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Friday 13 June 2014

म्रत्यु के लिये लोग अष्टम भाव को ही देखते है । किन्तु मृत्यु को देखने के लिये तृतीय ,अष्टम और दसम भाव देखना जरूरी है। आज हम इस विषय पर चर्चा करके आपको ये बताते है की किस कारक गृह के कारण किस तरह से मृत्यु आती है ।.....

म्रत्यु के लिये लोग अष्टम भाव को ही देखते है ।
किन्तु मृत्यु को देखने के लिये तृतीय ,अष्टम और
दसम भाव देखना जरूरी है। आज हम इस विषय
पर चर्चा करके आपको ये बताते है की किस कारक
गृह के कारण किस तरह से मृत्यु आती है ।
सूर्य :- अग्नि , तेज बुखार से ,मूत्र मार्ग
की परेसानी से -------
चन्द्र :- जल से सम्बंधित दुर्घटनाओं से ,जल संकट , क्षय
रोग ,खांसी या फेफड़ों से सम्बंधित ----------
मंगल :- आग
की दुर्घटनाये ,गोली लगने ,ऊँचे
स्थानो गिरने , जादू टोना , पीलिया ,वाहनो से होने
बाली दुर्घटनाएं ---------
बुध :- पक्षाघात (लकवा ),वात ,पोलियो ,
नसों की कमजोरी ,अण्डकोष से सम्बंधित
बीमारी , विषैले
बुखार ,अपच----------
गुरु :- ह्रदय आघात ,हृदय
सम्बन्धी परेसानी ,यकृत ,
शारीरिक दुर्बलता -----------
शुक्र :- योन से सम्बंधित , मूत्र से सम्बंधित ,श्लेष्म
(बलगम ) , उदर रोग ------------
शनि :- वात रोग ,व्रण (आमासय में घाव ) विषैले
बुखार ,लम्बी बीमारी -----------
( आज कल जो रोग है जैसे शुगर ,कैंसर (कर्क रोग ),
एड्स-------इत्यादि रोग ग्रहों की युति से होते
है

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