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Monday 27 October 2014

2/11/2014 को शनि “वृश्चिक” राशि मे प्रवेश कर रहे हैं जहां वह 26/1/2017 तक रहेंगे. ....


भारतीय वैदिक  ज्योतिष के अनुसार  विभिन्न नक्षत्रों में   आकाशमंडल में गोचर करते हुए प्रमुख नौ ग्रह जब भी अपना राशि परिवर्तन करते हैं तो पृथ्वी पर कई प्रकार के प्रभाव डालते हैं जिस से जलवायु , मनुष्य , जीव , धातु , फसलों आदि पर व्यापक रूप से शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है , इस वर्ष 2014 में  नवंबर के महीने में 2 तारीख को रात्रि 8:20 पर बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह गोचर होने जा रहा है। 


शनिदेव के विषय में जानकारी देते हुए अमृतसर से पंडित  म।  डी।  वशिष्ट ने जानकारी देते हुए बताया की  कलयुग के न्यायाधीश महादेव के शिष्य सूर्यपुत्र ''शनिदेव'' अपनी उच्च राशि तुला में से निकल कर शत्रु राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे । वृश्चिक राशि के स्वामी मंगला हैं , ज्योतिष के अनुसार मंगल और शनि में उग्र भाव है दोनों ही तमो गुनी ग्रह हैं , मंगल अग्नि के कारक हैं और शनि वायु और तेल  के कारक  हैं , मंगल रक्त है और शनि लोहा है इसलिए मंगल और शनि का मिलन अग्नि और तेल का मिलन है रक्त और लोहे का मिलन है अग्नि  और वायु का मिलन है इन  दो विपरीत  कारक ग्रहों का मिलन अनिष्ट पैदा करता है इसलिए शनिदेव का मंगल की राशि वृश्चिक में ये ढाई वर्ष का संचार संघर्षपूर्ण और परीक्षा भरा होगा । रामायण की कथा अनुसार लंका काण्ड  कांड में लंकादहन के समय जब हनुमान जी की पूछ को आग गई थी तो शनिदेव  ही (वायु) के रूप में हनुमान  जी ( अग्नि ) की पीठ पर सवार  थे और दोनों के मिलन ने रावण की स्वर्ण नगरी को कोयले की तरह खाक कर दिया था इसीलिए शनिदेव और मंगल दोनों क्रूर ग्रह ग्रह कहा जाता है , यहां उल्लेखनीय है की कोई भी ग्रह किसी का शत्रु या क्रूर नही होता  है  ग्रहों का प्रभाव जातक के ही शुभ अशुभ कर्मों के हिसाब से मिलता है क्योंकि लंका दहन में अगर रावण का नुक्सान हुआ तो उसके बुरे  कर्मों और अहंकार का फल था और श्री राम का लाभ हुआ तो राम जी के शुभ कर्म और सौम्य स्वभाव  का ही फल था । इसलिए शनि तो इंसाफ के देवता हैं और कर्मों के अनुसार ही फल देते  हैं ।


साढ़ेसाती और ढैय्या : 2 नवंबर 2014 की रात्रि जैसे ही शनि देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे कन्या राशि की साढ़े साती पूर्ण हो जाएगी और धनु राशि पर साढ़े साती शुरू हो जाएगी इस तरह धनु राशि पर प्रथम ढैय्या , वृश्चिक राशि पर दूसरा ढैय्या तथा तुला राशि पर तीसरा अंतिम ढैय्या शुरू हो जायेगा , इसी प्रकार मेष व् सिंह राशि पर शनि की लघु कल्याणी यानि ढैय्या शुरू हो जाएगी ।  साढ़े साती और ढैय्या में मिलने वाले दुःख , कष्ट और संघर्ष हमारे पूर्व जन्मो के शुभाशुभ कर्मों का फल होते हैं , बहुत से लोग अपने सौम्य स्वभाव और शुभ कर्मों के फलस्वरूप साढ़े साती और ढैय्या में ही खूब कामयाब होते दिखाई दिए हैं ।   


ज्योतिषीय दृष्टिकोण : शनि देव के सख्त और क्रूर  स्वभाव के कारण वैदिक ज्योतिष अनुसार उन्हें पाप ग्रह की संज्ञा दी गयी है  , पाप ग्रहो का 3,6,व 11वे भावो से गोचर लाभकारी माना जाता हैं अत: जिन राशि के शनि 3,6 व 11वे गोचर करेंगे उन्हे शुभफलों की प्राप्ति होगी तथा अन्य राशि वालो को मिलेजुले फल प्राप्त होंगे.


शनि के लिए कहा जाता हैं कि शनि जिस भाव मे आते हैं उस भाव की वृद्दि करते हैं तथा जिस भाव को देखते हैं उस भाव की हानि करते हैं इस वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुये शनि की अधिकतर दृस्टी उत्तर दिशा की और रहेगी जिससे उत्तर की और के देश व प्रांत प्रभावित होंगे जिनमे अस्थिरता,प्राकृतिक आपदाए,भूकंप,बाढ़,तथा सत्ता परिवर्तन जैसे हालात बनेंगे |


2/11/2014 को शनि “वृश्चिक” राशि मे प्रवेश कर रहे हैं जहां वह 26/1/2017 तक रहेंगे. 


शनि अब तक अपनी उच्च  राशि “तुला” मे थे जिस का प्रभाव भारत सहित कई देशो मे विद्रोह व देशो की सरकारो का बदलना रहा हैं | अब चूंकि शनि वृश्चिक राशि अथवा अपनी शत्रु राशि से संचार करेंगे जो की काल पुरुष की आठ्वी राशि हैं यह देखना काफी रोचक होगा की यह भारतवर्ष तथा सभी राशि वाले जातकों पर क्या प्रभाव डालेंगे | इस राशि मे संचार करते हुये शनि मकर,वृष तथा सिंह राशियो पर दृष्टि डालेंगे  तथा तुला,वृश्चिक व धनु पर साडेसाती का प्रभाव रखेंगे | शनि के लिए कहा जाता हैं कि शनि जिस भाव मे आते हैं उस भाव की वृद्दि करते हैं तथा जिस भाव को देखते हैं उस भाव की हानि करते हैं इस वृश्चिक राशि पर भ्रमण करते हुये शनि की अधिकतर दृष्टि  उत्तर दिशा की और रहेगी जिससे उत्तर की और के देश व प्रांत प्रभावित होंगे जिनमे अस्थिरता,प्राकृतिक आपदाए,भूकंप,बाढ़,तथा सत्ता परिवर्तन जैसे हालात बनेंगे |


आइए पंडित म। डी।  वशिष्ट  से जानते हैं की विभिन्न राशियों पर शनि के इस वृश्चिक राशि गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा :


1)मेष राशि– इस पहली राशि से शनि का अष्टम गोचर होगा जो की आजीविका मे परिवर्तन अथवा ऊठा पटक जैसे हालात बनाएगा,धन की पूर्ति बाधक होगी व खर्चे बढ़ेंगे,संतान होने की अथवा संतान से संबंधी कोई समस्या होने की समभावनाए बनेंगी,कमर पैर से संबन्धित कोई चोट इत्यादि लग सकती हैं | जीवन साथी के लिए अच्छे समाचार प्राप्त होंगे | किसी बड़े निवेश से बचना लाभदायक रहेगा |


उपाय-दशरथ शनि श्रोत का पाठ करे तथा प्रत्येक शनिवार किसी गरीब को सरसों का तेल दान करे |


2)वृष राशि- इस राशि से शनि का सप्तम गोचर होगा जिससे भाग्योदय कारक समय बनेगा कामकाज बढ़ने लगेंगे,नई संपत्ति,वाहन इत्यादि खरीदने के योग बनेंगे तथा पुरानी संपत्ति बिकेगी,यात्राए व भागदौड़ बढेगी,जीवनसाथी व पिता हेतु शुभ समाचार प्राप्त होंगे,कोई भागीधारी का प्रस्ताव भी आ सकता हैं,दाम्पत्य सुख मे कमी हो सकती हैं |


उपाय : हर शुकवार सुबह शिवलिंग का दहीं से अभिषेक करें 


3)मिथुन राशि- इस राशि से शनि का यह छठा गोचर होगा जो की ज़्यादातर शुभ होगा जिसके प्रभाव से जो भी चाहेंगे वह होगा,सभी दिशाओ से शुभ समाचार मिलेंगे,उधार लेने व देने की समभावनाए बनेगी,सहोदरो को कष्ट मिलेंगे,अचानक चोट लगने की,धन प्राप्ति की तथा किसी गुप्त विद्या जानने की इच्छा बढेगी,धार्मिक कार्य,लंबी यात्राए व योजनाए बन सकती हैं जिनसे लाभ होगा|


उपाय : हर बुधवार संध्या एक नारियल माँ दुर्गा को अर्पित करें । 


4)कर्क राशि- शनि का इस राशि से पांचवा गोचर विवाह व संतान प्राप्ति के अतिरिक्त किसी बड़े पद की प्राप्ति भी करवाएगा,कोई बड़ी ज़िम्मेदारी अथवा सम्मान मिल सकता हैं,भाग्य से अब काम बनने लगेंगे,परिवार मे किसी की विवाह होने की संभावना बनेगी,धन प्रवाह मे थोड़ा विलंब रहेगा |


उपाय-शाकाहारी रहे तथा एक मुट्ठी चावल  मंदिर मे हर सोमवार  रखकर आए |


5)सिंह राशि – इस राशि से शनि का चतुर्थ गोचर कार्यक्षेत्र मे ऊठा पटक मचा कर बदलाव अथवा पदोन्नति करवा सकता हैं,मकान व भूमि का सुख बढ़ेगा,शारीरिक कष्ट,दुर्घटना व स्वस्थ्य हानी भी होगी परंतु आपकी लोकप्रियता बढ़ती रहेगी,किसी को उधार देना पड सकता हैं शत्रु भी सिर उठाएंगे परंतु कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे |


उपाय-हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करे.


6)कन्या राशि – राशि से तीसरा गोचर होने की वजह से शनि का यह गोचर आपको बहुत शुभता प्रदान करेगा आपकी पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी,संतान प्राप्ति हो सकती हैं,धार्मिक व विदेश यात्राए होंगी,खर्चे बढ़ेगे,विवादो मे आपकी विजय होगी व शनि की साडेसाती से मुक्ति होने से तनावमय जीवन से छुटकारा मिल जाएगा |


उपाय-रोजाना “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करे.


7)तुला राशि – इस राशि से दूसरा गोचर होने से धन लाभ बढ़ेगा,भूमि वाहन व मकान खरीदने की समभावनाए बढ़ेगी,आपकी माता को व आपको कोई सम्मान प्राप्त होगा,उतरती हुयी साडेसाती खूब यात्राए कराएगी,नियम के विरुद्ध कार्य करने व बिना जाने पहचाने उधार देने दिलवाने से परेशानियाँ होंगी |


उपाय-प्रतिदिन धर्मस्थान मे ज़रूर जाये |


8)वृश्चिक राशि – इस राशि से शनि का गोचर कार्यक्षेत्र व बदलाव व पिता के लिए कष्ट लाएगा,जीवन साथी से संबन्धित कोई नया कार्य कर सकते हैं सहोदरो से संबन्धित कोई खबर मिल सकती हैं | शनि साडेसाती की दूसरी ढैया किसी बुजुर्ग की मृत्यु कारण अन्त्येष्टि कर्म मे सम्मिलित करवा सकती हैं स्वयं हेतु विष इत्यादि से भय हो सकता हैं अत; बाहर के खाने से परहेज करे |


उपाय- नित्य शनि चालीसा,हनुमान चालीसा का पाठ करे तथा हर शनिवार बंदरो को केला खिलाये |


9)धनु राशि- इस राशि से द्वादश भाव मे शनि का गोचर शनि की साडेसाती की शुरुआत करेगा जिसके प्रभाव से स्थान परिवर्तन व धननाश होकर रहेगा,धन आने मे दिक्कते होंगी,आपके खिलाफ कोई इलज़ाम अथवा कारवाई की जा सकती हैं जिनसे स्वयं स्वास्थ्य संबंधी परेशानिया शुरू होंने के कारण अस्पताल जाना पड़ सकता हैं,मामा पक्ष मे परेशानियाँ आएंगी परंतु विदेश अथवा दूर की यात्रा से लाभ भी मिलेगा |


उपाय-विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नित्य करे तथा चींटियों को चावल के आटे का चुरा डाले |


10) मकर राशि- इस राशि से एकादश भाव मे शनि का गोचर होने से शनि व गुरु दोनों ग्रहो की इस राशि पर दृस्टी होगी जिससे ज़बरदस्त सफलता व धन लाभ की समभावनाए बनेगी जिस कारण आपके आत्मविश्वास मे बढोतरी होगी,जीवन मे बहुत से बदलाव आएंगे,व्यापार विस्तार हेतु नई योजनाए बनेगी जिनसे लाभ होगा,आप धन को कहीं ना कहीं किसी भी रूप मे निवेश करेंगे,संतान के लिए थोड़ा कष्टकारक समय रहेगा |


उपाय-सोमवार को शिवजी की पुजा करे.


11) कुम्भ राशि- इस राशि से दशम गोचर कार्य की अधिकता,नौकरी का छूटना व सम्मान की हानि कराएगा आपको अपने खर्चे निकालने मे दिक्कते प्राप्त होंगी,उधार व किश्ते चुकाना मुश्किल होगा,इन सब कारणो से सेहत प्रभावी हो सकती हैं,पिता या किसी पार्टनर से लाभ होगा,लंबी यात्राओ मे धन खर्च होगा,आपका विदेश अथवा अस्पताल से संबंध जुड़ सकता हैं,पत्नी से संबन्धित सुखो मे कमी तथा भूमि व मकान संबंधी योजनाओ मे परेशानियाँ बनेगी |


उपाय - हर शनिवार संध्या समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जगाएं । 


12)मीन राशि- राशि से नवम गोचर धर्म,धन व भाग्य वृद्दि करेंगे,भाई बहनो को लाभ देंगे,शत्रुओ को नुकसान मिलेगा अर्थात आपकी विजय होगी,दुस्साहसी प्रवृति बढ़ेगी,कानूनी मामलो मे मदद व लाभ मिलेंगी,पिता के स्वास्थ्य मे सुधार होगा,धर्म गुरुओ से मिलना अथवा विदेश मे तबादला हो सकता हैं|


उपाय-शनि चालीसा का पाठ रोजाना करे तथा हल्दी का तिलक माथे पर नित्य लगाए |


विशेष उपाय : यदिं किसी जातक के पास कुंडली न हो तो हर मंगलवार हनुमान जी को त्रिकोना  लाल झण्डा और पतासे का प्रसाद लगाएं और हर शनिवार रात्रि शनि मंदिर में तेल अभिषेक करें । निर्धन को भोजन करवाएं , गौ शाला में दवाई का दान करने से भी शनि देव शांत रहते हैं । हनुमान चालीस का पाठ और शनि बीज मंत्र जाप करना और शनि शांति हवन यज्ञ  करवाना भी उत्तम फल देता है । 

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