हमारे भीतर ही बैठा है उसे कभी नहीं पकड़ते
पढ़ पढ़ आलम पागल होया, कदी अपने आप नू पढ़या नईं !
जा जा वड़दा मंदिर मसीतां, कदी अपने आप चे वड़या नई !!
एवईं रोज शैतान नाल लड़दा, कदी अक्स अपने नाल लड़या नई !
बुल्ले शाह आसमानी उड दियां फड़दा, जेड़ा घर बैठा उह नूं फड़िया नईं !!
सारी दुनियां पोथी पुराण पढ़ पढ़ पागल हो रही है कोई अपने आप को पढ़ता ही नहीं। लोग मन्दिर मस्जिदों में घुस घुस कर भीड़ें लगा रहें हैं पर अपने भीतर घुस के देखने की खबर किसी को नहीं। लोग, रोज ही तरह तरह की बुराईयों को शैतान की जान, उनसे लड़ते रहते हैं पर अपनी ही छवि के दोष नहीं देखते। बुल्लेशाह कहते हैं कि हम आसमानी बातों की खोज खबर लेते रहते हैं पर जो पढ़ पढ़ आलम पागल होया, कदी अपने आप नू पढ़या नईं !
जा जा वड़दा मंदिर मसीतां, कदी अपने आप चे वड़या नई !!
एवईं रोज शैतान नाल लड़दा, कदी अक्स अपने नाल लड़या नई !
बुल्ले शाह आसमानी उड दियां फड़दा, जेड़ा घर बैठा उह नूं फड़िया नईं !!
सारी दुनियां पोथी पुराण पढ़ पढ़ पागल हो रही है कोई अपने आप को पढ़ता ही नहीं। लोग मन्दिर मस्जिदों में घुस घुस कर भीड़ें लगा रहें हैं पर अपने भीतर घुस के देखने की खबर किसी को नहीं। लोग, रोज ही तरह तरह की बुराईयों को शैतान की जान, उनसे लड़ते रहते हैं पर अपनी ही छवि के दोष नहीं देखते। बुल्लेशाह कहते हैं कि हम आसमानी बातों की खोज खबर लेते रहते हैं पर जो हमारे भीतर ही बैठा है उसे कभी नहीं पकड़ते।
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