"द्वितीय नवरात्रीः- मां ब्रह्मचारिणी" 1st April 2014
मां दुर्गा के नवरूपों में दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी का है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत आलौकिक है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली, अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी। मां ब्रह्मचारिणी कठोर तपस्या में लीन है जिसके कारण इनके मुख पर अद्भुत तेज का भाव है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में अक्ष की माला है तथा बाएं हाथ में कमण्डल है।
मां ब्रह्मचारिणी के इस स्परूप को जीवन के किशोर काल से जोड़ कर देखा जाता है। इस अवस्था में बालक अपने माता-पिता एवं गुरू जनों पर आश्रित होता है तथा ब्रह्म तप अर्थात अपनी शिक्षा की ओर ध्यान लगाए हुए होता है। इस काल में बालक के मुख पर एक अलग तेज होता है और शारीरिक रूप से काफी बलिष्ठ होता है। यदि किसी का बालक शारीरिक रूप से कमजोर हो, पढ़ने-लिखने में ध्यान कम लगाता हो, तो उसको मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।
माता रानी सदा सुखी रखे.......PT.M.D.VASHISHT....
MAA BRAHAMCHARNI...JI. |
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