जीवन के सत्य को कुच्छ इस तरह ब्यान करते हैं
16 बी. सदी के मुसलमान सूफी फकीर बाबा "बुल्ले शाह" भी एक थे। जीवन के सत्य को कुच्छ इस तरह ब्यान करते हैं बाबा बुल्ले शाह .......
' माटी कुदम करेंदी यार '
माटी कुदम करेंदी यार
वाह- वाह माटी दी गुलज़ार ।
माटी घोड़ा , माटी जोड़ा
माटी दा असवार ।
माटी माटी नूँ दौडावे
माटी दा खड़कार ।
माटी माटी नूँ मारण लग्गी
माटी दे हथियार ।
जिस माटी पर बहुती माटी
सो माटी हंकार ।
माटी बाग - बगीचा माटी
माटी दी गुलज़ार ।
माटी माटी नूँ वेखन आई
माटी दी ए बहार ।
हस खेड फिर माटी होवे
सौंदी पाऊं पसार । ......सूफी फ़क़ीर बाबा बुलै शाह। ……
nice way to tell truth of the story of the life
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