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Thursday, 3 April 2014

चतुर्थ नवरात्रीः- मां कूष्मांडा "3rd April 2014" मां दुर्गा के नवरूपों में चौथा रूप मां कूष्मांडा का है। ......

maa kushmanda ji.....
चतुर्थ नवरात्रीः- मां कूष्मांडा "3rd April 2014"
मां दुर्गा के नवरूपों में चौथा रूप मां कूष्मांडा का है। दुर्गा पूजा के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा ने अपनी मुस्कान से ब्रह्माण्ड का निर्माण किया, जिसके कारण इन्हें मां कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मां कूष्मांडा का मुख सहस्त्र सूर्यों के तेज से उज्जवल है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमण्डल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र तथा गदा है। मां के आठवें हाथ मे कमल के पुष्प के बीज की माला है, यानि कि जब धरती पर कुछ नही था तब वनस्पति हो या इंसान जो भी पहले उत्पन्न हुआ वो मां कूष्मांडा की ही शक्ति थी, और आज जो भी इंसान संतान उत्पन्न करने में सक्षम है उस पर मां कूष्मांडा की ही कृपा है।
सारे संसार में जिस भी वनस्पति या जीव-सजीव में अपने शरीर से दूसरा शरीर पैदा करने की क्षमता है उसमें मां कूष्मांडा वास करती है। जो भी मनुष्य नर या नारी संतान सुख प्राप्त करने की क्षमता नही रखते, वो अगर इस चौथे नवरात्र पर मां कूष्मांडा की शास्त्रों के अनुसार विधि पूर्वक पूजा आरंभ करके अगले नौ महीने तक हर रोज मां की पूजा करते रहें तथा प्रत्येक रात्रि सोने से पहले या सूर्योदय होने से पहले एक ही स्थान पर बैठ कर हर रोज मां कूष्मांडा के मंत्रों का जाप करते है, तो मां कूष्मांडा उन भक्तों पर खुश होकर उनको संतान सुख प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती है, जिससे उसकी मनोकामना पूरी होती है।
माता रानी सदा सुखी रखे...पण्डित म् डी वशिष्ट। …… 

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