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तृतीय नवरात्रीः- मां चंद्रघंटा " 2nd April 2014
मां दुर्गा के नवरूपों में तीसरा रूप मां चंद्रघंटा का है। दुर्गा पूजा के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान आलोकित है। माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित है, जिसके कारण माता को चंद्रघंटा कहा गया है। मां चंद्रघंटा अपने वाहन सिंह पर विराजमान हैं तथा अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र, धनुष, भरे हुए तरकश लिए हुए हैं। मां चंद्रघंटा के मुख पर मंद-मंद मुस्कान की आभा झलक रही है।
मां चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है। माता चंद्रघंटा की मुद्रा सदैव युद्ध के लिए तत्पर रहने की है। यह हमें दर्शाता है कि व्यक्ति को जीवन में सदैव प्रत्येक कार्य के लिए, सभी परेशानियों से लड़ने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करने से माता की कृपा प्राप्त होती है तथा सभी दुखों का निवारण होता है।
माता रानी सदा सुखी रखे......PT.M.D.VASHISHIT.......
Maa Chandarghanta Ji.....
तृतीय नवरात्रीः- मां चंद्रघंटा " 2nd April 2014
मां दुर्गा के नवरूपों में तीसरा रूप मां चंद्रघंटा का है। दुर्गा पूजा के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान आलोकित है। माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित है, जिसके कारण माता को चंद्रघंटा कहा गया है। मां चंद्रघंटा अपने वाहन सिंह पर विराजमान हैं तथा अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र, धनुष, भरे हुए तरकश लिए हुए हैं। मां चंद्रघंटा के मुख पर मंद-मंद मुस्कान की आभा झलक रही है।
मां चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है। माता चंद्रघंटा की मुद्रा सदैव युद्ध के लिए तत्पर रहने की है। यह हमें दर्शाता है कि व्यक्ति को जीवन में सदैव प्रत्येक कार्य के लिए, सभी परेशानियों से लड़ने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करने से माता की कृपा प्राप्त होती है तथा सभी दुखों का निवारण होता है।
माता रानी सदा सुखी रखे......PT.M.D.VASHISHIT.......
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