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Monday 26 May 2014

इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है मौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार ......


इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है
मौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार वाइरल इंफेक्शन के कारण हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। इसे ही कफ कहा जाता है। अगर आप भी खांसी या जुकाम से परेशान है तो बिना दवाई लिए भी रोज सिर्फ दस मिनट इस मुद्रा के अभ्यास से कफ छुटकारा पा सकते हैं।

मुद्रा- बाएं हाथ का अंगूठा सीधा खडा कर दाहिने हाथ से बाएं हाथ कि अंगुलियों में परस्पर फँसाते हुए दोनों पंजों को ऐसे जोडें कि दाहिना अंगूठा बाएं अंगूठे को बहार से कवर कर ले ,इस प्रकार जो मुद्रा बनेगी उसे अंगुष्ठ मुद्रा कहेंगे।

लाभ - अंगूठे में अग्नि तत्व होता है.इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है. शरीर में जमा कफ तत्व सूखकर नष्ट हो जाता है।सर्दी जुकाम,खांसी इत्यादि रोगों में यह बड़ा लाभदायी होता है, कभी यदि शीत प्रकोप में आ जाए और शरीर में ठण्ड से कपकपाहट होने लगे तो इस मुद्रा का प्रयोग लाभदायक होता है। रोज दस मिनट इस मुद्रा को करने से बहुत कफ होने पर भी राहत मिलती है। कफ शीघ्र ही सुख जाता है। साथ ही जरा सा सेंधा नमक धीरे धीरे चूसने से लाभ होता है। सुबह कोमल सूर्यकिरणों में बैठके दायें नाक से श्वास लेकर सवा मिनट रोकें और बायें से छोड़ें। ऐसा 3-4 बार करें। इससे कफ की शिकायतें दूर होंगी।

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