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Wednesday 5 November 2014

पंचम भाव के शनि का फल ५- पंचम भाव के शनि का फल - इस भाव मे शनि के होने के कारण व्यक्ति को मन्त्र वेत्ता बना देता है, वह कितने ही गूढ मन्त्रों के द्वारा लोगो का भला करने वाला तो बन जाता है...


पंचम भाव के शनि का फल
५- पंचम भाव के शनि का फल -
इस भाव मे शनि के होने के कारण व्यक्ति को मन्त्र वेत्ता बना देता है, वह कितने ही गूढ मन्त्रों के द्वारा लोगो का भला करने वाला तो बन जाता है, लेकिन अपने लिये जीवन साथी के प्रति,जायदाद के प्रति, और नगद धन के साथ जमा पूंजी के लिये दुख ही उठाया करता है।संतान मे शनि की सिफ़्त स्त्री होने और ठंडी होने के कारण से संतति मे विलंब होता है,कन्या संतान की अधिकता होती है, जीवन साथी के साथ मन मुटाव होने से वह अधिक तर अपने जीवन के प्रति उदासीन ही रहता है। पांचवे घर मे शनि को इसलिए आर्थिक रुप से अच्छा नही समझा जाता है. क्योंकी पांचवे घर से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से सांतवे घर के देखते है. जो साझेदारी व्यापार का घर है. शनि के देखने से इस घर से मिलने वाले शुभ फलों मे कमी आती है. और साझेदारी व्यापार लाभ के स्थान पर हानि देने की स्थिति मे आ जाता है. पांचवे घर पर शनि के गोचर मे शनि अपनी दसंवी दृष्टि से दूसरे घर के देखता है. दूसरा घर धन का घर है. इससे व्यक्ति के संचय के देखा जाता है. इस घर मे शनि के गोचर से पूरे ढाई साल तक व्यक्ति के धन प्राप्ति की संभावनाएं मात्र स्वपन बनकर रह जाती है. 

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