जन्मों के पुण्योदय का फल है,
यदि गृहस्थ जीवन में गुरुदेव कि उपस्थिति से हम लीक से हटकर कुछ अलग चलने कि, कुछ करने कि प्रेरणा न ले सके, तो धिक्कार है इन प्राणों को | कब तक उलझे रहेंगे हम अपने जीवन कि इन समस्याओं में, क्या हमारा जीवन सिर्फ भोजन-पानी में ही सिमट कर रह जायेगा ? यदि अब भी हम नहीं चेते तो संसार में और कोई व्यक्तित्व फिर अवतरित नहीं होगा, जो हमें झकझोर सके, हमारा मार्गदर्शन कर सके, हमें नव जीवन प्रदान कर सके, क्योंकि अवतरण कि क्रिया बार-बार नहीं होती | यह तो हमरे कई-कई जन्मों के पुण्योदय का फल है,…………………।
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