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Saturday 24 May 2014

साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। ये है गुड़, चने और चूरमे का खास उपाय, कई लोग आजमा चुके हैं इसे....


साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
ये है गुड़, चने और चूरमे का खास उपाय, कई लोग आजमा चुके हैं इसे
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए साधक कई उपाय करते हैं। कहते हैं हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आज हम आपको हनुमानजी का एक ऐसा ही अचूक और असरदार उपाय बता रहे हैं, जिसे विधि-विधान से पूर्ण करने पर हनुमानजी अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
ये उपाय 21 दिनों का है। इस उपाय में गुड़, चने और चूरमे से ही हनुमानजी प्रसन्न हो जाते हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार ये उपाय अनुभव सिद्ध है यानी इसका लाभ कई लोग ले चुके हैं। इस उपाय को करते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
इन बातों का ध्यान रखें-
1- ये उपाय किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर सकते हैं परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस दिन चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथि नहीं होना चाहिए।
2- मृत्यु सूतक या जन्म सूतक के दौरान भी यह उपाय शुरू नहीं करना चाहिए। यदि उपाय के दौरान ऐसा कोई संयोग आ जाए तो किसी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ये उपाय पूर्ण करवाना चाहिए, बीच में नहीं छोडऩा चाहिए।
3- पुरुषों के अलावा महिलाएं भी ये उपाय कर सकती हैं, लेकिन केवल वे ही महिलाएं ये उपाय कर सकती हैं, जिसका प्रौढ़ावस्था के बाद प्राकृतिक रूप से मासिक धर्म सदा के लिए बंद हो चुका हो।
4- उपाय के दौरान क्षौर कर्म (दाढ़ी बनवाना, नाखून काटना आदि) नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। एक ही समय भोजन करें तो अति उत्तम रहेगा। 
इस प्रकार करें उपाय
- उपाय प्रारंभ करने के लिए जिस मंगलवार का चयन करें, उसके पहले दिन सोमवार को सवा पाव अच्छा गुड़, थोड़े से भूने चने और सवा पाव गाय के शुद्ध घी का प्रबंध कर लें। गुड़ के छोटे-छोटे 21 टुकड़े कर लें। साफ रूई लेकर इसकी 22 फूल बत्तियां बनाकर घी में भिगो दें। इन सभी वस्तुओं को अलग-अलग साफ बर्तनों में लेकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें।
साथ ही माचिस और एक छोटा बर्तन व छन्नी आदि, जिसमें रोज ये वस्तुएं आसानी से ले जाई सकें, भी रख दें। ये उपाय करने के लिए अब हनुमान के किसी ऐसे मंदिर का चयन करें, जहां अधिक भीड़ न आती हो और जो एकांत में हो।
- जिस मंगलवार से उपाय शुरू करना हो, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाएं और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक साफ बर्तन में एक गुड़ की डली, 11 चने, एक घी की बत्ती और माचिस लेकर साफ कपड़े से इस ढंक लें। अब नंगे पैर ही हनुमानजी के मंदिर की ओर जाएं। घर से निकलने से लेकर रास्ते में या मंदिर में किसी से कोई बात न करें। और न ही पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें।
- मंदिर पहुंचने के बाद हनुमानजी की मूर्ति के सामने मौन धारण किए हुए ही सबसे पहले घी की बत्ती जलाएं। इसके बाद 11 चने और 1 गुड़ की डली हनुमानजी के सामने रखकर साष्टांग प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मन ही मन श्रद्धा व विश्वास से प्रार्थना करें फिर श्री हनुमानचालीसा का पाठ भी मौन रहकर ही करें।
अब मंदिर से जाने से लेकर घर पहुंचने तक न तो पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें और न ही किसी से बात करें। घर पहुंचने के बाद यह पूरी सामग्री उचित स्थान रखकर 7 बार राम-राम बोलकर ही अपना मौन भंग करें। रात में सोने से पहले 11 बार श्री हनुमानचालीसा का पाठ करें व अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। ये प्रक्रिया लगातार 21 दिन तक करें।
- 22 वे दिन मंगलवार को सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर गाय के गोबर से बने उपले में इसे पका लें। यदि सवा किलो का एक रोट न बना सकें तो 5 रोटियां बनाकर सेक लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार गाय का शुद्ध घी, और गुड़ मिलाकर उसका चूरमा बना लें। 21 डलियों के बाद जो गुड़ बचा हो, उसे भी चूरमे में मिला दें। 
इस चूरमे को थाली में रखकर बचे हुए सारे चने व 22वीं अंतिम बत्ती लेकर प्रतिदिन की तरह ही मौन धारण कर, बिना आगे-पीछे देखे मंदिर जाएं। फिर हनुमानजी की मूर्ति के सामने बत्ती जलाकर चने एवं चूरमे का भोग लगाएं। अब एक छोटे से बर्तन में थोड़ा से चूरमा लेकर हनुमानजी के सामने रख दें और शेष अपने साथ ले आएं। घर पहुंचने के बाद ही मौन भंग करें। जो भी यह प्रयोग करे वह उस दिन दोनों समय सिर्फ उसी चूरमे का भोजन ग्रहण करे। शेष चूरमे को प्रसाद के रूप में बांट दें।
ये उपाय विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

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