{ प्रभु आप कहाँ और में कहाँ }
आप सर्वज्ञ और में अज्ञानी
आप सिद्धवास में और में संसार में
आप कर्म रहित और में कर्म सहित
आप दयालु और में दयनीय
आप तपश्वी और में भोगी
आप त्यागी और में भोगी
आप ब्रह्मचारी और में वासनायुक्त
आप करुणा सागर और में करुणा पात्र
आप सर्वगुण सम्पन्न, में सर्व दोषयुक्त
हे... करुणा निधान !
मुझ पर करुणा बरसाओ
में दोष मुक्त बनकर आप जैसा बनूँ !!.....पण्डित म् डी वशिष्ट। ...................
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