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Wednesday 25 June 2014

संकट मुक्ती हेतु...............शक्ति शाली है यह मंतर। …………………।

संकट मुक्ती हेतु.............................शक्ति शाली है यह मंतर। …………………।

नमस्ते रुद्ररुपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनी
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषामर्दिनी
नमस्ते शुम्भहन्त्रे च निशुम्भासुरघातिनी
जाग्रतं हि महादेवी जपं सिद्धं कुरुष्व मे
ऐँकारी सृष्टिरुपायै ह्रीँकारी प्रतिपालिका
क्लीँकारी कामरुपिण्यै बीजरुपे नमोऽस्तु ते
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायनी
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररुपिणि
धां धीँ धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीँ वूं वागधीश्वरी
क्रां क्रीँ क्रूं कालिका देवि शां शीँ शूं मेँ शुभं कुरु
हुं हुं हुंकाररुपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी
भ्रां भ्रीँ भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमोँ नमः
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा
पां पीँ पूं पार्वती पूर्णा खां खीँ खुं खेचरी तथा
सां सीँ सूं सप्तशतिदेव्या मंत्रसिद्धी कुरुष्व मे
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेवते
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वती।

नित्य दुर्गा जी के पूजन के बाद 11 बार पाठ करने से,आयु सम्मान प्रतिष्ठा मे वृर्द्धी होती है हर संकट से मुक्ती प्राप्त होती है।

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