योग द्वारा भगवान का चिंतन और ध्यान करते हुए जो स्नान किया जाता है, वह यौगिक स्नान कहलाता है। यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ भी कहा जाता है।
नहाने से पहले ध्यान रखें ये बातें...
- नहाने से पहले दुग्धधारी वृक्षों की कोमल टहनी से दातुन करना श्रेष्ठ रहता है। दुग्धधारी वृक्ष जैसे अपामार्ग, बिल्व, कनेर के वृक्ष। नीम की टहनी से दातुन करना भी श्रेष्ठ रहता है।
- दातुन करते समय हमारा मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यह शुभ शकुन माना गया है।

लहसुन की दो टुकड़े, करिए खूब महीन। श्वेत प्रदर जड़ से मिटे, करिए आप यकीन।। दूध आक का लगा लो, खूब रगड़ के बाद।


लहसुन की दो टुकड़े, करिए खूब महीन।
श्वेत प्रदर जड़ से मिटे, करिए आप यकीन।।
दूध आक का लगा लो, खूब रगड़ के बाद।
चार-पांच दिन में खत्म, होय पुराना दाद।।
चना चून बिन नून के, जो चौसठ दिन खाए।
दाद, खाज और से हुआ, बवासीर मिट जाए।।
दूध गधी का लगाइए मुंहासों पर रोज।
खत्म हमेशा के लिए, रहे न बिल्कुल खाज।।
सरसो तेल पकाइए, दूध आक का डाल।
मालिश करिए छानकर, समझ खाज का काल।।
मूली रस में डालकर, लेओ जलेबी खाए।
एक सप्ताह तक खाइए, बवासीर मिट जाए।।
गाजर का पियो स्वरस नींबू अदरक लाए।
भूख बढ़े आलस भागे, बदहजमी मिट जाए।।
जब भी लगती है तुम्हे भूख कड़ाकेदार।
भोजन खाने के लिए हो जाओ तैयार।।
सदा नाक से सांस लो, पियो न कॉफी चाय।
पाचन शक्ति बिगाड़कर भूख विदा हो जाए।।
रस अनार की कली का, नाक बूंद दो डाल।
खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
भून मुनक्का शुद्ध घी, सैंधा नमक मिलाए।
चक्कर आना बंद हों, जो भी इसको खाए।।
गरम नीर को कीजिए, उसमें शहद मिलाए। 
तीन बार दिन लीजिए, तो जुकाम मिट जाए।।

Tuesday 19 August 2014

सूर्य, नवग्रहों का राजा, 17 अगस्त 2014 , को सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है। सूर्य ग्रह आत्मविश्वास, सरकारी काम - काज का कारक माना गया है और यह हमें रोगों से लड़ने की शक्ति भी देता है।....


 सूर्य, नवग्रहों का राजा, 17 अगस्त 2014 , को सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है। सूर्य ग्रह आत्मविश्वास, सरकारी काम - काज का कारक माना गया है और यह हमें रोगों से लड़ने की शक्ति भी देता है। जानिए सूर्य ग्रह के गोचर से हमारे जीवन में आने वाले परिवर्तन 


सूर्य, नवग्रहों का राजा, अगस्त 17, 2014 , को सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है। इस दिन की ग्रह विशेषता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इस दिन सूर्य स्वयं की स्वराशि में प्रवेश कर रहे हैं, चन्द्र - उच्च राशि में गोचरस्थ हैं, बुध - उच्चराशि की ओर अग्रसर हैं, गुरु - उच्च राशिस्थ हैं, शुक्र, चन्द्र से राशिपरिवर्तन योग बना रहे हैं, शनि - उच्चराशिस्थ हैं, राहु / केतु भी - उच्च राशिशस्थ हैं।


17 अगस्त 2014 , मघा नक्षत्र में सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश कर रहे हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह इस दिन बनने वाला एक अदभुत ज्योतिषीय योग है, जो अनेक वर्षों में बनता है। इस योग में नौ ग्रहों में से पांच ग्रह उच्चराशि प्राप्त हैं, १ स्वराशि में है तथा शेष शुभयोग बना रहे हैं। अदभुत योग में प्राप्त होने वाले फल भी अदभुत ही हुआ करते हैं।सूर्य के बदलाव का आपके जीवन पर क्या प्रभाव रहने वाला है - आइये आप सभी को इससे अवगत कराते हैं - सूर्य सिंह राशि प्रवेश (17/08/2014)


ग्रहों के राजा सूर्य का गोचर सिंह राशि में अगस्त १७, २०१४ को हो रहा है। यह गोचर विशेष फलदायी होगा क्योंकि सूर्य स्वयं अपनी राशि में गोचर कर रहे हैं। क्या होंगे ये विशेष प्रभाव, आइये जानें 


सूर्य नवग्रहों में राजा का स्थान रखता है। जैसा की हम सभी सुनते आये हैं कि प्राचीन समय में राज्य की सभी गतिविधियाँ राजा के चारों ओर गति किया करती थी। राज्य का प्रत्येक फैसला राजा से होकर जाता था और राजा का निर्णय ही अंतिम निर्णय हुआ करता था। आज राज्य का संचालन राजा के हाथ से निकल कर राज्य की सरकारों के हाथ में पहुँच गया है। अधिकारों की बागडोर आज भी वही है, केवल इन्हे थामने वाले हाथ बदल गए हैं। जो गौरवपूर्ण स्थान आज सरकार को प्राप्त है, वही पद -प्रतिष्ठा ग्रहों में सूर्य को प्राप्त है। सूर्य ग्रह आत्मविश्वास, सरकारी काम - काज, कर प्रणाली और शरीर में हड्डियों का कारक माना गया है। रोगों से लड़ने की शक्ति हमें सूर्य से ही प्राप्त होती है। यही वजह है कि सूर्य की स्थिति न केवल जन्मकुंडली में विशेष महत्व रखती है, बल्कि गोचर में भी सूर्य के राशि बदलाव को खासी अहमियत दी जाती है। 


१७ अगस्त २०१४, मघा नक्षत्र में सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश कर रहे हैं। इस दिन की ग्रह विशेषता इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि इस दिन सूर्य स्वयं की स्वराशि में प्रवेश कर रहे हैं, चन्द्र - उच्च राशि में गोचरस्थ हैं, बुध - उच्चराशि की ओर अग्रसर हैं, गुरु - उच्च राशिस्थ हैं, शुक्र, चन्द्र से राशिपरिवर्तन योग बना रहे हैं, शनि - उच्चराशिस्थ हैं, राहु / केतु भी - उच्च राशिशस्थ हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह इस दिन बनने वाला एक अदभुत ज्योतिषीय योग है, जो अनेक वर्षों में बनता है। इस योग में नौ ग्रहों में से पांच ग्रह उच्चराशि प्राप्त हैं, १ स्वराशि में है तथा शेष शुभयोग बना रहे हैं। अदभुत योग में प्राप्त होने वाले फल भी अदभुत ही हुआ करते हैं। यह सब जानने के बाद निसंदेह आप यह जानना चाहेंगे की यह गोचर आप पर अपना कैसा प्रभाव छोड़ने वाला है। आपकी उत्सुकता को शांत करते हुए आपको बताते हैं कि सिंह राशि में स्थित हो, सूर्य आपको किस प्रकार के फल देने वाले है- 


यह गोचरफल आपकी जन्मराशि के अनुसार लिखा गया है


मेष राशि पंचम भाव पर सूर्य का गोचर अनुकूल फलदायी नहीं माना जाता। समय की अशुभता को टालने के लिए प्रेम - संबंधों में अहंकार भाव से दूरी बनाये रखें। अवधि विशेष में क्रोध और उत्तेजना में आकर आपके अपने पिता से सम्बन्ध प्रभावित हो सकते हैं। संतान से कष्ट और सुख में कमी की स्थिति बनी हुई है। भूमि-भवन, वाहन पर सोचविचार के बाद ही व्यय करें, व्यय बढ़े हुए हैं, साथ ही भूमि का क्रय-विक्रय करते समय कागज़ातों की प्रमाणिकता की जांच करना हितकारी रहेगा। धोखे और संशय की स्थिति बनी हुई है। भवन-किराये से आय प्राप्ति संभावित है। पिता के स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें। वैवाहिक जीवन में सुख की कमी का अनुभव हो सकता है। 


वृषभ राशि आपकी राशि से सूर्य चतुर्थ भाव पर रहेंगे। इस भाव में सूर्य का गोचर सुखों को प्रभावित कर आपकी सामजिक मान -प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा। समय विशेष में स्वार्थवादी बनने से पारिवारिक सम्बन्ध ख़राब हो सकते हैं। सर्वहित का विचार करने के बाद ही परिवार से जुड़ा कोई निर्णय लेना उचित होगा। सूर्य गोचर की इस अवधि में आपको अपने हृदय का विशेष ध्यान रखना होगा। उच्च रक्त चाप इत्यादि से आंशिक समय के लिए आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। परहेज़ और सावधानी हितकारी रहेगी। शत्रु परेशानियों का कारण बन सकते हैं। मित्रों की स्थिति भी संदेहजनक बनी हुई है। प्रेम संबंधों में मित्रों पर अधिक विश्वास करने से बचें। किसी नए व्यवसाय का आरम्भ करने का विचार है तो अभी कुछ समय प्रतीक्षा करें। व्यवसायिक गुप्त नीतियों का खुलासा करना सही नहीं रहेगा। वैवाहिक जीवन पर मंगल-शनि की स्थिति तनाव का माहौल बना सकती है। 


मिथुन राशि सिंह राशि में सूर्य आपके लिए अधिकारों और दायित्वों दोनों को लेकर आये हैं। लगन से किये गए कार्यों में सफलता का सहयोग आपको प्राप्त होगा। तकनीकी क्षेत्रों में कार्य कर रहे व्यक्तियों को समय की विशेष शुभता का लाभ प्राप्त हो रहा है। आय और पदोन्नति का उपहार आपको प्राप्त हो सकता है। वाणी में शहद की मिठास आजीविका क्षेत्र के संबंधों को प्रगाढ़ बनाये रखेगी। उच्चाधिकारी आपकी योग्यता और अनुभव से प्रभावित नज़र आयेँगे। कार्यों में सराहना मिल सकती है। सहयोगियों से सहयोग कुछ कम मिल रहा है। व्ययों का मुख्य केंद्र पारिवारिक विषयों पर बना हुआ है। इस समय आपकी प्रवृति हाथ खिंच कर व्यय करने की रहेगी। मित्र वर्ग आपसे प्रसन्न रहेगा। यात्रा और आपसी विचारों के आदान प्रदान के अनुकूल अवसर प्राप्त होंगे। मिडिया और संप्रेषण क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के समय खास रहेगा। तीसरे भाव पर सूर्य की स्थिति शुभ फलकारी कही गई है। इसलिए समय की विशेष शुभता का लाभ उठायें। 


कर्क राशि परिवार में आधिकारिक भावना पनपने से घर - परिवार में कुछ दिक्कते बढ़ जाएँगी। परिवार में अधिकारों की मांग करने के साथ-साथ आने वाले दायित्वों का भी निर्वाह करते रहें, इससे पारिवारिक सुख-शान्ति को सहयोग मिलेगा। इसके अलावा घर में छोटों पर अत्यधिक अनुशासन न बनाये अन्यथा विद्रोह की स्थिति बन सकती है। सूर्य आपकी जन्मराशि से दूसरे भाव पर है, इसलिए आपकी वाणी में कठोरता का भाव बना रहेगा। मित्रों पर छोड़े गए कार्य अधूरे रहने के योग बन रहे है। इस अवधि में कई इच्छाएं जन्म लेंगी, जिनमें से कुछ पूरी होकर आपकी ख़ुशी और उत्साह को बढ़ाएंगी। धर्म- आध्यात्मिक विषयों की ओर आपका झुकाव अनायास ही बढ़ जाएगा। बढ़ता हुआ कार्यभार आपके आराम में कमी का कारण बनेगा। छात्रों में आलस्य भाव अधिक और मेहनत, लगन का भाव कम बन रहा है। 


सिंह राशि स्वास्थ्य में उतार- चढाव की स्थिति रहेगी। विशेष रूप से सिर दर्द आपकी परेशानी का कारण बन सकता है। दूसरों से अनुशासनात्मक व्यवहार की अपेक्षा रखेंगे। क्रोध शीघ्र आयेगा। स्वयं के द्वारा दिए गए आदेशों का सख्ती से पालन करवाना आप चाहेंगे। कार्यक्षेत्र के कार्यों में आपकी एकाग्रता केंद्रित रहेगी व प्रशासनिक और बौद्धिक कार्यों मे सहजता का योग बना हुआ है। राहु दूसरे भाव में आपके परिवार में वैचारिक मतभेद का माहौल बना रहा है। बातचीत करते रहने से स्थिति यथावत किया जा सकेगा। इस समय में संचय करना बेहद कठिन कार्य होगा। शुभ कार्यों पर खर्चे हो सकते है। विदेश में शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रयासरत छात्रों को ग्रह योगों का सहयोग प्राप्त हो रहा है। जीवन साथी को पर्याप्त समय दे। 


कन्या राशि जन्मराशि से बारहवें भाव में सूर्य आपकी निद्रा को प्रभावित करेगा। पूर्ण निद्रा का अभाव आप महसूस करेंगे। वैवाहिक जीवनयापन कर रहे व्यक्तियों को शयन कक्ष में जीवन साथी के साथ ऐसे विषयों की चर्चा करने से बचना होगा, जिससे आपसी रिश्तों में टकराव पैदा हो। राहु जन्मराशि पर विराजमान है इसलिए कार्यों को निकलवाना आप इस समय बेहतर ढंग से जानते हैं। परिस्थिति के अनुसार आप अपने व्यवहार को बदल लेंगे। आपके इस व्यवहार से नए माहौल में शीघ्र समायोजित हो जाएंगे। व्यवसायिक कार्यों से विदेश गमन संभावित है। व्ययो की अधिकता बनी हुई है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े छात्रों और शिक्षकों के लिए समय अनुकूल बना हुआ है। खान-पान में सावधानी बरतें। 


तुला राशि सूर्य का राशि बदलाव एकादश भाव में होने से आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। लाभ और आय के नवीन मार्ग खुलेंगे। कार्यकारी शक्तिओं में वृद्धि तथा योग्यता अनुसार पदोन्नति की प्राप्ति आपको प्रसन्नता देगी। जन्मराशि पर शनि-मंगल की स्थिति न्यायकारी विषयो में आपकी भूमिका को विशेष अहमियत देगा। दूसरों को न्याय दिलाने या दूसरों के हक़ के लिए लड़ने के लिए आप तत्पर रहेंगे। अवधि विशेष में आपमें ऊर्जा शक्ति और जोश सराहनीय रहेगा। विदेशी संपर्कों से आय की संभावनाएं प्रबल होंगी। कार्यक्षेत्र में अनुभव काम आयेगा। वरिष्ठजनों का सहयोग बना हुआ है, कार्यकुशलता में निखार आयेगा। वैवाहिक जीवन पर तनाव आपके कष्टों को बढ़ा सकता है। इसके अलावा व्ययों पर कुछ हद तक नियंत्रण बनाये रखने में आप कामयाब रहेंगे। 


वृश्चिक राशि आपकी जन्मराशि से दसवें भाव पर सूर्य विचरण कर रहा है। व्यवसायिक कार्यों में सफलता, आधिकारिक शक्तियों के दायरे का विस्तार होगा। उच्चाधिकारी आपके कार्य को पसंद करेंगे। अधिकारियों से रिश्ते बेहतर होंगे। गणनात्मक और प्रशासनिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी। जीवनसाथी अथवा मित्रवर्ग के साथ निकट के रमणीय स्थानों पर जाने के अवसर आपको प्राप्त हो सकते हैं। शत्रु पक्ष से सावधानी बनाये रखें। कोर्ट-कचहरी का कोई विवाद चल रहा हो तो फैसला आपके पक्ष में होने की संभावना बन रही है। सामाजिक गतिविधियों में आपकी क्रियाशीलता बढ़ रही है। 


धनु राशि भाग्य का सहयोग प्राप्त न होने के कारण आपको प्रयास अधिक करने होंगे। नवम भाव में सूर्य पिता के स्वास्थ्य में गिरावट दर्शा रहे हैं। कार्यभार सामान्य से कम रहेगा। कुशल नीतियों के उपयोग से योजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी। तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों को इस समय में विशेष दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य का अनुकूल न रहना आपके अन्य कार्यों में व्यवधान डालेगा। शुगर और मोटापे के कारण होने वाले रोगों के प्रति सतर्क रहें। समय समय पर चिकित्सक से जाँच करवाते रहने से रोग समय पर पकड़ में आ सकते हैं। 


मकर राशि सूर्य अष्टम भाव में गोचर कर रहा है। आप पर रोगों का प्रभाव शीघ्र हो सकता है। स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही ठीक नहीं होगी। युवावर्ग पर पश्चिम जीवनशैली की पकड़ पहले से अधिक मज़बूत हो सकती है। भोग - विलास के विषयों में विशेष सुख की प्राप्ति होगी। गृहस्थ जीवन पर व्यय बढ़ेंगे। भूमि - भवन के कार्यों में समय अनुकूल बना हुआ है। नया मकान लेना चाहते हैं तो अवसर शुभ बना हुआ है। प्यार-मोहब्बत में जल्दबाजी करने से बचें। खर्चों पर नियंत्रण बनाने में कामयाबी मिलेगी तथा अत्यधिक कार्य करने के बाद व्यवसायिक योजनाओं में सफलता के योग बन रहे हैं। अपने व्यस्त दैनिक कार्यक्रम से कुछ समय धार्मिक गतिविधियों के लिए भी निकालें। यह भाग्य में वृद्धि करेगा। 


कुम्भ राशि विवाहित व्यक्तियों के लिए सूर्य का गोचर विशेष रूप से दाम्पत्य जीवन पर केंद्रित रहेगा। विवाह भाव में सूर्य शुभ फलदायी नहीं होता। पहले से विवाहित हैं तो आपको अपने जीवन साथी के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है। नाराज़गी और मनमुटाव का माहौल बना रहेगा। इस माहौल को सहज बनाने में आपको अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ सकती है। साझेदारी व्यापार में भी सम्बन्ध ख़राब हो सकते हैं। अहंकारी भाव और अधिकारों को सीमित रखने की प्रवृति व्यापार की उलझने बढ़ाएगी। आय स्त्रोतों की गति मंद रहेगी पर अच्छी बात यह है की कार्यों में आपके प्रयास पूर्ण बने हुए हैं। सुख -चैन प्रभावित हो रहा है। स्वयं को चिंतामुक्त रखने के लिए व्यायाम या योग का सहारा लिया जा सकता है। 


मीन राशि बहुत अच्छा समय है। प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को सफलता का स्वाद चखने को मिलेगा। शत्रु / विरोधी आपके प्रभाव से शांत रहेंगे। खान-पान में संयम की कमी स्वास्थ्य को ख़राब कर सकती है। जीवन साथी से कुछ विषयों में विरोधाभास की स्थिति बन सकती है। व्यक्तिगत पसंद को महत्व दें और पारिवारिक मुद्दों को लम्बा न खींचे। नौकरी पेशा लोग चाहें तो बदलाव की सोच सकते हैं। प्रेम - संबंधों में शुभता बनी हुई है। रुके हुए धन के आने से आपके संचय में बढ़ोतरी हो सकती है। प्रबंधकीय विषयों पर कार्यरत व्यक्तियों के लिए यह समय खास रहेगा। 


जन्मकुंडली में सूर्य की निर्बल स्थिति, अशुभ प्रभाव तथा गोचर में प्राप्त होने वाले अशुभ परिणामों को दूर करने के लिए प्रभावित व्यक्तियों को सूर्य के उपाय करने से राहत प्राप्त होती है। जिन व्यक्तियों पर सूर्य की महादशा / अन्तर्दशा का प्रभाव अनुकूल न चल रहा हो वे सब भी इन उपायों को कर लाभान्वित हो सकते हैं। उपाय अपने सामर्थ्य के अनुसार करें, शुद्धता का ख्याल रखे तथा श्रद्धा में किसी भी प्रकार की कमी परिणामों में कमी का कारण बन सकती है, अत: उपाय पूर्ण विश्वास के साथ करने जरुरी है। 


१. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि और दैनिक क्रियाओं से निवृत हो, सूर्य के सामने खड़े होकर सूर्यनमस्कार करें। साथ ही सूर्य को जल भी अर्पित करे। २. सूर्य मंत्र का एक माला जप प्राप्तकाल में करें। मन्त्र इस प्रकार है - ॐ घृणि सूर्याय नमः३. सूर्य यंत्र का नियमित दर्शन - पूजन करें। ४. पिता का आदर करते रहने और पिता के चरण स्पर्श से भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। 

Monday 18 August 2014

आज दोस्तों की यादों में रहते है ✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......। ✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।.


आज दोस्तों की यादों में रहते है
✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
✅ ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना....
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे.... आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे... आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था.... आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।
✅ सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।
जिंदगी बहुत कम है, प्यार से जियो

21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्ननहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जासकता है।..


21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है
एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्ननहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जासकता है। स्वयं करने से इसके नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं।
प्रयोग 1
यहप्रयोग निरंतर ग्यारह दिन तक किया जाता है। सर्वप्रथम काँसे की थाली मेंसिंदूर का त्रिशूल बनाएँ। इस त्रिशूल का दिए गए मंत्र द्वारा विधिवत पूजनकरें। यह पूजा रात और दिन उचित चौघड़िया में की जाती है।
गाय केशुद्ध घी का दीपक जलाएँ और 1100 मंत्रों का जाप करें। रात में भी इसीप्रकार त्रिशूल का पूजन करें। घी एवं तेल दोनों का दीपक जलाकर ग्यारह सौबार मंत्र जप करें।
इस प्रकार ग्यारह दिन तक प्रयोग करने पर कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है। तत्पश्चात् किसी भी प्रश्न का मन में स्मरणकरने पर साधक के कान में ‍पिशाचिनी सही उत्तर दे देती है।
सावधानियाँ :
एक समय भोजन करें।
* काले वस्त्र धारण करें।
* स्त्री से बातचीत भी वर्जित है। (साधनाकाल में)
* मन-कर्म-वचन की शुद्धि रखें।
मंत्र
।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।
- इस मंत्र को अज्ञानतावश आजमाने की कोशिश न करें।
- यह अत्यंत गोपनीय एवं दुर्लभ मंत्र है। इसे किसी सिद्ध पुरुष एवं प्रकांड विद्वान के मार्गदर्शन में ही करें।
- इस मंत्र को सिद्ध करने में अगर मामूली त्रुटि भी होती है तो इसका घोर नकारात्मक असर हो सकता है।
प्रयोग- 2
आम की लकड़ी से बने पटिए पर गुलाल बिछाएँ। अनार की कलम से रात्रि में एकसौ आठ बार मंत्र लिखें और मिटाते जाएँ। लिखते हुए मंत्र का उच्चारण भीजरूरी है। अंतिम मंत्र का पंचोपचार पूजन कर फिर से 1100 बार मंत्र काउच्चारण करें।
मंत्र को अपने सिरहाने रख कर सो जाए। लगातार 21 दिन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। यह मंत्र अक्सर होली, दीवाली या ग्रहणसे आरंभ किया जाता है। 21 दिन तक इसका प्रयोग होता है।
सावधानी :-
- मंत्र के पश्चात जिस कमरे में साधक सोए वहाँ और कोई नहीं सोए।
- जहाँ बैठकर मंत्र लिखा जाए वहीं पर साधक सो जाए वहाँ से उठे नहीं।
मंत्र :-
‘ॐ नम: कर्णपिशाचिनी मत्तकारिणी प्रवेशे अतीतानागतवर्तमानानि सत्यं कथय में स्वाहा।।‘
हैं। 
प्रयोग-3
इस प्रयोग में काले ग्वारपाठे कोअभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप कर नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तकजप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजार बार किया जाता है। 21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को कान में सभी अपेक्षित बातें स्पष्टसुनाई देने लग जाती हैं।
मंत्र : ओम ह्यीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा।।
नोट : अन्य सावधानियाँ पूर्व में दिए मंत्रों के समान ही हैं।
कर्णपिशाचिनी साधना के दौरान की गई मामूली त्रुटि भी दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकतीप है।
यह प्रयोग किसी सिद्ध पुरुष अथवा गुरु के मार्गदर्शन में ही संपन्न कियाजाए। प्रयोग 4 पूरी तरह से प्रयोग 3 की तरह है। लेकिन इस प्रयोग में मंत्रनया सिद्ध किया जाता है।
- मंत्र- ‘ओम् ह्रीं सनामशक्ति भगवति कर्णपिशाचिनी चंडरूपिणि वद वद स्वाहा।‘
प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप करनीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजारबार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध होता है और साधक को कान मेंसभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देती है।
- इस मंत्र ओम् प्रतिदिन 5 हजार जब करना अनिवार्य है।
- 21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है।
- कान में सारी बातें स्पष्ट् सुनने के लिए सभी‍ सावधानियाँ ध्यान में रखना आवश्यक है।
पाठकों की सुविधा के लिए तीसरे प्रयोग की विधि पुन: प्रस्तुत है:
प्रयोग-3
इस प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप करनीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजारबार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को कान मेंसभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देने लग जाती हैं।
नोट : कृपया कर्णपिशाचिनी साधना -1 व 2 भी अवश्य देखें।
कर्णपिशाचिनी साधना अत्यंत गोपनीय मानी जाती है। यह साधना किसी सिद्ध गुरुके मार्गदर्शन में ही संपन्न की जा‍ती है। 
इस प्रयोग मेंसाधक को गाय के गोबर में पीली मिट्टीि मिलाकर उससे पूरा कमरा लीपना चाहिए।उस पर हल्दी-कुँमकुँम-अक्षत डालकर कुशासन बिछाए।
भगवतीकर्णपिशाचिनी का विधिवत पूजन कर रूद्राक्ष की माला से 11 दिन तक प्रतिदिन 10 हजार मंत्र का जाप करे। इस तरह11 दिनों में कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जातीहै।
मंत्र : – ओम् हंसो हंस: नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी स्वाहा।।
प्रयोग – 6
इस प्रयोग में साधक को लाल वस्त्र पहनकर रात को घी का दीपक जलाकर नित्य 10 हजार मंत्र का जप करना चाहिए। इस प्रकार 21 दिन तक मंत्र का जप करने सेकर्णपिशाचिनी साधना सिद्ध हो जाती है। 
मंत्र – ओम् भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा
प्रयोग-7
कर्णपिशाचिनी के पूर्व में ‍वर्णित प्रयोगों की तुलना में यह प्रयोग सबसेअधिक पवित्र और महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि स्वयं वेद व्यास जी ने इसमंत्र को इसी विधि द्वारा सिद्ध किया था।
सबसे पहले आधी रात को (ठीक मध्यरात्रिको कर्णपिशाचिनी देवी का ध्यान करें। फिर लाल चंदन (रक्तचंदनसे मंत्र लिखें। यह मंत्र बंधक पुष्प से ही पूजा जाता है। ‘ओम अमृतकुरू कुरू स्वाहा‘ इस मंत्र से लिखे हुए मंत्र की पूजा करनी चाहिए। बाद मेंमछली की बलि देनी चाहिए।
बलि निम्न मंत्र से दी जानी चाहिए।
”ओम कर्णपिशाचिनी दग्धमीन बलि
गृहण गृहण मम सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा।”
रात्रि को पाँच हजार मंत्रों का जाप करें। प्रात: काल निम्नलिखित मंत्र से तर्पण किया जाता है -
”ओम् कर्णपिशाचिनी तर्पयामि स्वाहा”
कर्णपिशाचिनी मंत्र
”ओम ह्रीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा”
चेतावनी – यह मंत्र साधनाएँ आसान प्रतीत होती हैं किंतु इनके संपन्न करनेपर मामूली सी गलती भी साधक के लिए घातक हो सकती है। साधक इन्हें किसीविशेषज्ञ गुरु के साथ ही संपन्न करें। पाठकों को जानकारीदी जाती है किकर्णपिशाचिनी साधना के प्रयोगों की श्रृंखला अब संपूर्ण हो रही!!
यह तन्त्र मित्रों को मात्र ग्यानार्थ दे रहा हुँ !! किसि भी प्रकार कि साधना करने से पुर्व उस साधना को जानने वाले साधक से दिक्षा ले कर ही प्रारंभ करे या मार्ग दर्षण में करे !!इन साधनाओ का गलत स्तेमाल करने वाले के साथ गलत ही होगा !! यह प्रकृ्ति का शास्वत नियन है कि जो जैसा करता है वैसे भरता है !!जो जैसा बोता है वैसा ही फ़ल प्राप्त होता है!!

स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखिये एक सेठ था, वो दिन-रात काम-धँधा बढ़ाने में लगा रहता था, उसको शहर का सबसे अमीर आदमी बनना था। धीरे-धीरे वह नगर सेठ बन गया।...


स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखिये
एक सेठ था, वो दिन-रात काम-धँधा बढ़ाने में लगा रहता था, उसको शहर का सबसे अमीर आदमी बनना था। धीरे-धीरे वह नगर सेठ बन गया।
इस कामयाबी की ख़ुशी में उसने एक शानदार घर बनवाया। गृह प्रवेश के दिन उसने एक बहुत बड़ी पार्टी दी और जब सारे मेहमान चले गए तो वो अपने कमरे में सोने के लिए गया।

वो जैसे ही बिस्तर पर लेटा एक आवाज़ उसके कानो में पड़ी...

मैं तुम्हारी आत्मा हूँ, और अब मैं तुम्हारा शरीर छोड़ कर जा रही हूँ !!

सेठ घबरा के बोला, अरे तुम ऐसा नहीं कर सकती, तुम्हारे बिना तो मैं तो मर ही जाऊँगा, देखो मैंने कितनी बड़ी कामयाबी हांसिल की है, तुम्हारे लिए करोड़ों रूपये का घर बनवाया है, इतनी सारी सुख-सुविधाएं सिर्फ तुम्हारे लिए ही तो हे। यहाँ से मत जाओ।

आत्मा बोली, मेरा घर तो तुम्हारा स्वस्थ शरीर था, पर करोड़ों कमाने के चक्कर में तुमने इस अमूल्य शरीर का ही नाश कर डाला, तुम्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा, कमर दर्द आदि बीमारियों ने घेर लिया है। तुम ठीक से चल नहीं पाते, रात को तुम्हे नींद नहीं आती, तुम्हारा दिल भी कमजोर हो चुका है, तनाव की वजह से ना जाने और कितनी बीमारियों का घर बन चुका है तुम्हारा शरीर।

तुम ही बताओ क्या तुम ऐसे किसी घर में रहना चाहोगे जहाँ चारो तरफ कमजोर दिवारें हो, गंदगी हो, जिसकी छत टपक रही हो, जिसके खिड़की दरवाजे टूटे हों, नहीं रहना चाहोगे ना!!
...इसलिए मैं भी ऐसी जगह नहीं रह सकती।

...और ऐसा कहते हुए आत्मा सेठ के शरीर से निकल गयी...सेठ की मृत्यु हो गयी।

मित्रों, ये कहानी बहुत से लोगों की हकीकत है, ऐसा नहीं हे कि आप अपनी मंजिल पर मत पहुँचिये, पर जो भी करिये स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखिये, नहीं तो सेठ की तरह मंजिल पा लेने के बाद भी अपनी सफलता का लुत्फ नहीं उठा पाएँगे l

Saturday 16 August 2014

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!" न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा, ... ! न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक' मेरा होगा ... !!


"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... !
जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !!
वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... !
जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"
न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा, ... !
न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक' मेरा होगा ... !!
गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का, ... !
मेरा भी 'खाक' होगा, तेरा भी 'खाक' होगा ... !!
जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रांडेड' करने
वालों ... !
याद रखना 'कफ़न' का कोई ब्रांड नहीं होता ... !!
कोई रो कर 'दिल बहलाता' है ... !
और कोई हँस कर 'दर्द' छुपाता है ... !!
क्या करामात है 'कुदरत' की, 
'ज़िंदा इंसान' पानी में डूब जाता है और 'मुर्दा' तैर के
दिखाता है 
'मौत' को देखा तो नहीं, पर शायद 'वो' बहुत
"खूबसूरत" होगी, ... !
"कम्बख़त" जो भी 'उस' से मिलता है,
"जीना छोड़ देता है" ... !!
'ग़ज़ब' की 'एकता' देखी "लोगों की ज़माने
में" ... !
'ज़िन्दों' को "गिराने में" और 'मुर्दों' को "उठाने
में" ... !!
'ज़िन्दगी' में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री"
होगी, ... !
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से ना जाने कौनसी. "मुलाक़ात" "आख़री होगी" ... !!

माँ हिंगलाज वंदना श्री राम चंदर जी ने रावण संहार के दोसो से मुक्ति हेतु माँ हिंगलाज की शरणागत ली माँ हिंगलाज ही एकमात्र देवी हैं ....


आनन्द कंद दायिनी हृदय कपाट खोलनी
               आदेश आदेश
            जय माँ हिंगलाज 
     माँ हिंगलाज वंदना श्री राम चंदर जी 
ने रावण संहार के दोसो से मुक्ति हेतु माँ हिंगलाज की शरणागत ली माँ हिंगलाज ही एकमात्र देवी हैं जो जनम जन्मान्तर के पापो को नस्ट करके हमें गति देती हैं माँ की महिमा अति अनंत हैं कोई भी योगी इनकी सहायता के बिना आपने शरीर में स्थित चकरो जाग्रत नहीं कर सकता एवम जनम मरण के बंधन से मुक्त नहीं हो सकता यह शिव कथन हैं महादेव की आज्ञा से ही भगवान राम ने माँ हिंगलाज की अराधना करके आपने मनुष्य शरीर का उद्धार किया ।।।आदेश आदेश
* प्रचंड दंड बाहु चंडयोग निद्रा भैरवी भुजंग केश कुण्डलाय कंठला मनोहरी निकंद कामक्रोध दैत्य असुर कल मर्दनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

रक्त सिंह आसनी, सावधान शंकरी कुठार खडग खप्र धार कर दलन महेश्वरी निशुम्भ शुम्भ रक्तबीज दैत्य तेज भंजनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

जवाहर रत्न बेल केल सर्व कर्म लोलनी व्याल भाल चन्द्रकेतु पुष्प मालमेखली चंड मुंड गर्जनी सुनाद विन्ध्यवासिनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

गजेन्द्र चालकाल धूमकेतुचाल लोचनी उदार नेत्र तिमिर नाश सुशोभशेष शांकरी अनादि सिद्ध साध लोक सप्तद्वीप विराजनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

शैल शिखर राजनीजोग जुगत कारिणी चंड मुंड चूर कर सहस्त्र भुजाधारिणी कराल केश भेष भूतअनन्त रूप दायिनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

कलोललोल लोचनी आनन्द कंद दायिनी हृदय कपाट खोलनी सुशेष शब्द भाषिणी धर्मकर्मजन्म जातभक्ति मुक्ति दायिनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

अलोक लोक राजनी दिव्य देव वर दायिनी त्रिलिक शोक हारिणी सत्य वाक्य बोलनी आदि अन्त मध्य मात तेरो रूप सर्जनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ...

कुबेर वरुण इन्द्रादि सिद्ध साध रंचनी अगम्य पंथ दर्श मात जन्म कष्ट हारिणी श्री रामचंद्र शरण मात अमर पद दायिनी नमोस्तुमात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी ..