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Friday 18 April 2014

जानें! कैसे बन सकते हैं आप बेशुमार धन दौलत के स्वामी प्रत्येक व्यक्ति के मन में ये इच्छा होती है.....संपत्ति प्राप्ति के सरल उपाय......


संपत्ति प्राप्ति के सरल उपाय......
जानें! कैसे बन सकते हैं आप बेशुमार धन दौलत के स्वामी प्रत्येक व्यक्ति के मन में ये इच्छा होती है की वह अपने सपनों का घर बना सके। वह अपनी हैसियत और वरियताओं के अनुसार अपने खुद के बनाए घर में रहना चाहता है। कुछ लोग पूरे जीवन में ऐसा करने में विफल रहते हैं, जबकि कुछ लोग अपने घर के सपनों को साकार करने में सफल रहते हैं। ऐसा अक्सर देखा जाता है के कुछ व्यक्तियों को संपत्ति प्राप्ति करने में कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और कुछ को पैत्रिक संपत्ति होते हुए भी वो उसका सुख नहीं भोग पाते। कुछ लोगों को किराए का मकान ही नसीब होता है, जबकि कुछ लोगों के पास आपार भूमि और संपत्ति होती है।
ज्योतिष शस्त्र में व्यक्ति की कुण्डली के चौथे भाव से माता, मातृभूमि, चल-अचल संपत्ति, मकान, वाहन आदि संदर्भों को महत्वपूर्ण माना गया है। वास्तव में चौथे भाव से किसी व्यक्ति की स्थायित्व की स्थिति बताई जा सकती है, जो जातक के लिए सुखद अथवा दुखद हो सकती है। व्यक्ति को संपत्ति से कितना सुख मिलेगा अथवा व्यक्ति अपने जीवन काल में कितनी संपत्ति प्राप्त कर पाएगा अथवा व्यक्ति की संपत्ति उसकी जरुरत की पूर्ति करने वाली होगी या नहीं।
ज्योतिष विद्या से यह भी जाना जा सकता है कि किस प्रकार की संपत्ति के कारण समाज में जातक का क्या स्तर होगा अथवा किस समयांतराल में संपत्ति से संबंधित मामले सुखद और किस समयांतराल में दुखद बनें रहेंगे ? संपत्ति के लिए कुण्डली में मौजूद धन योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली का चौथा भाव उसकी संपत्ति का ब्यौरा देता है, काल पुरुष सिद्धांत के अनुसार चौथे भाव का नैसर्गिक स्वामी चंद्रमा कहलाया जाता है, अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में चंद्रमा नीच राशि में विद्धमान है अथवा त्रिक भाव (6ठे, 8वे, अथवा 12वे) में स्थित है तो व्यक्ति की जीवन में संपत्ति को लेकर जटिल समस्याएं आती है। शास्त्रों में मंगल ग्रह को भूमि का अधिपति माना है तहत व्यक्ति की कुण्डली में मंगल की स्थिति भूमि से जुड़े कार्य संबोधित करती है। व्यक्ति की कुण्डली में मंगल का नीच होना अथवा लग्नेश का कमज़ोर होना पैतृक संपत्ति की प्राप्ति में व्यवधान डालता है। शनि को निर्माण और पितृ संबंधित ग्रह माना गया है। व्यक्ति की कुण्डली में शनि का नीच होना अथवा दसवें भाव का कमज़ोर होना संपत्ति के निर्माण में समस्याएं उत्पन्न करता है।
संपत्ति में उन्नत्ति के लिए उपाय
1. प्रत्येक सोमवार मिट्टी पर कच्चा दूध गिराएं।
2. सोमवार के दिन वृद्ध महिलाओं को सफ़ेद कपड़े दान करें।
3. घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गंगाजल का कलश स्थापित करें।
4. पारद शिवलिंग घर के पूजा घर में स्थापित करें।
5. किसी कुएं में 16 सोमवार दूध गिराएं।
पैतृक संपत्ति प्राप्ति के सरल उपाय
1. घर की दक्षिण दिशा में शहद का बर्तन स्थापित करें।
2. विधावा स्त्री की सेवा करें।
3. गाय को गुड़ खिलाएं।
4. हनुमान जी के चित्र पर सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
5. गरीब व्यक्तिओं में इमरती/जलेबी बाटें।
संपत्ति विवाद से मुक्ति के उपाय
1. बरगद के पेड़ पर दही की लस्सी चढ़ाएं।
2. शनिवार के दिन सरसों का तेल मिट्टी में बहाएं।
3. काली गाय को पालक खिलाएं।
4. चार बादाम काले कपड़े में बांधकर घर की पश्चिम दिशा में स्थापित करें।
5. मजदूरों को काले जूते भेंट करें।

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