धैर्य की परीक्षा लेने हेतु
एक संत की सेवा में एक बणिया रोजाना भोजन लेकर आता था । उसे पुत्र की इच्छा थी । एक दिन संत ने उसके धैर्य की परीक्षा लेने हेतु भोजन की थाली कुँएं में डाल दी । तब भी बणिये ने संतजी को कुछ भी नहीं कहा और दूसरी थाली में भोजन ले आया । संत उसकी श्रद्धा भक्ति देखकर प्रसन्न हो गये और उसे पुत्र प्राप्ति का वर दे दिया । सन्त के वचनों से सेठानी के पुत्र हो गया । ‘‘ज्यों घण घावां सार घड़ीजे झूठ सवै झड़जाई’’ जैसे घण की चोटों से लोहा शुद्ध हो जाता है, वैसे ही संतों की ताड़ना सहन करने से प्राणी के पाप और दोष दूर हो जाते हैं, तभी बणिये को पुत्र प्राप्ति हुई ।...................
in which men has patients. he gt every thing in life
ReplyDeletein which men has patients. he got every thing in life
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