जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||
कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन
जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||
न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था
न तुम हमदर्द बन पाए ना ,हम हमराज हो पाए ||
जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||
ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ, बेवजह थी लेकिन
न तुम आये मनाने को ,न हम नाराज हो पाए ||
गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे, गुरूर-ए-इश्क में हम थे
न हम नाचीज कह पाए, न तुम नायाब हो पाए ||
अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||
जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद, ना आज़ाद हो पाए ||....
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