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Saturday 3 May 2014

सुन्दर काण्ड का अद्भुत अनुष्ठान सुन्दर काण्ड का अद्भुत अनुष्ठान इस अनुष्ठान से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ निश्चय ही पूर्ण होती है । अनेक व्यक्तियों द्वारा यह अनुभूत है ।...............


सुन्दर काण्ड का अद्भुत अनुष्ठान
सुन्दर काण्ड का अद्भुत अनुष्ठान

इस अनुष्ठान से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ निश्चय ही पूर्ण होती है । अनेक व्यक्तियों द्वारा यह अनुभूत है ।

सर्वप्रथम अपने पूजा स्थान में श्रीहनुमान जी का एक सुन्दर चित्र विधि-वत् प्रतिष्ठित कर लें । उस चित्र के सम्मुख दीपक एवं धूपबत्ती जलाकर रखें । चित्र का यथा-शक्ति भक्ति-भाव के साथ पूजन करें ।
पूजन कर चुकने पर ‘श्रीराम-चरित-मानस‘ के ‘किष्किन्धा-काण्ड‘ की निम्न-लिखित पंक्तियों का पाठ हाथ जोड़ कर 11 बार करें -
“कहइ रीछ-पति-’सुनु हनुमाना ! का चुप साधि रहेहु बलवाना ?
पवन-तनय बल पवन समाना , बुधि विवेक विग्यान निधाना ।।
कौन-सी काजु कठिन जग माँहीं, जो नहीं होत तात तुम पाहीं ।”

11 पाठ कर चुकने पर ‘सुन्दर-काण्ड‘ का आद्योपान्त पाठ करें । तदनन्तर पुनः उक्त पंक्तियों का पाठ 11 बार करें । इस प्रकार यह ‘एक पाठ‘ हुआ ।
उक्त पाठ को 45 बार करना है । इस अनुष्ठान को किसी भी मंगलवार के दिन श्रीहनुमान जी के दर्शन करने के बाद प्रारम्भ करना चाहिए । प्रतिदिन तीन पाठ करें, तो 15 दिनों में अनुष्ठान पूरा हो जाएगा । यदि तीन पाठ न कर सकें, तो प्रतिदिन एक ही पाठ कर 45 दिनों में अनुष्ठान पूर्ण कर सकते हैं ।
अनुष्ठान काल में अपनी दिन-चर्या इस प्रकार बितानी चाहिए, जिससे श्रीहनुमान जी प्रसन्न हों अर्थात् ब्रह्मचर्य, सत्य-वादिता, भगवान् श्रीराम का गुणानुवाद, सत्संग आदि में तत्पर रहे ।....................

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