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Thursday 24 April 2014

कैसे करें विपत्तिओं का नाश क्या आप पर टूटा है मुसिबतों का पहाड़, गणपति करेंगे बेड़ा पार वक्रतुण्डावताराश्च देहानां ब्रह्मधारकः। .................


कैसे करें विपत्तिओं का नाश
क्या आप पर टूटा है मुसिबतों का पहाड़, गणपति करेंगे बेड़ा पार
वक्रतुण्डावताराश्च देहानां ब्रह्मधारकः। 
मत्सरासुरहन्ता स सिंहवाहनगः स्मृतः ।।
गणेश जी का पहला अवतार वक्रतुण्ड रूप है। गणेश जी का वक्रतुण्ड अवतार ब्रह्मस्वरुप में सम्पूर्ण जगत को धारण करने वाला है, मत्सर असुर का वध करने वाला तथा सिंह वाहन पर चलने वाला है। शब्द वक्रतुण्ड दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द है वक्र जिस का अर्थ है मुड़ा हुआ,घुमा हुआ तथा दूसरा शब्द है तुण्ड जिसका अर्थ है सूंड। अतः गणेश जी का वो अवतार जिसकी सूंड मूड़ी हो।
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रेलोक्य रक्षक:। 
भ्क्त्या नाम्भ्यन्क्र्ता त्राता भव भववारन् वात।।
वक्रतुण्ड का पौराणिक आधार है की देवराज इन्द्र के लापरवाही से मत्सरासुर का जन्म हुआ तथा उसने शुक्राचार्य से भगवान शंकर के पंचाक्षरी मंत्र की दीक्षा प्राप्त कर भगवान शंकर की कठोर तपस्या प्राप्त कर उन्हें प्रसन्न किया और उनसे उसे अभय वरदान मांगा तथा शुक्राचार्य द्वारा उसे दैत्यराज नियुक्त कर दिया गया। मत्सरासुर ने शक्ति प्राप्त कर तीनों लोकों को अपने अधीन कर लिया और सभी देवों का दमन किया।
मत्सरासुर ने अपनी शक्ति से ब्रह्मलोक, देवलोक और कैलाश पर भी आक्रमण कर सभी देवताओं को परास्त कर दिया। उसी समय भगवान दत्तात्रेय द्वारा देवताओं को गणेश जी के विपत्ति नाशक वक्रतुण्ड रूप से अवगत करवाया तथा सभी देवताओं ने मिलकर गणेश जी के वक्रतुण्ड मंत्र “गं” का जप कर उन्हें प्रसन्न किया तथा श्री गणेश जी ने वक्रतुंड रूप में देवताओं को मत्सरासुर के आतंक से बचने का वरदान दिया। श्री गणेश ने वक्रतुंड स्वरुप में मत्सरासुर को परास्त किया और देवताओं को आतंक से मुक्ति दिलाई। इसी प्रकार श्री गणेश जी ने देवताओं और त्रिदेवों पर आई हुई विपत्ति का नाश किया।
कैसे करें विपत्तिओं का नाश
1 प्रति दिन गणेशजी का विपत्तिनाश मंत्र “वक्रतुण्डाय हूं” का जाप करें।
2 शुद्ध घी में सिंदूर मिलाकर गणेश जी की मूर्ति पर लेप चढ़ाएं।
3 बुधवार के दिन गणेश जी पर 7 केले चढ़ाएं।
4 नारद रचित संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
5 गणेश जी की मूर्ति पर यज्ञोपवित (जनयु) चढ़ाएं।
6 बुधवार के दिन गणेश जी पर दही और गुड़ का भोग लगाएं।
7 सुपारी को सिंदूर से रंगकर घर में स्थापित करें।
8 गणेश जी के चित्र के आगे गूगल से धूप करें।
9 गणेश जी को गेहूं और गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं।
10 गणेश जी की मूर्ति पर मधुपर्क चढ़ाएं।

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