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Wednesday 18 June 2014

जीवन खुशियों से भर जाए कौन सा रत्न धारण करें कि जीवन खुशियों से भर जाए... मेष राशि और मेष लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें? मूंगा:- मंगल लग्नेश और अष्टमेश होने से लग्न और अष्टम भाव को बलवान करेगा। आयु, स्वास्थ्य, बुद्धि, धन और यश में वृद्धि करेगा।....

जीवन खुशियों से भर जाए
कौन सा रत्न धारण करें कि जीवन खुशियों से भर जाए...

मेष राशि और मेष लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
मूंगा:- मंगल लग्नेश और अष्टमेश होने से लग्न और अष्टम भाव को बलवान करेगा। आयु, स्वास्थ्य, बुद्धि, धन और यश में वृद्धि करेगा।
माणिक:- सूर्य पंचमेश होने के कारण मंत्रणा शक्ति को बढ़ायेगा। सरकार से लाभ दिलायेगा। संतान प्राप्ति में सहयोग देगा। भाग्य में वृद्धि करेगा।
पुखराज:- नवमेश और द्वादशेश है। इन भावों की पुष्टि करेगा। राजनीति में सफलता। राज्य अधिकारियों को अनुकूल बनाएगा। धन, आयु, स्वास्थ्य में वृद्धि करेगा। पारिवारिक समस्याओं को भी दूर करेगा। भाग्य उज्जवल करेगा।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

वृषभ राशि और वृषभ लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
हीरा:- शुक्र लग्नेश और षष्ठेश होने के कारण स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि। जीवन साथी के स्वास्थ्य में लाभ। ऋण से मुक्ति। शत्रु समस्याओं का समाधान। धन स्रोतों में वृद्धि।
पन्ना:- द्वितीयेश और पंचमेश होने के कारण संतान सुख में वृद्धि। भाग्य में बढ़ोतरी। अकस्मात धन लाभ। शिक्षा में सफलता। वाणी दोषों से मुक्ति।
नीलम:- शनि नवमेश और दशमेश राजयोग कारक बनता है। स्नायु तंत्र मजबूत करेगा। टांगों में बल देगा। धन में वृद्धि कराएगा। मान-सम्मान व भाग्य को बढ़ाएगा।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

मिथुन राशि और मिथुन लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
पन्ना:- बुध लग्नेश और चतुर्थेश बनता है। पन्ना धारण करने से बुध बलवान होगा। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मस्तिष्क रोगों से मुक्ति मिलेगी। जनता में वर्चस्व बढ़ेगा।
हीरा:- शुक्र पंचमेश और द्वादशेश होने के कारण यहां पंचम भाव का मुख्य फल प्रदान करता है। बुद्धि, विवेक, संतान सुख में वृद्धि व स्वास्थ्य में सुख देता है। दीर्घ आयु बनाता है। दांपत्य सुख में वृद्धि होती है।
नीलम:- शनि अष्टमेश और नवमेश बनता है। पिता के लिए योग कारक, आयु, धन और स्वास्थ्य में लाभकारी वृद्धि करता है। मकान का लाभ दिलाता है। सरकार में सफलता मिलती है।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

कर्क राशि और कर्क लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
मोती:- चंद्रमा लग्न का स्वामी है। मानसिक शक्ति बढ़ेगी। मन शांत रहेगा। वाणी में मधुरता आएगी। रक्त विकार से मुक्ति मिलेगी। सेवा भाव जागृत होगा। संतान के भाग्य में वृद्धि होगी।
मंूगा:- मंगल पंचम और दशम भाव का स्वामी होकर संतान सुख में वृद्धि करेगा। पति के कार्यों में लाभ की आशा भी जगाता है। सूझबूझ में वृद्धि करेगा। धन और भाग्य में बढ़ोतरी होगी।
पुखराज:- बृहस्पति छठे और नवम भाव का स्वामी होकर आय में वृद्धि, स्वास्थ्य में सुधार व सरकार से लाभ दिलाएगा। ननिहाल पक्ष से भी सुख की प्राप्ति होती है।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

सिंह राशि और सिंह लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
माणिक:- सूर्य लग्न का स्वामी होकर सरकार से लाभ दिलाएगा। मान-सम्मान में वृद्धि कराएगा। पाचन शक्ति, हार्ट व हड्डी संबंधी परेशानियों से छुटकारा दिलाएगा। धन आयु कीर्ति में बढ़ोतरी होगी।
पुखराज:- पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होकर धन और भाग्य में वृद्धि करेगा। अमाशय संबंधी सभी रोगों से मुक्ति दिलाएगा।
मंूगा:- चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी होकर राजकारक योग बनाता है। धन, यश, सुख, संपत्ति पदोन्नति और भाग्य में वृद्धि करेगा।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

कन्या राशि और कन्या लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
पन्ना:- लग्नेश और दशमेश होकर पुरुषार्थ में वृद्धि करेगा। पिता के कारोबार को बढ़ाएगा। आंतों के रोग से छुटकारा दिलाएगा। राज्य सत्ता में लाभ।
नीलम:- शनि देव और पांचवें और छठे भाव के स्वामी होकर स्वास्थ्य, संतान और धन में वृद्धि करेगा।
हीरा:- दूसरे और नवम भाव का स्वामी बनकर भाग्य में वृद्धि करेगा। जीवन को उन्नति के मार्ग पर लेकर जाएगा। रोगों से छुटकारा दिलाएगा। शिक्षा में उन्नति के अवसर। संगीत और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ाएगा।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

तुला राशि और तुला लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
हीरा:- लग्न और अष्टम भाव का स्वामी होकर दांपत्य सुख, आयु और स्वास्थ्य के लिए शुभ रहता है।
नीलम:- चौथे और पांचवें भाव का स्वामी होकर माता के सुख को बढ़ाएगा। सामाजिक सेवाओं से जोड़ेगा। पैतृक संपत्ति का लाभ, राजनीति में सफलता, धन पद, सुख सभी में वृद्धि करेगा।
पन्ना:- नवम और द्वादश भाव का स्वामी होकर भाग्य में वृद्धि, अध्यात्मक रूझान, सरकार से लाभ व उच्च पदो की प्राप्ति का प्रबल योग दिलाता है।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

वृश्चिक राशि और वृश्चिक लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
मूंगा:- मंगल लग्न और छठे भाव का स्वामी होकर पुरुषार्थ में वृद्धि करेगा। शत्रु षडयंत्र से बचाएगा। स्वास्थ्य और धन का लाभ, रक्त संबंधी बीमारियों से छुटकारा और पिता के भाग्य में भी वृद्धि करेगा।
पुखराज:- बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी होने से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलेगी। लाभ, मान-सम्मान, शिक्षा में सफलता, धर्म में रुचि और सरकार से लाभ भी दिलाएगा।
मोती:- नवम भाव का स्वामी होकर पिता की आयु, स्वास्थ्य, धन और मानसिक शक्ति को मजबूत करेगा।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

धनु राशि और धनु लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
पुखराज:- बृहस्पति लग्नेश और चौथे भाव का स्वामी होकर सुख और सौभाग्य में वृद्धि, मान-सम्मान में बढ़ोतरी, कारोबार में उन्नति के अवसर। बुद्धिमान व विवेकमान बनाता है। संतान के भाग्य में भी वृद्धि करता है।
मूंगा:- मंगल द्वादशेश और पंचम भाव का स्वामी होकर संतान सुख में वृद्धि, मजबूत याददाशत व पुरुषार्थ में वृद्धि, भाग्य में बढ़ोतरी, परिवार में वृद्धि करता है।
माणिक:- सूर्य नवमेश होने से स्वास्थ्य, आयु में लाभ। सरकार में वर्चस्व बढ़ाएगा। सात्विक कर्मों का उदय और रोगों से पीछा छुड़ाएगा।

मकर लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
नीलम:- शनि लग्नेश और दूसरे भाव का स्वामी बनकर धन, स्वास्थ्य, व्यापार और आयु में वृद्धि करेगा। वाणी में सुधार लाएगा।
हीरा:- शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी होकर राजकारक योग बनाता है। राजनीति में सफलता, पिता के धन में वृद्धि, अध्यात्म में विशेष रूचि, आकस्मिक धन लाभ और दांपत्य सुख में बढ़ोतरी।
पन्ना:- छठे और नवम भाव का स्वामी होकर भाग्य में वृद्धि, स्वास्थ्य का लाभ, सरकार में सफलता, अकस्मात कार्यों में विशेष लाभ के योग, सौभाग्य में वृद्धि, नौकरी में पदोन्नति, जीवन साथी का पूर्ण सुख प्राप्त होता है।

कुंभ राशि और कुंभ लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
नीलम:- शनि बारहवें और लग्न का स्वामी होकर खर्चों में कमी करेगा। व्यापार में लाभ दिलाएगा। संतान सुख में बढ़ोतरी, शारीरिक रोगों से छुटकारा और भौतिक सुख साधनों का लाभ।
पन्ना:- बुध यहां पंचमेश व अष्टमेश होकर कारोबार में धन लाभ दिलाएगा। एक बात का ध्यान रखना, बुध की मूल त्रिकोण राशि कन्या यहां अष्टम भाव में पड़ेगी। इसीलिए यहां पन्ना सोच-समझ कर धारण करना चाहिए। फिर भी मैंने कई बार देखा है यहां बुध शोध के कार्यों में विशेष प्रबल योग बनाता है।
हीरा:- चतुर्थ और नवमेश होकर आयु, धनु व सरकारी उच्च पदों का लाभ दिलाता है। वाहन आदि का सुख व दु:खों को सुखों में बदलने की ताकत यहां हीरे में होती है।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

मीन राशि और मीन लग्न वालें कौन सा रत्न धारण करें?
पुखराज:- गुरु यहां लग्नेश और दशमेश होकर व्यक्ति को सरकार से लाभ, शुभ कर्मों में वृद्धि, संतान के भाग्य में वृद्धि, धर्म में रुचि बढ़ाता है।
मोती:- चंद्रमा यहां पंचम भाव का स्वामी होकर माता के कष्ट को दूर करता है। साथ ही स्मरण शक्ति और विवेक में बढ़ोतरी करता है।
मूंगा:- दूसरे और नवम भाव का स्वामी होकर धन, विद्या, आयु, स्वास्थ्य सुख को बढ़ाएगा। साथ ही नेत्र रोगों से मुक्ति दिलाता है। बड़े मामा से धन लाभ होता है और पत्नी का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
विशेष नोट:- परंतु षडबल में इष्ट फल और कष्ट फल के देखें बिना रत्न धारण नहीं करना चाहिए। जिस ग्रह के इष्ट फल ज्यादा हो वहीं रत्न धारण करना शुभ रहता है।

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