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Wednesday 30 April 2014

जो जैसा करेगा उसे वैसा ही परिणाम मिलेगा कर्मों का फल हर हाल में मिलता है प्रकृति के एक विधान को संसार में आदर्श वाक्य की तरह कहा जाता है कि ...............


जो जैसा करेगा उसे वैसा ही परिणाम मिलेगा
कर्मों का फल हर हाल में मिलता है
प्रकृति के एक विधान को संसार में आदर्श वाक्य की तरह कहा जाता है कि जो जैसा करेगा उसे वैसा ही परिणाम मिलेगा, लेकिन आज व्यावहारिक जगत में कई लोग इससे सहमत नहीं होते। उनका मानना है कि हम देख रहे हैं अच्छे लोग परेशान हैं, गलत लोग मजे कर रहे हैं। परमात्मा भी जानता है कि मेरे भक्त यह सवाल जरूर उठाएंगे। इसलिए उन्होंने किए हुए का परिणाम देने के मामले में एक अवधि बनाई है। वे गलत और सही व्यक्ति दोनों को मौका देते हैं। गलत हो तो सुधर जाओ और यदि अच्छे हो तो हिम्मत मत छोड़ो। सुंदरकांड में श्रीराम और समुद्र का प्रसंग परमात्मा के इसी नियम को दर्शा रहा है।
श्रीराम ने समुद्र से मार्ग मांगा। समुद्र ने मार्ग नहीं दिया। तीन दिन बीत जाने पर श्रीराम ने घोषणा की कि बिना डराए कभी-कभी परिणाम नहीं आता। उन्होंने लक्ष्मण को आदेश दिया- लछिमन बान सरासन आनू। सोषौं बारिधि बिसिख कसानू।। धनुष-बाण लाओ, समुद्र को सोखना ही पड़ेगा। यह लक्ष्मण की पसंद का काम था, क्योंकि थोड़ी देर पहले वे विरोध कर चुके थे कि श्रीराम समुद्र से मार्ग न मांगें। लक्ष्मण के मन में वही द्वंद्व था जो अच्छे लोगों के मन में होता है कि समुद्र गलत कर रहा है फिर भी राम कुछ नहीं कर रहे, लेकिन तीन दिन की अवधि परमात्मा सबको देता है। तीन के आंकड़े का अर्थ है ज्ञान, कर्म और उपासना के अवसर हर एक के जीवन में ईश्वर द्वारा दिए जाएंगे। आप इन तीनों में कोई भी मार्ग चुन लें, अन्यथा फिर कुदरत धनुष-बाण उठा लेती है। इन्हीं तीन दिनों में अच्छे लोग विचलित हो जाते हैं और बुरे लापरवाह।

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