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Monday 18 August 2014

21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्ननहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जासकता है।..


21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है
एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्ननहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जासकता है। स्वयं करने से इसके नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं।
प्रयोग 1
यहप्रयोग निरंतर ग्यारह दिन तक किया जाता है। सर्वप्रथम काँसे की थाली मेंसिंदूर का त्रिशूल बनाएँ। इस त्रिशूल का दिए गए मंत्र द्वारा विधिवत पूजनकरें। यह पूजा रात और दिन उचित चौघड़िया में की जाती है।
गाय केशुद्ध घी का दीपक जलाएँ और 1100 मंत्रों का जाप करें। रात में भी इसीप्रकार त्रिशूल का पूजन करें। घी एवं तेल दोनों का दीपक जलाकर ग्यारह सौबार मंत्र जप करें।
इस प्रकार ग्यारह दिन तक प्रयोग करने पर कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है। तत्पश्चात् किसी भी प्रश्न का मन में स्मरणकरने पर साधक के कान में ‍पिशाचिनी सही उत्तर दे देती है।
सावधानियाँ :
एक समय भोजन करें।
* काले वस्त्र धारण करें।
* स्त्री से बातचीत भी वर्जित है। (साधनाकाल में)
* मन-कर्म-वचन की शुद्धि रखें।
मंत्र
।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।
- इस मंत्र को अज्ञानतावश आजमाने की कोशिश न करें।
- यह अत्यंत गोपनीय एवं दुर्लभ मंत्र है। इसे किसी सिद्ध पुरुष एवं प्रकांड विद्वान के मार्गदर्शन में ही करें।
- इस मंत्र को सिद्ध करने में अगर मामूली त्रुटि भी होती है तो इसका घोर नकारात्मक असर हो सकता है।
प्रयोग- 2
आम की लकड़ी से बने पटिए पर गुलाल बिछाएँ। अनार की कलम से रात्रि में एकसौ आठ बार मंत्र लिखें और मिटाते जाएँ। लिखते हुए मंत्र का उच्चारण भीजरूरी है। अंतिम मंत्र का पंचोपचार पूजन कर फिर से 1100 बार मंत्र काउच्चारण करें।
मंत्र को अपने सिरहाने रख कर सो जाए। लगातार 21 दिन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। यह मंत्र अक्सर होली, दीवाली या ग्रहणसे आरंभ किया जाता है। 21 दिन तक इसका प्रयोग होता है।
सावधानी :-
- मंत्र के पश्चात जिस कमरे में साधक सोए वहाँ और कोई नहीं सोए।
- जहाँ बैठकर मंत्र लिखा जाए वहीं पर साधक सो जाए वहाँ से उठे नहीं।
मंत्र :-
‘ॐ नम: कर्णपिशाचिनी मत्तकारिणी प्रवेशे अतीतानागतवर्तमानानि सत्यं कथय में स्वाहा।।‘
हैं। 
प्रयोग-3
इस प्रयोग में काले ग्वारपाठे कोअभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप कर नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तकजप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजार बार किया जाता है। 21 दिनों मेंमंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को कान में सभी अपेक्षित बातें स्पष्टसुनाई देने लग जाती हैं।
मंत्र : ओम ह्यीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा।।
नोट : अन्य सावधानियाँ पूर्व में दिए मंत्रों के समान ही हैं।
कर्णपिशाचिनी साधना के दौरान की गई मामूली त्रुटि भी दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकतीप है।
यह प्रयोग किसी सिद्ध पुरुष अथवा गुरु के मार्गदर्शन में ही संपन्न कियाजाए। प्रयोग 4 पूरी तरह से प्रयोग 3 की तरह है। लेकिन इस प्रयोग में मंत्रनया सिद्ध किया जाता है।
- मंत्र- ‘ओम् ह्रीं सनामशक्ति भगवति कर्णपिशाचिनी चंडरूपिणि वद वद स्वाहा।‘
प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप करनीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजारबार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध होता है और साधक को कान मेंसभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देती है।
- इस मंत्र ओम् प्रतिदिन 5 हजार जब करना अनिवार्य है।
- 21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है।
- कान में सारी बातें स्पष्ट् सुनने के लिए सभी‍ सावधानियाँ ध्यान में रखना आवश्यक है।
पाठकों की सुविधा के लिए तीसरे प्रयोग की विधि पुन: प्रस्तुत है:
प्रयोग-3
इस प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप करनीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजारबार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को कान मेंसभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देने लग जाती हैं।
नोट : कृपया कर्णपिशाचिनी साधना -1 व 2 भी अवश्य देखें।
कर्णपिशाचिनी साधना अत्यंत गोपनीय मानी जाती है। यह साधना किसी सिद्ध गुरुके मार्गदर्शन में ही संपन्न की जा‍ती है। 
इस प्रयोग मेंसाधक को गाय के गोबर में पीली मिट्टीि मिलाकर उससे पूरा कमरा लीपना चाहिए।उस पर हल्दी-कुँमकुँम-अक्षत डालकर कुशासन बिछाए।
भगवतीकर्णपिशाचिनी का विधिवत पूजन कर रूद्राक्ष की माला से 11 दिन तक प्रतिदिन 10 हजार मंत्र का जाप करे। इस तरह11 दिनों में कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जातीहै।
मंत्र : – ओम् हंसो हंस: नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी स्वाहा।।
प्रयोग – 6
इस प्रयोग में साधक को लाल वस्त्र पहनकर रात को घी का दीपक जलाकर नित्य 10 हजार मंत्र का जप करना चाहिए। इस प्रकार 21 दिन तक मंत्र का जप करने सेकर्णपिशाचिनी साधना सिद्ध हो जाती है। 
मंत्र – ओम् भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा
प्रयोग-7
कर्णपिशाचिनी के पूर्व में ‍वर्णित प्रयोगों की तुलना में यह प्रयोग सबसेअधिक पवित्र और महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि स्वयं वेद व्यास जी ने इसमंत्र को इसी विधि द्वारा सिद्ध किया था।
सबसे पहले आधी रात को (ठीक मध्यरात्रिको कर्णपिशाचिनी देवी का ध्यान करें। फिर लाल चंदन (रक्तचंदनसे मंत्र लिखें। यह मंत्र बंधक पुष्प से ही पूजा जाता है। ‘ओम अमृतकुरू कुरू स्वाहा‘ इस मंत्र से लिखे हुए मंत्र की पूजा करनी चाहिए। बाद मेंमछली की बलि देनी चाहिए।
बलि निम्न मंत्र से दी जानी चाहिए।
”ओम कर्णपिशाचिनी दग्धमीन बलि
गृहण गृहण मम सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा।”
रात्रि को पाँच हजार मंत्रों का जाप करें। प्रात: काल निम्नलिखित मंत्र से तर्पण किया जाता है -
”ओम् कर्णपिशाचिनी तर्पयामि स्वाहा”
कर्णपिशाचिनी मंत्र
”ओम ह्रीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा”
चेतावनी – यह मंत्र साधनाएँ आसान प्रतीत होती हैं किंतु इनके संपन्न करनेपर मामूली सी गलती भी साधक के लिए घातक हो सकती है। साधक इन्हें किसीविशेषज्ञ गुरु के साथ ही संपन्न करें। पाठकों को जानकारीदी जाती है किकर्णपिशाचिनी साधना के प्रयोगों की श्रृंखला अब संपूर्ण हो रही!!
यह तन्त्र मित्रों को मात्र ग्यानार्थ दे रहा हुँ !! किसि भी प्रकार कि साधना करने से पुर्व उस साधना को जानने वाले साधक से दिक्षा ले कर ही प्रारंभ करे या मार्ग दर्षण में करे !!इन साधनाओ का गलत स्तेमाल करने वाले के साथ गलत ही होगा !! यह प्रकृ्ति का शास्वत नियन है कि जो जैसा करता है वैसे भरता है !!जो जैसा बोता है वैसा ही फ़ल प्राप्त होता है!!

2 comments:

  1. Pryogh-2, I had done in gharan time and if you're do 500 time in gharha you looking her in you're dream I known about her my self 091-9829988282

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  2. Very nice Article keep posting article like this.lal gunja
    very informative article contains very knowledge and nice one Ek Mukhi Rudraksha Please write more article regularly

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