Advt

Saturday 31 May 2014

जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत पुदीना : विभिन्न भाषाओं में यह भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है | हिंदी में इसे पुदीना और पोदीना, मराठी में पंदिना, बंगला में पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, पुदिन:, गुजराती में फुदिनो, अंग्रेजी में स्पियर मिंट तथा लैटिन भाषा में मेंथा सैटाइवा व मेंथा विरिडस इत्यादि नामों से जाना जाता है|.....


जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत
पुदीना : विभिन्न भाषाओं में यह भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है | हिंदी में इसे पुदीना और पोदीना, मराठी में पंदिना, बंगला में पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, पुदिन:, गुजराती में फुदिनो, अंग्रेजी में स्पियर मिंट तथा लैटिन भाषा में मेंथा सैटाइवा व मेंथा विरिडस इत्यादि नामों से जाना जाता है|

यह कफ वात शामक, वातानुमोलक, कृमिघ्न, हृदयोत्तेजक, दुर्गन्धनाशक, वेदना स्थापक, कफ नि:सारक है| इसमें विटामिन 'ए' की भरपूर मात्रा होती है। 
अरुचि, अपच, अतिसार, अफारा, श्वास, कास, ज्वर, मूत्ररोग इत्यादि में अति उत्तम माना गया है| वैसे तो पुदीना पूरे वर्ष पाया जाता है किन्तु इसका सर्वाधिक उपयोग गर्मियों में होता है|

- पुदीना निम्न और उच्च दोनों ही रक्तचाप के लिए लाभकारी है| यह ध्यान रहे कि उच्चरक्तचाप के मरीज पुदीना सेवन में नमक का प्रयोग न करें| निम्न रक्तचाप के मरीज को पुदीने में कालीमिर्च व सेंधा नमक मिला कर सेवन करना चाहिए| 
-पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नीबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की बीमारियों में आराम दिलाता है।

- पुदीने का रस कालीमिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत मिलती है।

- सिरदर्द में ताजी पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

- मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है। 

- पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एकचम्मच पुदीने के रस को एक प्याला पानी में मिलाकर पिएँ।

- अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है। 

- पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं। 

- एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।

- पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है। 

- पुदीने का रस रोज रात को सोते हुए चेहरे पर लगाने से कील, मुहाँसे और त्वचा का रूखापन दूर होता है।

शनि की शांति होती है। प्रति शनिवार तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को तेल दान करें। - हर शनिवार को काली वस्तुओं का दान करें। जैसे काले तिल, काले वस्त्र, काला कंबल, काला कपड़ा, काली छतरी का दान करें।....


शनि की शांति होती है।
प्रति शनिवार तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को तेल दान करें।

- हर शनिवार को काली वस्तुओं का दान करें। जैसे काले तिल, काले वस्त्र, काला कंबल, काला कपड़ा, काली छतरी का दान करें।

- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शनि मंत्रों का जाप सबसे सटीक उपाय है -

(अ) 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।'
(ब) 'ॐ शं शनये नम:।' 
- शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए 7 प्रकार के अनाज व दालों को मिश्रित करके पक्षियों को चुगाएं।

- कडवे तेल में परछाई देखकर, उसे अपने ऊपर सात बार उसारकर दान करें, पहना हुआ वस्त्र भी दान दे दें, पैसा या आभूषण आदि नहीं। 

बिगड़े हुए शनि अथवा इसकी साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए अनेक सरल और मनोवैज्ञानिक उपाय हैं । जैसे अपना काम स्वयं करना, फिजूलखर्च से बचना, कुसंगति से दूर रहना, बुजुर्गों का आदर करना, दान पुण्य के तौर पर दीन दुखी की सहायता करना, अन्न- वस्त्र दान समाज सेवा व परोपकार से अभिप्रेरित होकर शनि का दुष्प्रभाव घटता जाता है। अनेक सज्जन शनिवार के दिन तेल खिचड़ी फल सब्जी आदि का भी दान कर सकते हैं । 

शनि दान जप आदि करने से साढ़ेसाती के फल पीडादायक नहीं होते हैं। गुरूद्वारा मंदिर देवालय तथा सार्वजनिक स्थलों की स्वयं साफ सफाई करने रोगी और अपंग व्यक्तियों को दान देने से भी शनि की शांति होती है http://lifecanbechanged.com/

हमारे ज्योतिष-शास्त्रों में वर्णन है कि हमारे ज्योतिष-शास्त्रों में वर्णन है कि लग्नेश, पंचमेश और नवमेश का नग कोई भी पहिन सकता है।......


हमारे ज्योतिष-शास्त्रों में वर्णन है कि
 हमारे ज्योतिष-शास्त्रों में वर्णन है कि लग्नेश, पंचमेश और नवमेश का नग कोई भी पहिन सकता है। यह पिछले कुछ वर्षों से ही अधिक प्रचलन में आया है कि दशा आदि के अनुसार नग पहिनाए जाएँ । क्योंकि मतों में मूलभूत अंतर है, मैं इस पर कोई अनावश्यक बहस में भी पड़ना नहीं चाहता।
मेष, कर्क, सिंह, वृशिक, धनु और मीन लग्न वाले - मोती, माणिक, मूंगा और पुखराज में से ही , अगर आवश्यक हो तो कोई एक या एक से अधिक नग पहिन सकते है (आवश्यक नहीं कि पहने ही)। इनको नीलम, हीरा, ओपल, सफ़ेद पुखराज,पन्ना, गोमेद व लहसुनिया बहुत ही अच्छे जानकार ज्योतिषी कि सलाह के बिना नहीं पहनना चाहिए।
उपाय - इन लग्नों वाले लोग चाहें और आवश्यक हो तो - शनि के लिए छाया-दान, शुक्रवार को शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाना, इसी दिन दूध, चावल, चीनी अथवा खीर का दान, बुधवार को गाय को हरा चारा, किन्नर को हरे कपड़े का दान, सबूत मूंग पक्षियों को डालना अथवा दान, व राहू-केतू के उपाय आवश्यकतानुसार करने चाहिएँ।
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुम्भ लग्न वाले आवश्यकतानुसार नीलम, हीरा, ओपल, सफ़ेद पुखराज।पन्ना, गोमेद व लहसुनिया पहिन सकते हैं। इनको मोती, माणिक, मूंगा और पुखराज कभी नहीं पहनना चाहिए।
उपाय - इन लग्नों वाले लोग चाहें और आवश्यक हो तो - सोमवार को शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाना, इसी दिन दूध, चावल, चीनी अथवा खीर का दान, मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में पीले लड्डू अथवा बूंदी का प्रसाद चड़ाना, वीरवार को विष्णु मंदिर में केले अथवा पीले लड्डुओं को चड़ाना, आदि कर सकते हैं।
नोट - जो नग मैंने लिखे हैं, वह लग्नेश, पंचमेश और नवमेश के 6/8/12 भावों में होने पर भी पहिन सकते हैं।

Friday 30 May 2014

जो चाहा कभी पाया नहीं, जो पाया कभी सोचा नहीं, जो सोचा कभी मिला नहीं, जो मिला रास आया नहीं, जो खोया वो याद आता है.....


बहुत अच्छे अल्फाज है
बोल कर पढंना बहुत सकुन मिलेगा

जो चाहा कभी पाया नहीं,
जो पाया कभी सोचा नहीं,
जो सोचा कभी मिला नहीं,
जो मिला रास आया नहीं,
जो खोया वो याद आता है
पर.....जो पाया संभाला जाता नहीं ,
क्यों...??
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी
जिसको कोई सुलझा पाता नहीं.!
जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है,
क्योंकि,
झुकता वही है जिसमें जान होती है,
अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है!
पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो.!
दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो.!
जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
पत्थर भी भगवान नहीं होता।
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है;
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है;
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं;
जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है।
चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ;
बहुत कुछ बोलो पर कुछ ना छुपाओ;
खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ;
राज़ है ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ।

Thursday 29 May 2014

जन्मकुंडली को जानना खुद को बहुत अच्छी तरह से जानने के बराबर है। जन्मपत्रिका – जन्मकुंडली, जन्म राशि, जन्मपत्रिका ज्योतिषशास्त्र.......


जन्मकुंडली को जानना खुद को बहुत अच्छी तरह से जानने के बराबर है।
जन्मपत्रिका – जन्मकुंडली, जन्म राशि, जन्मपत्रिका ज्योतिषशास्त्र
=====================================
जन्म कुंडली- अपने और अपने जीवन के बारे में पता करने का सबसे अच्छा तरीका है। किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली जन्म के समय ‘आकाश के नक्शे’ की तरह है। इसलिए जन्म के समयराशि चक्र में ग्रहों की स्थिति का व्यक्ति के जीवन पर प्रबल प्रभाव पड़ेगा। इसे ज्यादातर जन्मकुंडली के नाम से जाना जाता है। दूसरे नाम मूलांक और जन्मकाल भी हैं। जन्मकुंडली में सबसे पहले व्यक्ति के जन्म के समय का आर.ए.एम.सी. की गणना की जाती है। इसके बाद स्थानीय समय पर आधारित जन्मकाल का लग्न तय किया जाता है। इन सबके बाद दिए हुए घर प्रणाली के आधार पर घरों की गणना की जाती है।
एक बार जब जन्म कुंडली तैयार हो जाए तो जन्म के समय ग्रहों की स्थिति की गणना करके उसे जन्मकुंडली में डाल दिया जाता है। वैदिक ज्योतिष में सारणी, अन्य प्रभागीय चार्ट और दशा भुक्ति की भी गणना की जाती थी जिसे व्यापक रूप से ग्रहों की अवधि के रूप में जाना जाता है। कुंडली तैयार है और अब भविष्य के बारे में बताया जा सकता है।
यहां आपको आश्चर्य हो सकता है कि जन्मकुंडली का लाभ क्या है? खैर, यह आपका सिर से पांव तक वर्णन करता है। ग्रहों की कोडित भाषा आप के भीतर और बाहर क्या है इसके बारे में संकेत देता है। यह व्यक्ति से संबंधित कुछ भी नापने का पैमाना है। संक्षेप में जन्मकुंडली व्यक्ति को भीतर बाहर जानने का एक शक्तिशाली उपकरण है। यदि आप उस व्यक्ति को अच्छी तरह जानते हैं तो आपको यह पता होगा कि उसके साथ आपको कैसा व्यवहार करना है और आप उस व्यक्ति को कैसे संभाल सकते है। कभी कभी, हम एक व्यक्ति से उसकी क्षमता से परे की उम्मीद कर लेते हैं। इससे दोनों को वैमनस्य और निराशा हो सकती है। लेकिन हम जन्मकुंडली से उस व्यक्ति का उज्ज्वल और कमजोर पक्ष जान सकते हैं और फिर उसके अनुसार बर्ताव कर सकते हैं। एक बेहतर और स्वस्थ समाज का विचार है, जो तभी संभव हो सकता है जब हमें व्यक्ति के सामर्थ्य का पता हो।
जन्मकुंडली जीवन की संभावित घटनाओं पर आधारित है। कुंडली इस बात की भविष्यवाणी करती है कि आपके भाग्य में क्या है और क्या नहीं है।जैसे कि, अगर कोई व्यक्ति किसी भी तरह की मास्टर डिग्री प्राप्त नहीं कर रहा है (जन्म कुंडली में उच्च शिक्षा 9वें घर में आता है), यहां तक कि ग्रहों की सर्वोत्तम गति या दशा भुक्ति कोई सहायता नहीं कर सकता। यदि ग्रहों की गति को जन्म के समय ग्रहों की अनुपस्थिति में देखा जाता है तो भविष्यवाणी गलत हो जाएगी। कुछ लोग जो लग्न की स्थिति पर विचार कर भविष्यवाणी शुरू कर देते हैं वे पूरी तरह से गलत हो सकते हैं। ग्रहों की स्थिति के साथ जन्म कुंडली को आपके लिए संभावित चीजों और परिस्थितियों के बुनियादी कारकों की आवश्यकता होती है।
जन्मकुंडली एक शक्तिशाली उपकरण है जिसपर यदि आप विश्वास करते हैं तो यह जीवन में सही दिशा चुनने में आपकी मदद कर सकती है। और यदि आप पहले से ही सही रास्ते पर हैं, तो जन्मकुंडली का पालन करके आसानी और ख़ुशी से लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। जन्मकुंडली को जानना खुद को बहुत अच्छी तरह से जानने के बराबर है।

अगला जन्म किस योनि मे होगा द्रेष्काण्ड कुंडली के आधार पर जाने कि पिछले जन्म मे आप क्या थे और अगला जन्म किस योनि मे होगा ?......


अगला जन्म किस योनि मे होगा
द्रेष्काण्ड कुंडली के आधार पर जाने कि पिछले जन्म मे आप क्या थे और अगला जन्म किस योनि मे होगा ?
हर इंसान की जिज्ञासा रहती है कि हम अपना पिछला और अगला जन्म जाने पर कोई बताने वाला ही नहीं होता है । यह आप अपनी कुंडली के माध्यम से जान सकते है । आप अपनी कुंडली खोलकर देखे कि आप पिछले जन्म मे क्या थे । अगर आपकी ड्रेष्कांड कुंडली का नवमेश स्वराशि मे हो या जन्म कुंडली मे स्वराशि या उच्च हो या मित्र क्षेत्री हो मनुष्य पिछले जन्म मे मनुष्य ही था । तथा बड़े घर मे था जैसे राजा , सेनापति या पुलिश अधिकारी । अगर आपकी कुंडली मे पंचमेश का यही योग है तो अगले जन्म मे आप मनुष्य ही बनोगे तथा बड़े खानदान मे जन्म होगा । 
अगर ड्रेष्कांड कुंडली का नवमेश सम राशि राशि मे हो पिछले जन्म मे आप पशु थे । अगर यही योग पंचमेश के साथ हो तो अगले जन्म मे पशु बनोगे । और अगर नवमेश शस्त्रु राशि मे हो तो पक्षी थे। अगर यही योग पंचमेश के साथ हो अगले जन्म मे पक्षी बनोगे । यह आपका भाग्य है जो आपकी कुंडली मे लिखा होता है । भाग्य को कर्म से बदला जा सकता है । आप अपने जन्म की दिशा बदल सकते हो ।

Wednesday 28 May 2014

कुंडली मिलान पर एक टिपण्णी विवाह के लिए किये जाने वाले कुंडली मिलान पर एक टिपण्णी ज्योतिष शास्त्र में गुण मिलान करके विवाह करवाने कि परंपरा की ......


कुंडली मिलान पर एक टिपण्णी
विवाह के लिए किये जाने वाले कुंडली मिलान पर एक टिपण्णी
ज्योतिष शास्त्र में गुण मिलान करके विवाह करवाने कि परंपरा की 
उत्पत्ति कब से हुई इसका उल्लेख कही भी पढने में नहीं आता हे,जो 36 
गुणो कि संख्या कुंडली मिलान के लिए मानी गई हे इसके बारे में कोई भी 
शास्त्र सम्मत या शास्त्र शुद्ध कारण नहीं मिलता,नाडी,योनि,गण इन जैसी नक्षत्रों कि सांकेतिक जानकारी देने वाली मूल संकल्पना का विचित्र अर्थ 
लगाकर उसका विवाह मिलान के कोष्ठक में उपयोग करना यंह सिर्फ 
गलत तर्को पर आधारित हे,आध्य,मध्य,अन्त्य आदि नाड़ियां राक्षस 
मनुष्य,देव आदि गण और राशी कूट के कोष्ठक को देखें तो प्रत्येक राशी 
का बारा राशीयों में से 6 राशीयों से मिलान होता हे.
ऊपर लिखे चार माध्यमों के अनुक्रम में नाड़ी-8, योनि-4,गण-६,गुण 
राशी कूट-7 गुण मिलाकर कुल 25 गुण होते हें,बाकी बचे 11 गुण वर्ण,वश्य 
तारा व गृह मैत्री को दिए हें,इस प्रकार दिए हुए नाड़ी,योनि,गण,राशी 
कूट इन में से कोई भी तीन भाग का मिलान होने पर वर-वधु दोनों कि 
कुंडली मेच हो गई हे ऐसा कहा जाता हे जेसे कि ---
(1) नाड़ी - 8 + योनि - 4 + गण - 6 = 18 गुण 
(2) नाड़ी - 8 + योनि - 4 + राशी कूट - 7= 19 गुण 
(3) गण - 6 + नाड़ी -8 + राशी कूट - 7 = 21 गुण
इसका अर्थ ऊपर लिखे- 4 मुख्य भागो में से कोई भी तीन भाग का मिलान होने पर कुंडली मिलान हो जाती हे,क्यों कि कम से कम 18 गुण 
तो मिलते ही हें,बाकी बचे वर्ण,वश्य,तारा तथा गृह मैत्री इनमे से 2 - 4
गुण तो मिल ही जाते हें,इस प्रकार गुण मिलने पर भी नाड़ी,गण व मंगल 
दोष के बारे में सामान्य व्यक्ति या "अधूरे ज्ञान वाला व्यक्ति" जिनको 
ज्योतिष शास्त्र कि कोई समझ नहीं प्रति प्रश्न करते हे,अपनी राय देने 
लगते हें,मेरा प्रथम आक्षेप यह हे कि जिन नक्षत्रों व राशीयों पर यह गुण मिलान कोष्ठक आधारित हे व सामान्य रूप से इसके पीछे जो संकल्पना 
कही जाती हे वह ज्योतिष शास्त्र कि कसोटी पर कितनी खरी उतरती हे-?
नाड़ी का अर्थ लगते समय आयुर्वेद में कही गई तीन प्रकृति वात,कफ,पित्त 
इत्यादि का सम्बन्ध जोड़ा जाता हे व सम प्रकृति का विवाह त्याज्य माना 
किन्तु शास्त्रों में नाड़ी दोष का परिहार (१ ) दोनों कि राशि एक और नक्षत्र 
भिन्न हो (२) दोनों का नक्षत्र एक और राशीयाँ भिन्न भिन्न-भिन्न हो 
(३) दोनों का नक्षत्र एक और चरण भिन्न-भिन्न हो किन्तु क्या इस प्रकार 
का समझोता करके मिलान करने से होनेवाले दुष्परिणाम का परिहार हो 
जाता हे ? कुछ ज्योतिष के "विद्वान" ? ऐसा भी बोलते हुए देखे गए हें कि 
लडके का ब्लड ग्रुप देखो और यदि ब्लड ग्रुप अलग-अलग हे तो नाड़ी दोष 
होने पर भी विवाह कर सकते हें,ब्लड ग्रुप का और ज्योतिष शास्त्र में वर्णित नाड़ी के सम्बन्ध का चिकित्सा शास्त्र में कही भी उल्लेख नहीं हे 
नाड़ी का चिकित्सा शास्त्र में कहीं भी उल्लेख नहीं हे
सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह हे कि जिस नक्षत्र व राशी का आधार गुण 
मिलानके लिए किया जाता हे उस राशी नक्षत्र के सर्व गुणधर्म उस 
जातक में होते हें क्या ? देवगण वाला जातक क्या वास्तव में देवगुणी 
या सत्वगुणी होता हे ? कम से कम अपने वैवाहिक जोड़ीदार के साथ 
सत्वगुणी धर्म का पालन करता हे क्या ?अनेक देवगण वाले जातकों 
के विवाह बाह्य सम्बन्ध देखने में आते हें, राक्षस गण वाला जातक क्या 
रजोगुणी होता हे ? आज के आधुनिक युग के परिपेक्ष में यह सारी
बातें गलत प्रतीत होती हें,इस विषय पर ज्योतिर्विदों द्वारा और भी 
संशोधन होना अति आवश्यक हे.
99% से अधिक विवाहितों कि कुंडली में निश्चित रूप से विधुर या 
विधवा योग होता ही हे,उंगली पर गिनती करने जैसी विवाहित जोड़ों 
कि एक साथ मृत्यु होती हे,इसका यह अर्थ नहीं हे कि अकाल आने 
वाले वैधव्य या विधुर अवस्था का विचार ही न किया जाये,किन्तु 
उसके लिए जो तर्क दिए जाते हें वह निश्चित ही आक्षेपार्ह हें,एक ही 
नक्षत्र राशी में नहीं अपितु एक ही नवमांश में जन्मे दो भिन्न व्यक्तियों 
के गुणधर्म अलग-अलग देखने में आते हें तो उस आधार पर किये गए 
गुण मिलान यह विवाह के लिए निश्चित ही बेकार हें
इसलिए वर - वधु कि कुंडलियों का ज्योतिर्विद द्वारा सम्पूर्ण अभ्यास 
करने के बाद ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए,इसमे गुणो के मिलान 
करने के बजाय दोनों के स्वभाव,आयुष्मान,धन स्थिति,आरोग्य 
संतति व विवाह के बाद कि स्थिति,विवाह के लिए योग्य समय इन 
सब परिस्थितियों का विचार करना आवश्यक हे,ये सब बातें मिलने 
के बाद पंचांग में देखकर गुण मिलान करने कि कोई आवश्यकता 
नहीं रहती यह में अपने आज तक के अनुभव के आधार पर कह रहा 
हूँ,लेकिन पंचांग देखने के अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान न होने 
होने वाले विद्वान ? सिर्फ पंचांग में गुण देखकर कुंडली रख देते हें 
छाती ठोककर कहतें हें कि तीस गुण मिल रहे हें,बिनधास्त होकर 
विवाह करो बाद में विवाहित जोड़े का कुछ भी नुकसान हो उनको तो 
अपनी फीस मिल जाती हे

Tuesday 27 May 2014

यह मेरी youtube की वीडियो है जिसमे मैंने बताया है की हमने लाल किताब और ज्योतिष विद्या के दुवारा आज कल कई युग बीमारिया जैसे : शुगर , हार्ट अटैक , ब्लड प्रेशर ,कैंसर , जिन्ट्स पैन , डिप्रेशन , और भी गम्बीर बीमारियो का हल लाल किताब और ज्योतिष विद्या के आसान और अचूक उपपायो सेह किआ जायेगा। ……।



                                    http://lifecanbechanged.com/

यह मेरी youtube  की वीडियो है जिसमे मैंने बताया है की हमने लाल किताब और ज्योतिष विद्या के दुवारा आज कल कई युग  बीमारिया जैसे : शुगर , हार्ट अटैक , ब्लड प्रेशर ,कैंसर , जिन्ट्स पैन , डिप्रेशन , और भी गम्बीर बीमारियो का हल लाल किताब और ज्योतिष विद्या के आसान और अचूक उपपायो सेह किआ जायेगा। ……। 
                                         पं म डी वशिष्ट। ……… 
          लाल किताब एक्सपर्ट एंड नुमेरोलोजिष्ट। .... 

राम बाण औषधि- साफ सिलबट्टे पर जिस पर मसाला न पिसा हो 25 से50 तुलसी के पत्ते खरल कर ले,ऐसे पिसे हुए पत्ते 6-10 ग्राम तक ले ओर ताजा दही या शहद .......


यह रामबाण औषधि है।
राम बाण औषधि-

साफ सिलबट्टे पर जिस पर मसाला न पिसा हो 25 से50 तुलसी के पत्ते खरल कर ले,ऐसे पिसे हुए पत्ते 6-10 ग्राम तक ले ओर ताजा दही या शहद में मिलाकर खिलाये (दूध,मे भुलकर भी न दे)
यह दवा प्रात: काल एक ही बार खाली पेट लें।
और 3-4 माह तक लें।
तो गठिया का दर्द,खांसी,सर्दी जनकाम,गुर्दे की बीमारी,गुर्दे का काम न करना, सफेद दाग का कोढ, शरीर का मोटापा वृद्धावस्था की कमजोरी,पेचिश, अम्लता,मंदाग्नि,कब्ज,गैस,पुराने से पुराना सिर दर्द,दिमागी कमजोरी, हाइ व लो ब्लड प्रेशर, श्वास रोग, झुर्रिया,विटामीन ए और सी की कमी, रूका हुआ रक्त स्त्राव, आंखे आने व दुखने तथा खसरा मे यह रामबाण औषधि है।

शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने के कुदरती उपचार- 1) चर्बी घटाने के लिये व्यायाम बेहद आवश्यक उपाय है।एरोबिक कसरतें लाभप्रद होती हैं। आलसी जीवन शैली से मोटापा बढता है। अत: सक्रियता बहुत जरूरी है।.....


शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने के कुदरती उपचार
शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने के कुदरती उपचार-

1) चर्बी घटाने के लिये व्यायाम बेहद आवश्यक उपाय है।एरोबिक कसरतें लाभप्रद होती हैं। आलसी जीवन शैली से मोटापा बढता है। अत: सक्रियता बहुत जरूरी है।

2) शहद मोटापा निवारण के लिये अति महत्वपूर्ण पदार्थ है। एक चम्मच शहद आधा चम्मच नींबू का रस गरम जल में मिलाकर लेते रहने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी नष्ट होती है। यह दिन में 3 बार लेना कर्तव्य है।

3 पत्ता गोभी(बंद गोभी) में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबोलिस्म ताकतवर बनता है। फ़लत: ज्यादा केलोरी का दहन होता है। इस प्रक्रिया में चर्बी समाप्त होकर मोटापा निवारण में मदद मिलती है।

4 पुदीना में मोटापा विरोधी तत्व पाये जाते हैं। पुदीना रस एक चम्मच 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से उपकार होता है।

5) सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से शरीर की वसा में कमी होती है।

6 गाजर का रस मोटापा कम करने में उपयोगी है। करीब 300 ग्राम गाजर का रस दिन में किसी भी समय लेवें।

7) एक अध्ययन का निष्कर्ष आया है कि वाटर थिरेपी मोटापा की समस्या हल करने में कारगर सिद्ध हुई है। सुबह उठने के बाद प्रत्येक घंटे के फ़ासले पर 2 गिलास पानी पीते रहें। इस प्रकार दिन भर में कम से कम 20 गिलास पानी पीयें। इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे और चयापचय प्रक्रिया(मेटाबोलिस्म) तेज होकर ज्यादा केलोरी का दहन होगा ,और शरीर की चर्बी कम होगी। अगर 2 गिलास के बजाये 3 गिलास पानी प्रति घंटे पीयें तो और भी तेजी से मोटापा निवारण होगा।

8) कम केलोरी वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। जहां तक आप कम केलोरी वाले भोजन की आदत नहीं डालेंगे ,मोटापा निवारण दुष्कर कार्य रहेगा। अब मैं ऐसे भोजन पदार्थ निर्देशित करता हूं जिनमें नगण्य केलोरी होती है। अपने भोजन में ये पदार्थ ज्यादा शामिल करें--

नींबू
जामफ़ल (अमरुद)
अंगूर
सेवफ़ल
खरबूजा
जामुन
पपीता
आम 
संतरा
पाइनेपल
टमाटर
तरबूज
बैर
स्ट्राबेरी

सब्जीयां जिनमें नहीं के बराबर केलोरी होती है--
पत्ता गोभी
फ़ूल गोभी
ब्रोकोली
प्याज
मूली
पालक
शलजम
सौंफ़
लहसुन

9) कम नमक,कम शकर उपयोग करें।

10) अधिक वसा युक्त भोजन पदार्थ से परहेज करें। तली गली चीजें इस्तेमाल करने से चर्बी बढती है। वनस्पति घी हानिकारक है।

11) सूखे मेवे (बादम,खारक,पिस्ता) ,अलसी के बीज,ओलिव आईल में उच्चकोटि की वसा होती है। इनका संतुलित उपयोग उपकारी है।

12) शराब और दूध निर्मित पदार्थ का उपयोग वर्जित है।

14) अदरक चाकू से बरीक काट लें ,एक नींबू की चीरें काटकर दोनो पानी में ऊबालें। सुहाता गरम पीयें। बढिया उपाय है।

15) रोज पोन किलो फ़ल और सब्जी का उपयोग करें।

16) ज्यादा कर्बोहायड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शकर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढाते हैं। सावधानी बरतें।

17) केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फ़यदेमंद है।

18) शरीर के वजने को नियंत्रित करने में योगासन का विशेष महत्व है। कपालभाति,भस्त्रिका का नियमित अभ्यास करें।।

19 सुबह आधा घंटे तेज चाल से घूमने जाएं। वजन घटाने का सर्वोत्तम तरीका है।

20) भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फ़लों में अधिक रेशा होता है। फ़लों को छिलके सहित खाएं। आलू का छिलका न निकालें। छिलके में कई पोषक तत्व होते हैं।

सैंकड़ो बीमारियों का एक इलाज -प्रातः जल सेवन सैंकड़ो बीमारियों का एक इलाज -प्रातः जल सेवन आज के इस दौर में, जहाँ हमारे देशवासी छोटी-सी-छोटी तकलीफ के लिए बड़ी ही हाईपावर की दवा-गोलियों का इस्तेमाल कर अपने शरीर में जहर घोलते जा रहे हैं, वहीं हमारे ऋषि-महर्षियों द्वारा अनुभव कर प्रकाश में लाया गया एक अत्यधिक आसान प्रयोग......


सैंकड़ो बीमारियों का एक इलाज -प्रातः जल सेवन
सैंकड़ो बीमारियों का एक इलाज -प्रातः जल सेवन

आज के इस दौर में, जहाँ हमारे देशवासी छोटी-सी-छोटी तकलीफ के लिए बड़ी ही हाईपावर की दवा-गोलियों का इस्तेमाल कर अपने शरीर में जहर घोलते जा रहे हैं, वहीं हमारे ऋषि-महर्षियों द्वारा अनुभव कर प्रकाश में लाया गया एक अत्यधिक आसान प्रयोग, जिसे अपनाकर प्राचीनकाल से करोड़ो भारतवासी सदैव स्वस्थ व प्रसन्नचित्त रहते हैं. आप भी उसे अपनाएं व सैकड़ो बीमारियों से छुटकारा पायें.
नयी तथा पुरानी अनेकों प्राणघातक बीमारियाँ दूर करने का एक ही सरल उपाय है – प्रातःकाल में जल-सेवन। प्रतिदिन प्रभात काल में सूर्योदय से पूर्व उठकर, कुल्ला करके, ताँबे के पात्र में रात का रखा हुआ 2 से 4 बड़े गिलास (आधा से सवा लीटर) पानी पी ले। पानी भरकर ताँबे का पात्र हमेशा विद्युत की कुचालक वस्तु (प्लास्टिक, लकड़ी या कम्बल) के ऊपर रखें। खड़े होकर पानी पीने से आगे चलकर पिण्डलियों में दर्द की तकलीफ होती है। अतः किसी गर्म आसन अथवा विद्युत की कुचालक वस्तु पर बैठकर ही पानी पीयें। पानी में चाँदी का एक सिक्का डालकर रखने से पानी और अधिक शक्तिदायक हो जाता है। तदनंतर 45 मिनट तक कुछ खायें-पीयें नहीं। प्रयोग के दौरान नाश्ता या भोजन करने के दो घंटे बाद ही पानी पीयें।
प्रातःकाल नियमित रूप से जल सेवन करने से निम्निलिखित नयी एवं पुरानी बीमारियों में लाभ होता हैः

कब्ज, 
मधुमेह (डायबिटीज),
ब्लडप्रेशर, 
लकवा (पेरालिसिस),
कफ, खाँसी, दमा (ब्रोंकाइटिस),
यकृत (लीवर) के रोग, 
स्त्रियों का अनियमित मासिक स्राव, 
गर्भाशय का कैंसर, 
बवासीर (मस्से), 
कील-मुहाँसे एवं फोड़े-फुंसी, 
वृद्धत्व व त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ना,
एनीमिया (रक्त की कमी), मोटापा, 
क्षयरोग (टी.बी.), कैंसर,
पेशाब की समस्त बीमारियाँ (पथरी, धातुस्राव आदि), 
सूजन, बुखार, एसिडिटी (अम्लपित्त), 
वात-पित्त-कफ जन्य रोग,
सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, 
हृदयरोग व बेहोशी, 
आँखों की समस्त बीमारियाँ,
मेनिंजाइटिस, प्रदररोग, 
गैस की तकलीफ व कमर से संबंधित रोग,
मानसिक दुर्बलता, 
पेट के रोग आदि।

इस अनुभूत प्रयोग से बहुतों को लाभ हुआ है। आप भी लाभ उठाइये। मंदाग्नि, वायुरोग व जोड़ों के दर्द से पीड़ित रोगी गुनगुने पानी का प्रयोग करें। यदि गर्म न पड़े तो उसमें 1 से 2 काली मिर्च का पाउडर या सोंठ अथवा अजवायन मिला सकते हैं।

चार गिलास पानी एक साथ पीने से स्वास्थ्य पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता। आरम्भ के दो-चार दिनों तक पेशाब कुछ जल्दी-जल्दी आयेगा लेकिन बाद में पूर्ववत् हो जायेगा। गुर्दों की तकलीफ वाले सवा लीटर पानी न पियें, उन्हें चिकित्सक से सलाह लेकर पानी की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए।

ऐसे बनाएं प्‍याज हेयर पैक दुबारा से बालों को उगाए प्‍याज ...................


ऐसे बनाएं प्‍याज हेयर पैक
दुबारा से बालों को उगाए प्‍याज

जब घर में खाना के लिये मसाला तैयार करने के लिये प्‍याज काटी जाती है तब आंखों में आंसू आने लगते हैं। उस समय हम कोशिश करते हैं कि जल्‍दी से प्‍याज काटने का काम खत्‍म हो जाए, लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि प्‍याज हमारे बालों के लिये बहुत अच्‍छा होती है। प्‍याज में सल्‍फर पाया जाता है जो कि बालों को दुबारा उगाने में सहायक और गिरते बालों को रोकने के लिये अच्‍छी होती है। अगर आपके सिर में रूसी भी है तो भी प्‍याज पीस कर उसका रस लगा लीजिये, इससे रूसी कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी क्‍योंकि इसमें एंटीबैक्‍टीरियल गुण होते हैं।

अगर आपको अपने बालों की रंगत और पकड मजबूत करनी है तो उसके लिये प्‍याज का हेयर पैक लगाना शुरु कर दीजिये। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही आसानी से बनाए जाने वाले प्‍याज के पैक्‍स के बारे में।

ऐसे बनाएं प्‍याज हेयर पैक- 

1. प्‍याज का रस- 
प्‍याज को मिक्‍सी में पीस कर उसका रस निकाल लीजिये और अपने सिर की त्‍वचा को इस रस से मसाज कीजिये। इसके बाद अपने सिर को तौलिये से लपेट लीजिये और आधे घंटे बाद शैंपू से बालों को धो लीजिये। 

2. प्‍याज का रस और हेयर ऑयल- 
प्‍याज का रस निकालिये और उसमें बालों के तेल में मिला कर सिर पर लगा लीजिये। इसे एक घंटे तक लगा रहने दीजिये और बाद में शैंपू कर लीजिये। इसके अलावा आप सुगन्‍धित तेल भी लगा सकती हैं, जिससे बालों से प्‍याज की महक ना आए। 

3. प्‍याज, ऑलिव ऑयल, नारियल तेल पैक- 
इस पैक को बनाने के लिये कुछ प्‍याज ले कर पीस लीजिये और उसका रस निकाल लीजिये। उसमें चम्‍मच ऑलिव ऑयल और नारियल तेल मिलाइये। इस मिश्रण को बालों में लगाइये, जड़ों में इस तेल को न लगाएं। इसे 2 घंटे तक लगा रहने के बाद शैंपू से धो लें। इस पैक को आप रोज लगा सकती हैं। 

4. प्‍याज, बियर और नारियल तेल- 
बियर और नारियल तेल के साथ प्‍याज के गूदे को मिलाइये और बालों में लगा लीजिये। इस मिश्रण को 1 घंटे तक बालों में रखना है इसके बाद शैंपू कर लेना है। इससे बलों में शाइन आएगी और वह घने दिखेगें। 

5. प्‍याज और शहद- 
प्‍याज का रस और शहद मिला कर बालों की जड़ों में लगाएं। फिर इसे 2 घंटे बाद नींबू और पानी मिला कर बालों को धो लें। इससे बालों में शाइन आएगी और इसे हफ्ते में तीन बार जरुर दोहराएं।

इलायची - इलायची दो प्रकार की होती है-छोटी और बड़ी | आज हम आपको छोटी इलायची के विषय में जानकारी देंगे.....


इलायची -
इलायची दो प्रकार की होती है-छोटी और बड़ी | आज हम आपको छोटी इलायची के विषय में जानकारी देंगे, इसे हम संस्कृत में एला भी कहते हैं | यह हमारे देश तथा इसके आस पास के गर्म देशों में अधिक मात्रा में पायी जाती है | इसके पेड़ हल्दी के पेड़ के सामान होते हैं | इलायची स्वादिष्ट होती है और आमतौर पर इसका प्रयोग खाने के पदार्थों में किया जाता है | छोटी इलायची खाने में शीतल होती है और इसका अधिक मात्रा में उपयोग आँतों के लिए हानिकारक होता है | इसका सेवन १-३ ग्राम की मात्रा में किया जा सकता है | यह कफ ,खांसी ,श्वास व बवासीर नाशक है और ह्रदय एवं गले की मलिनता को दूर करती है | इसे खाने से मुख की दुर्गन्ध दूर होती है और जी मिचलाना बंद हो जाता है | इलायची का प्रयोग हम विभिन्न रोगों के उपचार के लिए कर सकते हैं -

१- लगभग १० ग्राम इलायची को १ लीटर पानी में डालकर पकाएं ,जब एक चौथाई (२५० ग्राम ) शेष रह जाए तब उसे उतारकर ठंडा कर लें | इस पानी को थड़ी -थोड़ी देर में घूँट -घूँट करके पीने से,हैजा व मूत्रावरोध रोगों में लाभ होता है | 

२- छोटी इलायची के दानों को तवे पर भून कर पीस लें | इस चूर्ण को शहद या देसी घी में मिलाकर सुबह -शाम चाटने से खांसी में लाभ होता है | 

३- दिन में कई बार इलायची चबाने से मुँह की दुर्गन्ध व सांस की बदबू ख़त्म होती है | 

४- इलायची को पानी के साथ पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है | 

५- इलायची ,काली मिर्च ,दालचीनी ,धनिया और सौंठ को बराबर मात्रा में लेकर इनको दरदरा पीस लें | इस चूर्ण की दो चम्मच लेकर २५० मिलीलीटर पानी में पकाएं | जब पानी आधा रह जाए तो छानकर गुनगुना पिलायें | इससे तेज़ जुकाम दूर हो जाता है | 

६- छोटी इलायची को पीस लें | इस चूर्ण को शहद के साथ थोड़ा -थोड़ा चाटने से पेशाब की जलन शांत होती है |

Monday 26 May 2014

इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है मौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार ......


इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है
मौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार वाइरल इंफेक्शन के कारण हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। इसे ही कफ कहा जाता है। अगर आप भी खांसी या जुकाम से परेशान है तो बिना दवाई लिए भी रोज सिर्फ दस मिनट इस मुद्रा के अभ्यास से कफ छुटकारा पा सकते हैं।

मुद्रा- बाएं हाथ का अंगूठा सीधा खडा कर दाहिने हाथ से बाएं हाथ कि अंगुलियों में परस्पर फँसाते हुए दोनों पंजों को ऐसे जोडें कि दाहिना अंगूठा बाएं अंगूठे को बहार से कवर कर ले ,इस प्रकार जो मुद्रा बनेगी उसे अंगुष्ठ मुद्रा कहेंगे।

लाभ - अंगूठे में अग्नि तत्व होता है.इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है. शरीर में जमा कफ तत्व सूखकर नष्ट हो जाता है।सर्दी जुकाम,खांसी इत्यादि रोगों में यह बड़ा लाभदायी होता है, कभी यदि शीत प्रकोप में आ जाए और शरीर में ठण्ड से कपकपाहट होने लगे तो इस मुद्रा का प्रयोग लाभदायक होता है। रोज दस मिनट इस मुद्रा को करने से बहुत कफ होने पर भी राहत मिलती है। कफ शीघ्र ही सुख जाता है। साथ ही जरा सा सेंधा नमक धीरे धीरे चूसने से लाभ होता है। सुबह कोमल सूर्यकिरणों में बैठके दायें नाक से श्वास लेकर सवा मिनट रोकें और बायें से छोड़ें। ऐसा 3-4 बार करें। इससे कफ की शिकायतें दूर होंगी।

आयुर्वेदिक और ज्योतिष के टोटके। ………


आयुर्वेदिक और ज्योतिष के टोटके। ……… 
1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय… तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥

तुला लग्न और विशेष योग :- ११. यदी बुध १, २, ४, ५, ९, १० वे भाव में से कौन से भी भाव में होतो , उत्तम नौकरी का योग होता है। .....


तुला लग्न और विशेष योग :-
११. यदी बुध १, २, ४, ५, ९, १० वे भाव में से कौन से भी भाव में होतो , उत्तम नौकरी का योग होता है। 
१२. यदी शुक्र और चन्द्र लग्न का स्वामी केंद्र में हो तथा केवल शुभ ग्रहों से ही दृष्ट हो तो ,जातक एम. पी. बनता है। 
१३. यदी लग्नेश शुक्र पर शुभ ग्रहों की दृष्टी तथा लग्न में केवल शुभ ग्रह होतो, जातक न्यायाधीश बनता है 
१४. यदी गुरू उच्च का, होकर चंद्रमा को देखता होतो, जातक उच्च पद पाता है। 
१५. लग्न में गुरु होतो, उत्तम वाहन सुख होता है। 
१६. लग्न में मंगल , १० वे भाव में शनी , ७ वे भाव में सूर्य , गुरु ९ वे भाव में शुक्र ११ वे भाव में , चंद्रमा ४ थे भाव में होने पर जातक सफल शासक होता है। 
१७. यदी शुक्र ६, ८, १२, भाव में से भाव में होने पर जातक विख्यात और धनवान होता है। 
१८. यदी बुध ६, या ८ वे भाव अथवा १२ भाव में होतो, जातक सुखी और उत्तम सुख भोगने वाला होता है। 
१९. गुरु और चन्द्रमा की युती केंद्र १, ४, ७, १०, वे भाव में हो और उस पर शुक्र की दृष्टी होतो , जातक बलवान होता है। 
२०. चंद्रमा लग्न में तुला राशी का होतो, जातक देवताओं का भक्त , चंचल तथा होशियार होता है। 

Saturday 24 May 2014

काम शक्ति - काम इच्छा - और ज्योतिष हमारे पुरुष प्रधान समाज में पौरुष का आकलन व्यक्ति के लैंगिक प्रदर्शन पर अक्सर किया जाता रहा है....


काम शक्ति - काम इच्छा - और ज्योतिष

हमारे पुरुष प्रधान समाज में पौरुष का आकलन व्यक्ति के लैंगिक प्रदर्शन पर अक्सर किया जाता रहा है. इस विषय पर लोग आज भी खुल कर बात नहीं करते किन्तु दबी जुबां में चर्चा समाप्त भी नहीं होती है. इस लेख में मैं प्रयास करूंगा की यदि आप यौन दुर्बलता आदि से ग्रस्त हैं तो उसके ज्योतिषीय उपाय क्या हो सकते हैं. ज्योतिष बहुत ही विस्तृत विज्ञान है और मनुष्य की हर बात को इस से समझा जा सकता है. आज के युग में जिसमें की शुक्र की प्रधानता बढती जा रही है , हम रोज़मर्रा के जीवन में देखते है की सम्भोग शक्ति से सम्बंधित दावा और मशीनें बढती जा रही है जो की कुछ नहीं है , लोगों की शर्म का मनोवैज्ञानिक आर्थिक दोहन है. सम्भोग की समयसीमा की अधिकता पौरुष का मार्का बन गयी है. जब हम किसी दवाई की दूकान में जाते हैं तो सामने ही हमें पुरुषों की सम्भोग शक्ति बढाने वाले तेल , पाउडर , कैप्सूल , गोली और स्त्रीयों के वक्ष बढाने वाले उत्पाद दीखते हैं , जीवन रक्षक और आवश्यक दवा पीछे कहीं पड़ी रहती है. लोग भी अंधों की तरह एक के बाद एक नुस्खा आजमा रहे हैं बिना किसी सफलता के , सम्भोग आज के जीवन की प्राथमिकता बन गया है . हमारे शास्त्रों में सम्भोग के लिए भी विधान है किन्तु उसको भूलकर लोग अपनी कामेच्छा शांत करने में लगे हुए है .

इन सबसे होता यह है की जो था वोह भी चला जाता है, ज्योतिष में इन सबके लिए भी उपाय हैं जो की देर सबेर फायदा भी करते हैं और मनोवैज्ञानिक रूप से सहारा भी देते हैं. सभी ग्रहों के लिंग ज्योतिष में निर्धारित है जो की निम्न हैं :

१) सूर्य : पुरुष

२) चन्द्र : स्त्री

३) मंगल : पुरुष

४) बुध : नपुंसक , किन्तु अन्य ग्रहों की युति दृष्टि से अन्य योनी .

५) गुरु : पुरुष

६) शुक्र : स्त्री

७) शनि : नपुंसक

ग्रहों के अनुसार ही राशियों का भी निर्धारण है जैसे हर दूसरी राशी स्त्री राशी है , अतः मेष पुरुष और वृषभ स्त्री राशी हुई , इसी प्रकार से मीन तक लीजिये. स्वाभाविक रूप से जब एक पुरुष गृह स्त्री राशी में या स्त्री गृह पुरुष राशी में विचरण करेगा तो भाव के फल में फर्क पड़ेगा. यह सामान्य बात है . कुंडली के सप्तम और अष्टम भाव सेक्स के प्रकार और यौनांगों से सम्बंधित होते हैं. नपुंसकता आमतौर पर मनोवैज्ञानिक दुर्बलता होती है और यह ठीक करी जा सकती है बशर्ते व्यक्ति के सम्बंधित अंग किसी बिमारी या दुर्घटना के कारण नष्ट न हो गए हों.

कुछ योग जिनसे नपुंसकता आ सकती है ,

१) राहू या शनि द्वित्य भाव में हों , बुध अष्टम में तथा चन्द्रम द्वादश में हो ,

२) यदि चन्द्रमा पापकर्तरी में हो तथा अष्टम भाव में बुध या केतु हों ,

३) यदि शनि और बुध अष्टम भाव में हों तथा चन्द्र पाप कर्तरी में हो ,

यह कुछ योग हैं जिनसे यौन दुर्बलता आ सकती है किन्तु यह मनोवैज्ञानिक और अस्थिर होती है ना की सदा के लिए . इन अंगों की प्रकृति अश्तामाधिपति के अनुसार इस प्रकार हो सकती है ,

१) यदि सूर्य अष्टमेश है तो व्यक्ति के अंग अछे होंगे और ठीक से कार्य करेंगे ,

२) यदि चन्द्र है तो व्यक्ति के अंग अछे होंगे किन्तु वह सेक्स को लेकर मूडी होगा ,

३) यदि मंगल है तो व्यक्ति के अंग छोटे होंगे किन्तु वह बहुत ही कामुक होगा ,

४) यदि बुध है तो व्यक्ति सेक्स को लेकर हीन भावना से ग्रस्त होगा ,

५) यदि गुरु है तो व्यक्ति व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ होगा ,

६) यदि शुक्र है तो व्यक्ति के अंग सुंदर होंगे और उसकी काम क्रिया में तीव्र रूचि रहेगी ,

७) यदि शनि है तो व्यक्ति के अंग की लम्बाई अधिक होगी किन्तु क्रिया में शिथिलता और विकृति रह सकती है ,

अष्टम भाव में बैठे ग्रहों के अनुसार फल में परिवर्तन आ जायेगा, बुध यदि अष्टम में हो , स्वराशी का ना हो और उस पर कोई शुभ दृष्टि भी न हो तो व्यक्ति काम क्रिया में असफल रहता है, राहू के होने से व्यक्ति अत्यंत भोगवादी हो जाता है तथा केतु से उसके अन्दर तीव्र उत्कंठा बनी रहती है.

व्यक्ति का यौन व्यवहार सप्तम भाव से प्रदर्शित होता है ,सप्तम भाव और उसमें बैठे ग्रहों के कारण फल में अंतर आता जाता है ,

१) सप्तम में यदि मंगल हो तो या दृष्टि हो तो व्यक्ति काम क्रिया में क्रोध का प्रदर्शन करता है और सारा आनंदं नष्ट कर देता है ,

२) यदि गुरु हो तो व्यक्ति आदर्श क्रिया संपन्न करता है ,

३) यदि शनि हो व्यक्ति का बहुत ही हीन द्रष्टिकोण होता है और वह जानवरों जैसा व्यवहार भी करता है ,

४) यदि राहू हो तो व्यक्ति ऐसे बर्ताव करता है जैसे कुछ चुरा रहा हो ,

५) यदि केतु हो तो व्यक्ति शीघ स्खलन से ग्रस्त होता है ,

६) यदि शुक्र हो तो व्यक्ति पूर्ण आनंद प्राप्त करता है ,

७) यदि बुध हो तो व्यक्ति नसों में दुर्बलता और जल्दी थक जाने से ग्रस्त होता है ,

८) यदि चन्द्र अष्टम मैं हो तो व्यक्ति काम क्रिया में बहुत आनंद देता है किन्तु चन्द्र की दृष्टि निष्प्रभावी होती है ,

९) यदि सूर्य हो तो व्यक्ति क्रिया में अति उत्तेजना का प्रदर्शन करता है

ग्रहों की युति , दृष्टि , दशा , और गोचर के अनुसार व्रक्ति का प्रदर्शन बदलता चला जाता है और सभी तथ्यों को समक्ष रखने पर ही सही निर्णय पर आया जा सकता है. यदि व्यक्ति किसी प्रकार की दुर्बलता या व्याधि से ग्रस्त है तो एक अछे यौन चिकिसक और मनोवैज्ञानिक का परामर्श लेना बेहतर है बजाय किसी पोस्टर पम्फलेट वाले झोला छाप गली मोहल्ले में में मिलने वाले स्वघोषित चिकित्सक अथवा फूटपाथ पर झुग्गी बना के बैठे हुए और्वेदाचार्यों से.

ज्योतिषीय परामर्श से आप न सिर्फ अपनी दुर्बलता को दूर कर सकते है बल्कि जीवन में धनात्मक ऊर्जा का संचार भी कर सकते हैं. आपको वह रत्ना धारण करना चहिये जिससे आपकी शक्ति का विकास हो और योग मुद्रा में अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करना चहिये. धूम्र पान को सदा के लिए त्यागना होगा क्योकि उस से बड़ा पौरुष शक्ति का शत्रु कोई दूसरा नहीं है. खान पान की आदतों में सुधार करना चहिये और शराब की मात्र संयमित होनी चहिये. इश्वर की प्रार्थना सर्वप्रथम है .

एक अच्छा ज्योतिषी आपको आपकी दशा गृह गोचर आदि द्वारा उचित परामर्श दे सकता है और किस इश्वर की आराधन करनी चहिये वह भी बता सकता है . ज्योतिष की सहायता लेना दीर्घकाल में कहीं अधिक उपयोगी सिद्ध होगा बजाय इन सब वैद्य और झोला छाप चिकित्सकों के चक्कर लगाने से. साथ ही सही वास्तविक चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक परामर्श का भी आपको सहारा लेना होगा.

साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। ये है गुड़, चने और चूरमे का खास उपाय, कई लोग आजमा चुके हैं इसे....


साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
ये है गुड़, चने और चूरमे का खास उपाय, कई लोग आजमा चुके हैं इसे
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए साधक कई उपाय करते हैं। कहते हैं हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आज हम आपको हनुमानजी का एक ऐसा ही अचूक और असरदार उपाय बता रहे हैं, जिसे विधि-विधान से पूर्ण करने पर हनुमानजी अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
ये उपाय 21 दिनों का है। इस उपाय में गुड़, चने और चूरमे से ही हनुमानजी प्रसन्न हो जाते हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार ये उपाय अनुभव सिद्ध है यानी इसका लाभ कई लोग ले चुके हैं। इस उपाय को करते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
इन बातों का ध्यान रखें-
1- ये उपाय किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर सकते हैं परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस दिन चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथि नहीं होना चाहिए।
2- मृत्यु सूतक या जन्म सूतक के दौरान भी यह उपाय शुरू नहीं करना चाहिए। यदि उपाय के दौरान ऐसा कोई संयोग आ जाए तो किसी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ये उपाय पूर्ण करवाना चाहिए, बीच में नहीं छोडऩा चाहिए।
3- पुरुषों के अलावा महिलाएं भी ये उपाय कर सकती हैं, लेकिन केवल वे ही महिलाएं ये उपाय कर सकती हैं, जिसका प्रौढ़ावस्था के बाद प्राकृतिक रूप से मासिक धर्म सदा के लिए बंद हो चुका हो।
4- उपाय के दौरान क्षौर कर्म (दाढ़ी बनवाना, नाखून काटना आदि) नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। एक ही समय भोजन करें तो अति उत्तम रहेगा। 
इस प्रकार करें उपाय
- उपाय प्रारंभ करने के लिए जिस मंगलवार का चयन करें, उसके पहले दिन सोमवार को सवा पाव अच्छा गुड़, थोड़े से भूने चने और सवा पाव गाय के शुद्ध घी का प्रबंध कर लें। गुड़ के छोटे-छोटे 21 टुकड़े कर लें। साफ रूई लेकर इसकी 22 फूल बत्तियां बनाकर घी में भिगो दें। इन सभी वस्तुओं को अलग-अलग साफ बर्तनों में लेकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें।
साथ ही माचिस और एक छोटा बर्तन व छन्नी आदि, जिसमें रोज ये वस्तुएं आसानी से ले जाई सकें, भी रख दें। ये उपाय करने के लिए अब हनुमान के किसी ऐसे मंदिर का चयन करें, जहां अधिक भीड़ न आती हो और जो एकांत में हो।
- जिस मंगलवार से उपाय शुरू करना हो, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाएं और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक साफ बर्तन में एक गुड़ की डली, 11 चने, एक घी की बत्ती और माचिस लेकर साफ कपड़े से इस ढंक लें। अब नंगे पैर ही हनुमानजी के मंदिर की ओर जाएं। घर से निकलने से लेकर रास्ते में या मंदिर में किसी से कोई बात न करें। और न ही पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें।
- मंदिर पहुंचने के बाद हनुमानजी की मूर्ति के सामने मौन धारण किए हुए ही सबसे पहले घी की बत्ती जलाएं। इसके बाद 11 चने और 1 गुड़ की डली हनुमानजी के सामने रखकर साष्टांग प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मन ही मन श्रद्धा व विश्वास से प्रार्थना करें फिर श्री हनुमानचालीसा का पाठ भी मौन रहकर ही करें।
अब मंदिर से जाने से लेकर घर पहुंचने तक न तो पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें और न ही किसी से बात करें। घर पहुंचने के बाद यह पूरी सामग्री उचित स्थान रखकर 7 बार राम-राम बोलकर ही अपना मौन भंग करें। रात में सोने से पहले 11 बार श्री हनुमानचालीसा का पाठ करें व अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। ये प्रक्रिया लगातार 21 दिन तक करें।
- 22 वे दिन मंगलवार को सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर गाय के गोबर से बने उपले में इसे पका लें। यदि सवा किलो का एक रोट न बना सकें तो 5 रोटियां बनाकर सेक लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार गाय का शुद्ध घी, और गुड़ मिलाकर उसका चूरमा बना लें। 21 डलियों के बाद जो गुड़ बचा हो, उसे भी चूरमे में मिला दें। 
इस चूरमे को थाली में रखकर बचे हुए सारे चने व 22वीं अंतिम बत्ती लेकर प्रतिदिन की तरह ही मौन धारण कर, बिना आगे-पीछे देखे मंदिर जाएं। फिर हनुमानजी की मूर्ति के सामने बत्ती जलाकर चने एवं चूरमे का भोग लगाएं। अब एक छोटे से बर्तन में थोड़ा से चूरमा लेकर हनुमानजी के सामने रख दें और शेष अपने साथ ले आएं। घर पहुंचने के बाद ही मौन भंग करें। जो भी यह प्रयोग करे वह उस दिन दोनों समय सिर्फ उसी चूरमे का भोजन ग्रहण करे। शेष चूरमे को प्रसाद के रूप में बांट दें।
ये उपाय विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

Friday 23 May 2014

आज कल राशि के अनुसार रत्न पहनने का चलन है। कुछ लोगों को अपनी कुंडली नही पता होती है इसलिए वो लोग अपनी राशि के अनुसार ही रत्न पहन लेते हैं ....


अपना भाग्यशाली रत्न चुनना चाहिए
आज कल राशि के अनुसार रत्न पहनने का चलन है। कुछ लोगों को अपनी कुंडली नही पता होती है इसलिए वो लोग अपनी राशि के अनुसार ही रत्न पहन लेते हैं लेकिन जिन लोगों को अपनी कुंडली पता होती है उनको कुंडली के अनुसार ही अपना भाग्यशाली रत्न चुनना चाहिए।

कैसे चुनें भाग्यशाली रत्न

- अगर आपकी कुंडली के पहले भाव में 1 नंबर है तो आपका भाग्यशाली रत्न पुखराज होगा जो आपकी किस्मत का स्वामी होगा।

- आपकी कुंडली में पहले भाव में अंक 2 होने से आपकी किस्मत का स्वामी शनि है। निलम रत्न पहनना इस राशि वालों के लिए अच्छा रहेगा।

- अगर किसी कुंडली के पहले भाव में 3 नंबर है तो ऐसे लोगों को किस्मत चमकाने के लिए शनि का ही रत्न पहनना चाहिए।

- 4 नंबर से शुरू होने वाली कुंडली में किस्मत का स्वामी गुरु होता है इसलिए ऐसी कुंडली वालों को सिधे हाथ की पहली अंगुली में सोने की अंगुठी पहनना चाहिए।

- जो कुंडली 5 अंक से शुरू होती है उस कुंडली में मंगल किस्मत का स्वामी होता है। इसलिए ऐसे लोगों को मूंगा पहनना चाहिए।

- अगर कोई कुंडली 6 नंबर से शुरू हो रही है तो ऐसी कुंडली वालों को अपनी किस्मत चमकाने के लिए अमेरिकन डायमंड या असली हीरा पहनना चाहिए।

- तुला राशि यानी 7 नंबर से शुरू होने वाली कुंडली जिन लोगों की होती है उनके लिए पन्ना भाग्यशाली रत्न होता है।

- 8 नंबर वाली कुंडली के लोगों को चंद्रमा का रत्न मोती पहनना चाहिए। 

- जिन लोगों की कुंडली के पहले भाव में 9 नंबर होता है ऐसे लोगों को सूर्य का रत्न यानी माणिक पहनना चाहिए।

- 10 नंबर जिन लोगों की कुंडली में पहले घर में होता है उन लोगों की किस्मत का स्वामी बुध होता है। इसलिए उन्हे पन्ना पहनना चाहिए।

- जिस कुंडली के पहले भाव में 11 नंबर हो ऐसी कुंडली वालों को किस्मत चमकाने के लिए हीरा पहनना चाहिए। यह शुक्र का रत्न है।

- अगर किसी कुंडली के पहले घर में 12 नंबर है तो ऐसे लोगों को मंगल का रत्न यानी मंूगा पहनना चाहिए।

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए || ...


जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||

कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन 
जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||

न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था 
न तुम हमदर्द बन पाए ना ,हम हमराज हो पाए ||

जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम 
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||

ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ, बेवजह थी लेकिन 
न तुम आये मनाने को ,न हम नाराज हो पाए ||

गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे, गुरूर-ए-इश्क में हम थे 
न हम नाचीज कह पाए, न तुम नायाब हो पाए ||

अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली 
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद, ना आज़ाद हो पाए ||....

पत्नी कैसी प्राप्त होगी ?..... हर जवान जातक की यह जानने की इच्छा होती है, कि उसका जीवन साथी कैसा होगा , इसका जवाब ज्योतिष से मिल जाता है। कुंडली में इस बात का पता नवांश कुंडली में नवांश लग्न के स्वामी से लगाया जा सकता है। ......


पत्नी कैसी प्राप्त होगी ?.....
हर जवान जातक की यह जानने की इच्छा होती है, कि उसका जीवन साथी कैसा होगा , इसका जवाब ज्योतिष से मिल जाता है। कुंडली में इस बात का पता नवांश कुंडली में नवांश लग्न के स्वामी से लगाया जा सकता है। 
१. यदी नवांश लग्न (प्रथम भाव का ) स्वामी मंगल होतो, जातक को क्रूर स्वभाव की पत्नी प्राप्त होती है। (नवांश लग्न में मेष या वृश्चिक राशी हो ) 
२ यदी सूर्य (सिंह ) नवांश होतो, पत्नी पतिव्रता किन्तु उग्र स्वभाव की पत्नी प्राप्त होती है। 
३. यदी चंद्रमा (कर्क राशी ) का नवांश होतो, शीतल स्वभाव , गौर वर्ण और मिलनसार पत्नी मिलती है। 
४. यदी बुध (मिथुन, कन्या ) का नवांश होतो, चतुर, चित्रकार, सुंदर आकृति , शिल्प में निपुण होती है। 
५. यदी गुरु (धनु, मीन राशी ) का नवांश होतो, पीत वर्ण , शुभ आचरण वाली , पतिव्रता , सौम्य स्वभाव , तीर्थ करने वाली प्राप्त होती है। 
६. यदी शुक्र (वृषभ , तुला राशी ) का नवांश होतो , चतुर , श्रंगार प्रिय, विलासी , काम कला में प्रवीण , गौर वर्ण। 
७. यदी शनी (मकर, कुम्भ ) राशी का नवांश होतो, क्रूर स्वभाव वाली , कुल के वीरूद्ध आचरण करने वाली नीच संगति में रत , पति से विरोध करने वाली 
यदी नवांश लग्न का स्वामी शुभ ग्रह हो और वह स्वराशी , केंद्र, त्रिकोण में होतो, जातक को स्त्री का पूर्ण सुख मिलता है। नवांश लग्न का स्वामी पापग्रहों के साथ या darsta होतो, या ६, ८, १२ भाव में होतो, जातक को स्त्री सुख में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

Thursday 22 May 2014

(१) खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में दर्दकी बीमारी होती है इसलिए खाना पीना बैठ कर करना चाहिए . (२) नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक में देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून आना तुरंत बंद हो जाता है (3) बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान घर में लेजाकर टूटी खोल दें पानी गिराने की आवाज़ सुनकर बच्चे का पेशाब उतर जायेगा (4) बस में उलटी आती हो तो सीट पर अखबार रखकर बैठने से ,उलटी नहीं आती (5) कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर मात्र में चूरन बना कर 1 चम्मच भोजन के बाद लें (6) बाल गिरने लगें हों तो 100 ग्राम नारियल तेल में 10 ग्राम देशी कपूर मिलाकर जड़ों में लगायें (7) सर में खोरा हो ,शरीर परसूखी खुजली हो तो भी इसी तेल को लगाने से लाभ मिलता है (8) दिन में दो बार खाना ,तो दो बार शौच भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट" ही रोग होता है (९) आधा सर दर्द होने पर,दर्द होने वाली साईडकी नाक में 2-3 बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें (10) जुकाम होने पर सुहागे का फूला 1 चम्मच ,गर्मपानी में घोल कर पी लें 15 मिनट में जुकाम गायब (11) चहरे को सुन्दर बनाने के लिए 1 चम्म्च दही में 2 बूंद शहद मिला कर लगायें 10 मिनट बाद धो लें (12) इसी नुसखे को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोगकर सकतें हैं ,लाभ होगा (13) हाई बी.पी. ठीक करने के लिए 1 चम्मच प्याज़का रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर के रोगी भी ले सकतें हैं) (15) लो बी.पी.ठीक करने के लिए 32 दाने किसमिस के रात को कांच के गिलास में भिगो दें सुबह 1-1 दाना चबा-चबा कर खाएं (रोज़ 32 दानेखाने हैं 32 दिनों तक) (15) कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश की फली (2 इंच)का काढ़ा बनाकर शाम को भोजन के बाद पियें (16) कमर में दर्द होने पर 100 ग्रामखसखस में 100 ग्राम मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के बाद 1 चम्मच गर्म दूध से लें (17) सर चक्कर आने पर 1 चम्मच धनियाँचूर्ण में 1चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें (18) दांतों में दर्द होने पर 1 चुटकी हल्दी ,1 चुटकी काला नमक ,5 बूंद सरसों तेल मिलाकर लगायें (19) टौंसिल होने पर अमलताश की फली के काढ़े


(१) खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में
दर्दकी बीमारी होती है इसलिए
खाना पीना बैठ कर करना चाहिए .
(२) नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक
में देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून
आना तुरंत बंद हो जाता है
(3) बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान
घर में लेजाकर टूटी खोल दें पानी गिराने
की आवाज़ सुनकर बच्चे का पेशाब उतर
जायेगा
(4) (१) खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में
दर्दकी बीमारी होती है इसलिए
खाना पीना बैठ कर करना चाहिए .
(२) नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक
में देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून
आना तुरंत बंद हो जाता है
(3) बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान
घर में लेजाकर टूटी खोल दें पानी गिराने
की आवाज़ सुनकर बच्चे का पेशाब उतर
जायेगा
(4) बस में
उलटी आती हो तो सीट पर अखबार
रखकर बैठने से ,उलटी नहीं आती
(5) कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर मात्र में
चूरन बना कर 1 चम्मच भोजन के बाद लें
(6) बाल गिरने लगें
हों तो 100 ग्राम नारियल तेल में 10 ग्राम देशी कपूर मिलाकर
जड़ों में लगायें
(7) सर में खोरा हो ,शरीर
परसूखी खुजली हो तो भी इसी तेल
को लगाने से लाभ मिलता है
(8) दिन में
दो बार खाना ,तो दो बार
शौच भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट"
ही रोग होता है
(९) आधा सर दर्द होने
पर,दर्द होने वाली साईडकी नाक में 2-3
बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें
(10) जुकाम
होने पर सुहागे
का फूला 1 चम्मच ,गर्मपानी में घोल कर
पी लें 15 मिनट में जुकाम गायब
(11) चहरे
को सुन्दर बनाने के लिए 1 चम्म्च दही में 2 बूंद
शहद मिला कर लगायें 10 मिनट बाद
धो लें
(12) इसी नुसखे
को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोगकर
सकतें हैं ,लाभ होगा
(13) हाई बी.पी.
ठीक करने के लिए 1 चम्मच प्याज़का रस में
1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर
के रोगी भी ले सकतें हैं)
(15) लो बी.पी.ठीक करने के लिए 32 दाने
किसमिस के रात को कांच के गिलास में
भिगो दें सुबह 1-1 दाना चबा-चबा कर
खाएं (रोज़ 32 दानेखाने हैं 32 दिनों तक)
(15) कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश
की फली (2 इंच)का काढ़ा बनाकर शाम
को भोजन के बाद पियें
(16) कमर में दर्द
होने पर 100 ग्रामखसखस में 100 ग्राम
मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के
बाद 1 चम्मच गर्म दूध से लें
(17) सर चक्कर आने
पर 1 चम्मच धनियाँचूर्ण में 1चम्मच
आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें
(18) दांतों में दर्द होने पर 1
चुटकी हल्दी ,1 चुटकी काला नमक ,5 बूंद
सरसों तेल मिलाकर लगायें
(19) टौंसिल
होने पर अमलताश की फली के काढ़े
(5) कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर मात्र में
चूरन बना कर 1 चम्मच भोजन के बाद लें
(6) बाल गिरने लगें
हों तो 100 ग्राम नारियल तेल में 10 ग्राम देशी कपूर मिलाकर
जड़ों में लगायें
(7) सर में खोरा हो ,शरीर
परसूखी खुजली हो तो भी इसी तेल
को लगाने से लाभ मिलता है
(8) दिन में
दो बार खाना ,तो दो बार
शौच भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट"
ही रोग होता है
(९) आधा सर दर्द होने
पर,दर्द होने वाली साईडकी नाक में 2-3
बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें
(10) जुकाम
होने पर सुहागे
का फूला 1 चम्मच ,गर्मपानी में घोल कर
पी लें 15 मिनट में जुकाम गायब
(11) चहरे
को सुन्दर बनाने के लिए 1 चम्म्च दही में 2 बूंद
शहद मिला कर लगायें 10 मिनट बाद
धो लें
(12) इसी नुसखे
को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोगकर
सकतें हैं ,लाभ होगा
(13) हाई बी.पी.
ठीक करने के लिए 1 चम्मच प्याज़का रस में
1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर
के रोगी भी ले सकतें हैं)
(15) लो बी.पी.ठीक करने के लिए 32 दाने
किसमिस के रात को कांच के गिलास में
भिगो दें सुबह 1-1 दाना चबा-चबा कर
खाएं (रोज़ 32 दानेखाने हैं 32 दिनों तक)
(15) कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश
की फली (2 इंच)का काढ़ा बनाकर शाम
को भोजन के बाद पियें
(16) कमर में दर्द
होने पर 100 ग्रामखसखस में 100 ग्राम
मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के
बाद 1 चम्मच गर्म दूध से लें
(17) सर चक्कर आने
पर 1 चम्मच धनियाँचूर्ण में 1चम्मच
आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें
(18) दांतों में दर्द होने पर 1
चुटकी हल्दी ,1 चुटकी काला नमक ,5 बूंद
सरसों तेल मिलाकर लगायें
(19) टौंसिल
होने पर अमलताश की फली के काढ़े