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Monday 19 May 2014

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए || .....


जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||

कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन 
जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||

न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था 
न तुम हमदर्द बन पाए ना ,हम हमराज हो पाए ||

जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम 
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||

ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ, बेवजह थी लेकिन 
न तुम आये मनाने को ,न हम नाराज हो पाए ||

गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे, गुरूर-ए-इश्क में हम थे 
न हम नाचीज कह पाए, न तुम नायाब हो पाए ||

अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली 
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद, ना आज़ाद हो पाए ||..

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