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Monday 19 May 2014

पित्र तृप्त होते है और आशीर्वाद देते है. पितृ शांति यह साधना किसी भी पूर्णिमा अथवा अमावस्या ....


पित्र तृप्त होते है और आशीर्वाद देते है.
पितृ शांति 

यह साधना किसी भी पूर्णिमा अथवा अमावस्या को करे या शनिवार को भी की जा सकती है.
समय शाम का होगा सूर्यास्त के समय करे.
दिशा पूर्व हो.पीले वस्त्र धारण करे आसन पिला हो.सामने बजोट पर पिला कपडा बिछाये
और उस पर गुरु चित्र स्थापित कर सामान्य पूजन करे फिर वही सामने एक शकर की ढ़ेरी बनाये,एक सफ़ेद तिल की बनाये और एक कटोरी में थोडा घी भी रखे.एक नारियल का गोला भी रखे.

अब ३० मीन तक बिना माला के

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

मंत्र का जाप करे.फिर ३ माला गायत्री मंत्र की करे.अब गोले को थोडा सा काटकर उसमे ये तील,शकर और घी भर दे और गोले को फिर से बंद कर दे.ऊपर पुनः नारियल का जो गोला काटा था उससे ही बंद करे और आस पास गिले आटा लगा दे ताकि गोला खुले नहीं और इस गोले को जाकर किसी पीपल वृक्ष के निचे गाड दे और बिना पीछे मुड़े घर आ जाये.जाप के बाद सारे जाप पितरो को समर्पित कर दे.इस साधना से पित्र तृप्त होते है और साधक को आशीर्वाद देते है.

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